पंकज गाँधी
कश्मीर में धारा 370 और 35ए की प्रासंगिकता को खत्म करने हेतु देश का माननीय सुप्रीम कोर्ट माननीय गृहमंत्री अमित शाह एवं माननीय प्रधानमंत्री मोदी बधाई के पात्र हैं. कश्मीर के जो हालात थे, उस पर एक कहानी याद आती है। एक संयुक्त परिवार में एक ने बगावत कर दी है, कारण यह नहीं है कि वह अपने होशो हवास से अलग होना चाहता है, उसके पीछे उसके परिवार का दुश्मन, जो उसका पडोसी है उसकी साजिश है. वह उस बेटे को बाप से लड़ने के लिए हथियार भी सप्लाई कर रहा है । ऐसे में परिवार के मुखिया की समझदारी किसमे है? वह पडोसी के जाल में खुद आ जाये या उस पडोसी के जाल से खुद और अपने बेटे को पहले बचाये ? वाजिब है पहला धर्म बेटे को पडोसी के चंगुल से बचाना है जो उसके मष्तिष्क पर हावी होने की कोशिश कर रहा है.
ऐसे मौकों पर मैं कश्मीर के युवाओं से कुछ संवाद करना चाहता हूँ. आप कश्मीरी किसे आजादी कहते हैं? आप भारत संघ में आजाद ही तो हैं और आपके विकास के लिए तो सबसे महफूज भारत संघ में होना ही है. भारत जैसा संघीय देश विभिन्न संसाधनो वाला देश है जिसके संसाधन विभिन्न प्रदेशों मे फैले हैं और लोग बिना वीजा पासपोर्ट के आते जाते हैं, माल और सेवाएँ आयात निर्यात की जटिलताओं से मुक्त है और राज्यों ने संसाधनो के संदर्भ मे एक दूसरे के पूरक हो के सिर्फ अपने राज्य और राज्य के लोगों का ही विकास नहीं किया बल्कि अपने राज्य के नागरिकों को पूरे भारत के राज्यों मे बिना वीजा पासपोर्ट के रोजगार के अवसर प्रदान किए।
तकनीकी दृष्टि से भारत का हर राज्य अपने आप मे भारतीय संघ का एक देश है। वे अपनी विदेश नीति, संचार नीति और रक्षा नीति संघीय सरकार के पास रख बाकी कार्य खुद से करती हैं, अपवादकाल में कुछ एजेंसिया सक्रिय होती हैं. विकास के फंड भी राज्य सरकार और पंचायत के द्वारा ही क्रियान्वित होते हैं। राज्यपाल भी तभी सक्रिय होते हैं जब संविधान पे संकट हो अन्यथा हर हाल मे तो उन्हें राज्य के मंत्रिमंडल के अनुसार ही चलना है. ळैज् और आयकर राज्य एवं संघ में बंटता है. राज्य एवं संघ के बीच व्यापार बहस का विषय हो सकता है पर यह आजादी का कारण नहीं बन सकता है। आप पाकिस्तान के बहकावे में आजादी की बात करते थे. आप बताओ आजाद राष्ट्र बनने के बाद आर्थिक तौर पे आपके पास क्या विकल्प होते ? खाद्यानों, आर्थिक संसाधनो और रोजगार के क्या विकल्प होते?
गृहमंत्री ने बोला है हालात सामान्य होने पर कश्मीर पूर्ण राज्य होगा. फिर तो कानून व्यवस्था भी आपके पास होगी. संघीय सरकार तो हस्तक्षेप नहीं करने वाली. भारत को आपको जबर्दस्ती संघ मे मिला के क्या मिलेगा? वह तो कश्मीर को दूसरा विफल राष्ट्र पाकिस्तान या अफगानिस्तान नहीं बनते देखना चाहता है, भारत तो कश्मीर को फलते फूलते देखना चाहता है, वो भी पूरी कश्मीरियत के साथ । क्या आपको नहीं लगता कि भारत से अच्छा संविधान खाड़ी के सभी देशों से अधिक स्वतन्त्रता एवं विकसित होने के अवसर प्रदान करता है। कहीं ऐसा तो नहीं कि अब तक दुश्मन ताकतें कश्मीरियत के नाम पे आपका इस्तेमाल तो नहीं कर रही थी। कश्मीरियत को या कश्मीरी पहचान को कहाँ खतरा है ? भारतीय संघ मे गुजराती, मराठी, पंजाबी, तमिल, मलयाली या बंगाली पहचान कहाँ नष्ट हुवे और भारतीय शब्द ने कहाँ इस स्थानीय पहचान का अतिक्रमण किया हो? आज आपको क्या नहीं मिल रहा है? आज आपके संसाधनो के अनुकूलतम दोहन संभावना मूल्य से कई गुना ज्यादे भारतीय संघ निवेश कर रहा है और आगे करने वाला है.
क्या आप भारत में वीजा पासपोर्ट लेकर व्यापार करना पसंद करते? क्या इससे आपके रोजगार के विकल्प सीमित नहीं हो जाते ? कश्मीर की विभिन्न सीमाओं का रक्षा बजट तो आपके लिए बढ़ता ही .अगर आप अलगाववाद सोचते हो तो. आपको आजादी का मिथ्या भ्रम फैलाया जा रहा है? क्या अपने सोचा कि हमारा पड़ोसी जो कि इस्लाम के नाम पे हमसे अलग हुआ, आज विफल क्यूँ है ? क्यूँ कि वहां राष्ट्र के निर्माण के साथ ही संसाधनो और मशीनरी का विकास नहीं हो सका।
आज भारतीय संघ को कश्मीरियत से कहीं ऐतराज नहीं तो आप बताइये आप तनहा क्यों महसूस करते हैं? गृहमंत्री ने आश्वासन दिया है, वहां चुनाव होंगे, आपके प्रतिनिधि होंगे, आपका सीएम भी होगा, अगर संविधान के किसी हिस्से से शिकायत है तो संविधान संसोधन का रास्ता तो है यहाँ पे। अगर शासन व्यवस्था से समस्या है तो आप चुनाव के माध्यम से तत्कालीन सरकार को हटाइए। कौन रोक रहा है ? चुनाव लड़िए, जीतिए और बदल दीजिये शासन को? सारे विकल्प तो हैं आपके पास। आपकी पुलिस, आपकी सरकार आपके डीएम आपकी पंचायत, आपके ब्लॉक और आपकी जमीन सब तो है कश्मीरियों के पास फिर आप आजाद ही तो हैं। किसे पसंद है हिंसक कश्मीर, सेना के साये मे कश्मीर। सब तो कश्मीर का दीदार करना चाहते हैं, वो भी बिना बंदूकों के साये के। क्यूँ हम स्विट्जरलैंड जाएँ जब हमारा आपका कश्मीर है हमारे पास।
आपने भारतीय संघ एवं एवं राज्यों की स्थिति का अध्ययन किया होगा। भारतीय संघीय व्यवस्था राज्यों को उनका सर्वोत्तम करने का अवसर प्रदान करती है और उनकी रक्षा समस्या अपने सर पे लेती है, साथ ही साथ सरकार की सारी संघीय योजनाएँ राज्य को विकसित होने मे सहायता करती है। एक राज्य दूसरे के संबल हैं तो मुट्ठी के रूप मे एक ताकत हैं, हर राज्य जिसकी खुद की एक पहचान है. विश्व मे अपनी मूल पहचान बनाए हुवे है और भारतीयता उसके पहचान के साथ ही और वो भारतीयता के साथ जानी जाती है. दोनों एक दूसरे के पूरक है। संघीय वित्त वितरण प्रणाली हो, संसाधन वितरण प्रणाली, आधारभूत ढांचा निर्माण, हवाई अड्डे हो या सड़के हों, हो संघीय व्यवस्था कदम कदम पे राज्य सरकारों के साथ खड़ी है।आज भारतीय संघ मे होते हुवे भी गुजराती गुजराती है, मराठी मराठी है और यहाँ तक महाराष्ट्र मे होते हुवे भी कोंकणी, कोंकणी ही है , यहाँ कोई किसी का पहचान नष्ट नहीं करता है, धार्मिक स्वतन्त्रता, अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता, लोकतन्त्र की स्वतन्त्रता विश्व के किसी भी देश से ज्यादे है यहाँ। आइये आज सही मायनों में आपकी आजादी का जश्न मनाएं और अपने ही दूसरे हिस्से पीओके को पाकिस्तान से छुड़ाकर विश्व के सर्वोत्तम संघ भारत में लायें। आज दुनिया में भी किसी से भारत और पाकिस्तान में से एक को चुनने को दिया जाय तो वह भारत ही चुनेगा, पाकिस्तान एक विफल राष्ट्र है। तो फिर आप क्यों उसके बरगलाने में अपना उज्जवल भविष्य खराब करते हैं, भारत के साथ कश्मीर का भविष्य उज्जवल है।
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