जीवनशैली/ क्यों पसन्द आती है कोई महिला?

जीवनशैली/ क्यों पसन्द आती है कोई महिला?

स्त्राी-पुरूष का एक-दूसरे के प्रति आकर्षण सहज भाव है। इस आकर्षण में उम्र, जाति या इस तरह की अन्य बातों का कोई बंधन नहीं होता। यह अलग बात है कि वह आकर्षण स्थायी न हो। सबसे पहले किसी को चेहरा ही अपनी ओर आकर्षित करता है, उसके बाद आंखों का पैनापन, फिर बात करने का तरीका।

लड़के-लड़कियों में क्या देखकर आकर्षित होते हैं और क्या नहीं पाकर छिटक जाते हैं? सवाल छोटा-सा है परन्तु उसकी गांठ बड़ी-सी लगती है। स्त्राी-पुरूष का आकर्षण एक सहज भाव है जो बिना बोले चुपके से मन की देहरी पर पांव जमा लेता है। यह आकर्षण किस चीज का है, कैसा है, कितना स्थायी है और कब तक रहेगा, यह जानना आवश्यक है।

आकर्षण का अपना कोई दायरा नहीं होता। इसका अपना कोई बंधन नहीं होता। आकर्षण जाति, धर्म, उम्र को नहीं मानता। एक विवाहित युवती की तरफ भी एक युवक आकर्षित हो सकता है और एक अविवाहित लड़की की ओर एक प्रौढ़ व्यक्ति भी आकर्षित हो सकता है। आकर्षण तो चलते-चलते अनजान स्त्राी के लिए भी उपज सकता है, भले ही यह बात गलत हो।

लड़कियों के व्यक्तित्व में लड़कों से अलग कई बातें होती हैं। उनका चेहरा, निगाहों का पैनापन, उनकी मुस्कुराहट, बालों का रखरखाव, आदि बातें लड़कों से भिन्न होती हैं। आज के समय सबसे बड़ी बात यह है कि लड़कियां लड़कों के समान कपड़े पहनती हैं जिससे उनका आकर्षण अधिक बढ़ जाता है।

सबसे पहले किसी का चेहरा नजर आता है। चेहरे का नक्श, उसकी बनावट, चेहरे का रंग, चेहरे का मेकअप प्रथमदृष्ट्या मन पर प्रभाव जमाने में कामयाब होता है। इसके बाद आंखों का प्रभाव, मुस्कुराहट, बात करने का तरीका मन को आकर्षित करता है।

लड़की बिखरी और अस्त व्यस्त अवस्था में भी अच्छी लगती है। इसे अल्हड़पन कहा जाता है। अल्हड़पन की छाप बहुत जल्द हृदय पर पड़ती है, क्योंकि उसमें नैसर्गिकता होती है अर्थात् बनावटी-पन से कोसों दूर रहती है। दूसरी तरफ चेहरा भले ही सजाया हो किन्तु लड़कियों वाली संरचना न हो तो उसमें आकर्षण नहीं आ पाता।

बहुत ज्यादा बड़ा कद या छोटा कद न हो तो चेहरा सबसे पहले आकर्षित करता है। इसी कारण लड़कियां सबसे पहले और सबसे अधिक चेहरा संवारने पर ही ध्यान दिया करती हैं। बाल, रंग एवं कपड़ों का आकर्षण बहुत बाद की बात होती है।

अस्सी प्रतिशत पुरूषों का यह मानना है कि किसी भी महिला का आकर्षण सर्वप्रथम चेहरे के प्रति ही होता है। इसके बाद पुरूषों की नजर उसके उन्नत उरोजों की तरफ जाती है। चेहरा अगर आकर्षक नहीं होता तो उन्नत उरोज भी कोई मायने नहीं रखते। आकर्षक चेहरे की शोभा बढ़ाती हैं आंखें। आंखों का कंटीलापन एवं होंठों की मुस्कुराहट पुरूषों के दिल को घायल करने के लिए काफी मानी जाती है।

आज के समय में अनेक प्रकार के पहनावों का विकास हो गया है। नित्य नये-नये डिजाइनों के वस्त्रा बाजार में आ रहे हैं जो युवतियों के प्रिय बनते जा रहे हैं। इन पहनावों में स्वयं में कुछ ऐसे आकर्षण होते हैं जिनकी तरफ पुरूषों का ध्यान बरबस ही खिंचा चला जाता है।

आंखों को प्रिय लगने वाले, अर्द्धनग्न वस्त्रों में कामिनी के कोमल अंगों को देखने की ललक उठती है। इसका अर्थ यह कतई नहीं होता है कि देखने वाली नजरों के पीछे उस कामिनी की सुन्दरता को देखने के भाव हों। वे आंखें तो सिर्फ वस्त्रा के पीछे से झांकती कोमल अंगों को ही निहारती हैं जिसमें वासना का पुट होता है।

स्त्राी स्वयं में प्रकृति द्वारा निर्मित एक अनोखी वस्तु होती है जिसका आकर्षण पुरूषों के हृदय में आदिकाल से ही स्थापित होता है। स्त्राी के मुंह को चन्द्रमा की उपमा दी गई है। ’चांद जैसा मुखड़ा‘ कहकर स्त्रिायों के चेहरे के महत्त्व को बताया गया है जो सर्वप्रथम आकर्षण का केन्द्र होता है। चेहरे की बनावट एवं उसका निखार ही पुरूषों को अपनी ओर आकर्षित कर सकता है। चेहरे की सुन्दरता को बनाये रखकर ही अनेक दिलों की मलिका बना जा सकता है।

(उर्वशी)

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