नयी दिल्ली/ मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियों में से 9 का मार्केट कैप बीते हफ्ते कंबाइंड रूप से 2.89 लाख करोड़ रुपए बढ़ा है। इस दौरान रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड टॉप पर रहा। वहीं जीवन बीमा निगम का मार्केट वैल्यू 22,043 करोड़ रुपये कम हो गया।
हफ्ते भर में कारोबार के दौरान रिलायंस के वैल्यूएशन में 1,52,264.63 करोड़ रुपए (₹1.52 लाख करोड़) की बढ़ोतरी हुई है। अब कंपनी का मार्केट कैप 21.19 लाख करोड़ रुपए हो गया है। इससे पहले कंपनी का मार्केट कैप 19.67 लाख करोड़ रुपए था।
इसके अलावा, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, HDFC बैंक, भारती एयरटेल, इंफोसिस, एचडीएफसी बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड और आईटीसी ने भी इस दौरान बाजार में कमाई की है।
वहीं बीमा कंपनी लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पाेरेशन ऑफ इंडिया एकमात्र कंपनी रही, जिसका मार्केट वैल्यू कम हुआ है। हफ्ते भर के कारोबार में कंपनी की वैल्यू 22,042.61 करोड़ गिरकर ₹6.26 करोड़ रह गई है।
24 जून से शुरू कारोबारी हफ्ते में बाजार ने लगातार 4 दिनों तक ऑल टाइम हाई बनाया। इस दौरान बाजार में 1,823 अंक की बढ़त रही। हालांकि इसके चलते बाजार में थोड़ी मुनाफा वसूली देखी गई। इससे सेंसेक्स और निफ्टी में आखिरी दिन गिरावट आई थी।
शेयर बाजार ने 28 जून को लगातार चौथे दिन ऑल टाइम हाई बनाया। शुरुआती कारोबार के दौरान सेंसेक्स ने 79,671 और निफ्टी ने 24,174 का हाई बनाया। हालांकि, बाद में मार्केट में गिरावट देखने को मिली।
दिनभर कारोबार करने के बाद सेंसेक्स 210 अंक की गिरावट के साथ 79,032 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं, निफ्टी में भी 33 अंक की गिरावट रही, ये 24,010 के स्तर पर बंद हुआ। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 19 में गिरावट और 11 में तेजी रही।
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटल नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है।
मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है, ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।
किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।
कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।
मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।
टॉप-10 कंपनियों में 3 की वैल्यू ₹1.06 लाख करोड़ बढ़ीरू भ्क्थ्ब् और प्ब्प्ब्प् बैंक टॉप गेनर, रिलायंस का मार्केट-कैप ₹32,271 करोड़ कम हुआ।
बीते कारोबारी हफ्ते मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियों में से 3 का मार्केट कैप कंबाइंड रूप से ₹1,06,125.98 करोड़ (₹1.06 लाख करोड़) बढ़ा है। इस दौरान भ्क्थ्ब् बैंक मार्केट का टॉप गेनर रहा है। इसके वैल्यूएशन में ₹52,092 करोड़ का इजाफा हुआ है।
अब इसका मार्केट कैप ₹12.67 लाख करोड़ हो गया है। इसके अलावा, प्ब्प्ब्प् बैंक का ₹36,119 करोड़ बढ़कर ₹8.14 लाख करोड़ और इंफोसिस का मार्केट कैप ₹17,915 करोड़ बढ़कर ₹6.36 लाख करोड़ हो गया है।