रणवीर
दक्षिण कोरिया में हज़ारों मज़दूरों ने सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स, जो दुनिया की सबसे बड़ी स्मार्टफ़ोन और एआई चिप निर्माताओं में से एक है, में बेहतर वेतन और लाभ के लिए पिछले 55 साल की पहली हड़ताल को अनिश्चित काल तक बढ़ाने का संकल्प लिया है।
दुनिया की सबसे बड़ी मेमोरी चिप निर्माता कंपनी सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स के दक्षिण कोरिया स्थित सबसे बड़े प्लांट में हज़ारों मज़दूरों ने बुधवार 10 जुलाई को अपनी तीन दिवसीय हड़ताल के अंतिम दिन कंपनी द्वारा बातचीत करने और उनकी माँगों को सुनने से इनकार करने के ख़िलाफ़ “अनिश्चितकालीन हड़ताल” शुरू कर दी है। हड़ताली यूनियन नेशनल सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स यूनियन के लगभग 31,000 सदस्य हैं और यह सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स के सभी मज़दूरों का 25ः हिस्सा है। ये सभी लोग छुट्टी पर चले गए हैं।
हड़ताली मज़दूरों ने अब तक हड़ताल के प्रत्येक दिन फ़ैक्टरी गेट के सामने रैलियाँ निकाली हैं, ताकि मालिकों को एक संदेश भेजा जा सके, जिन्होंने उनकी बात सुनने से इनकार कर दिया है। प्रबंधन ने हड़ताल ख़त्म ना होने पर मज़दूरों को काम से निकालने और नए मज़दूरों को काम पर रखने की धमकी दी है। यूनियन ने सबसे पहले सोमवार, 8 जुलाई को सियोल से 45 किलोमीटर दूर ह्वासोंग में सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स की फ़ैक्टरी में हड़ताल की। सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स यूनियन ने सभी मज़दूरों के लिए मूल वेतन में कम से कम 5.6 प्रतिशत की वृद्धि, वेतन में बेहतर पारदर्शिता और हड़ताल में भाग लेने वाले सदस्यों के लिए मुआवज़े की अपनी माँगों को आगे बढ़ाने के लिए हड़ताल की थी। और वे अपने स्थापना दिवस पर सभी कर्मचारियों के लिए एक दिन का वार्षिक सवेतन अवकाश भी माँग रहे हैं। ग़ौरतलब है कि यूनियन द्वारा सामूहिक कार्रवाई करने का फ़ैसला लेने से पहले कई दौर की बातचीत हुई। यूनियन जनवरी से ही इन माँगों पर प्रबंधन से बातचीत कर रही थी। बातचीत में आम सहमति बनाने के लिए इसने वेतन वृद्धि की अपनी माँग को 6.5 प्रतिशत से घटाकर 5.6 प्रतिशत कर दिया था। हालाँकि, कंपनी ने वेतन में 5.1 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि पर अपनी सहमति जताई है और मज़दूरों में फुट डालने के उद्देश्य से कुछ मज़दूरों के साथ समझौता भी कर लिया। एन.एस.ई.यू. ने जून में एक दिन की हड़ताल की। यह हड़ताल दक्षिण कोरिया में सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स के 55 साल के इतिहास में पहली हड़ताल थी। यूनियन का कहना है कि ख़ासतौर पर नए उत्पादों, जैसे कि ए.आई.-संचालित स्मार्टफ़ोन के रोलआउट के साथ, सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स ने पिछले सप्ताह कहा कि उसे पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में दूसरी तिमाही के परिचालन लाभ में 15 गुना से अधिक की वृद्धि का अनुमान है। मज़दूर चाहते हैं कि यह आशावाद उनके वेतन में भी परिलक्षित हो। यूनियन से जुड़े एक मज़दूर ने कहा, “कंपनी मज़दूरों के साथ उचित व्यवहार नहीं कर रही है।” “भले ही परिचालन लाभ अधिक है, लेकिन कंपनी कह रही है कि यह 10 वर्षों से अधिक समय से संकट की स्थिति में है।”
इस बीच, कोरियाई ट्रेड यूनियन परिसंघ (के.सी.टी.यू.) के तहत कोरिया के मेटल वर्कर्स यूनियन (के.एम.डब्ल्यू.यू.) के लगभग 60,000 सदस्य बुधवार, 10 जुलाई को आठ घंटे की हड़ताल पर चले गए, हड़ताल का आह्वान सरकार की मज़दूर विरोधी नीतियों का विरोध करने के लिए किया गया था। यह हड़ताल ट्रेड यूनियन द्वारा नेशनल असेंबली में लंबित ट्रेड यूनियन और श्रम समायोजन अधिनियम को पारित करने के समर्थन के प्रयासों का एक हिस्सा है। अगर यह विधेयक पारित हो जाता है, तो प्रबंधन के लिए हड़ताल की कार्रवाइयों के लिए मज़दूरों से मुआवज़ा माँगना लगभग असंभव हो जाएगा। साउथ कोरिया में ट्रेड यूनियनों के दो अलग-अलग महासंघों से संबंधित होने के बावजूद के.एम.डब्ल्यू.यू. ने एन.एस.ई.यू. के हड़ताल आह्वान को अपना समर्थन दिया है।
यह भी नहीं भूलना चाहिए कि दक्षिण कोरियाई मज़दूरों की मिलिटेंट परंपरा दशकों पुरानी है। 1984 में थैचर द्वारा खनन मज़दूरों को कुचलने और नवउदारवादी नीतियों को शुरू करने के बाद, कई कंपनियों ने मज़दूरों के साथ “मधुर सौदे” (हड़ताल की शर्त नहीं पर) हस्ताक्षर करवाए। कुछ साल बाद दक्षिण कोरियाई मज़दूरों ने इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी, उनके पोस्टर-बैनर पर लिखा थारू ‘आप हमें हरा नहीं सकते। हम अंग्रेज़ नहीं हैं।’ यही रेडियल रवैया अब सैमसंग के ख़िलाफ़ भी देखने को मिल रहा है।
मौजूदा हड़ताल को एक अलग घटना के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि यह कोरियाई मज़दूरों में समूचे पूँजीवादी ढाँचे और सभी राजनीतिक दलों के प्रति व्याप्त गहरे ग़ुस्से को दर्शाता है। यह ग़ुस्सा रह-रहकर पिछले दो सालों में बाहर आ रहा है। 20 अक्टूबर 2021 को कोरियाई ट्रेड यूनियन परिसंघ (के.सी.टी.यू.) के 80,000 से अधिक सदस्यों ने दक्षिण कोरिया के 14 बड़े शहरों में हड़ताल कीं। हड़ताल में भाग लेने वाले मज़दूर विभिन्न उद्योगों से थे। धातु, निर्माण, ग़ैर-नियमित स्कूल मज़दूर, सेवा और चिकित्सा मज़दूर और अन्य लोग कार्यस्थलों और सड़कों पर कंधे से कंधा मिलाकर खड़े थे।
संगठित मज़दूरों के बीच संचित ग़ुस्से ने के.सी.टी.यू. के मौक़ा-परस्त नेतृत्व को भी ठिकाने लगा दिया। दिसंबर 2020 में, मज़दूरों ने पिछले अध्यक्ष को बाहर का रास्ता दिखाया, जो सरकार और पूँजीपतियों के साथ साँठगाँठ करने के चक्कर में था, और उनकी जगह यांग क्यूंग-सू को अध्यक्ष पद के लिए वोट किया, जिन्होंने आम हड़ताल के द्वारा मज़दूर हितों के लिए संघर्ष करने का वादा किया था। उल्लेखनीय रूप से, यांग पहले के.सी.टी.यू. अध्यक्ष हैं, जो एक अस्थायी कर्मचारी भी हैं, जो कि कोरियाई कार्यबल के 41 प्रतिशत से अधिक में से एक है, जो अस्थायी नौकरियों में काम कर रहा है।
वैसे कोरिया के मज़दूरों ने विभिन्न क्षेत्रों में हड़ताल के साथ शक्ति और वर्गीय आक्रोश का प्रदर्शन करते हुए काफ़ी लंबे अंतराल के बाद एक सही और बड़ा क़दम अवश्य उठाया, परंतु उन्हें ट्रेड यूनियन आंदोलन में अपनी जड़ों के माध्यम से सक्रिय रूप से एक राजनीतिक पार्टी बनाने की आवश्यकता है। इस पार्टी को ना केवल दक्षिण कोरिया में मौजूदा पूँजीवादी व्यवस्था को सुधारने का प्रयास करना चाहिए, बल्कि इसे उखाड़ फेंकने और एक समाजवादी कार्यक्रम को आगे रखते हुए समाजवाद को ही लक्ष्य रखना चाहिए। यही एकमात्र तरीक़ा है, जिससे दक्षिण कोरियाई मेहनतकश वर्ग और युवा उस समाज से बच सकते हैं, जो प्रतिदिन उनके जीवन को एक अंतहीन शोषण करने वाली मशीन बना चुका है।
(लेखक वामपंथी चिंतन से प्रभावित हैं। आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं। इससे हमारे प्रबंधन का कोई सरोकार नहीं है।)