जीवनशैली/ आपको जानना चाहिए कि कैसा हो आपका ब्रेजियर?

जीवनशैली/ आपको जानना चाहिए कि कैसा हो आपका ब्रेजियर?

स्तन सौन्दर्य एवं स्तनों की सुरक्षा के लिए नारियों का अधोवस्त्रा (अन्दरूनी वस्त्रा) ब्रेजियर कैसा हो, आपकी ब्रा का सही नाप क्या है, ब्रेजियर को कब पहना जाये, कब न पहना जाये आदि अनेक बातों की जानकारियां ब्रेजियर पहनने वाली को न होने से अनेक प्रकार की हानियां भी हो सकती हैं।
सही आकार की ब्रेजरी का ही चयन करना आवश्यक है क्योंकि सही नाप की चोली न पहनने से एक तो वक्ष स्थल बेडौल नजर आता है, दूसरे कई प्रकार के दोष भी जन्म लेते हैं। त्वचा रोग भी हो सकते हैं तथा वक्षस्थल बनावटी नजर आते रहते हैं। ब्रा ऐसी हो, जिनके कप्स स्तनों पर पूरी तरह से फिट हों। वे बड़े या छोटे न हों।

ब्रेसियर का इस्तेमाल उम्र और अवसर के अनुसार ही करना चाहिए। किसी पार्टी में जाना हो तो चुस्त पैडवाली, स्कूल या कॉलेज जाना हो तो पैड रहित कप शेप वाली, स्तन अविकसित या ढीले हों तो पैड वाली, नई-नई शादी हुई हो तो उन्नत नोकों वाली पैडदार, घर में कामकाज के समय बिना पैड वाली तथा रात्रि को सोते समय अगर ब्रा पहनना आवश्यक हो तो पैड रहित ढीली ब्रेसरी पहननी चाहिए।

अगर आपके वक्ष का आकार सामान्य से छोटा है तो स्मरण रखें कि आपकी ब्रा के कप न तो बहुत छोटे हों और न ही बहुत बड़े हों। ऐसा होने पर या तो सीना मिंच कर सपाट नजर आएगा या ब्रेजियर में झोल पड़ेगी जिससे ऊपर पहने जाने वाले वस्त्रों की भी फिटिंग ठीक नहीं बैठेगी।
अविकसित स्तनों के लिए खास तरह के ’कप्स‘ बाजार में उपलब्ध हैं। इन्हें स्तनों पर रखकर ऊपर से ब्रेजियर पहन ली जाती है। इससे स्तन उन्नत व आकर्षक नजर आते हैं किंतु गर्मी में इनका प्रयोग उचित नहीं होता क्योंकि इससे त्वचा को हानि पहुंच सकती है।

भारी स्तनों वाली स्त्रिायां व युवतियां अपनी छाती के वास्तविक नंबर से 1-2 कम साइज की ब्रा पहन कर उसमें छाती को भींचकर अपने फिगर का सर्वनाश कर लेती हैं। ऐसा करने के पीछे उनका उद्देश्य अपने स्तनों को छोटा दर्शाना होता है परन्तु यह विधि विपरीत प्रभाव डालती है। ऐसी महिलाओं को एकदम सही साइज व चौड़े स्टैªप वाली ब्रा ही पहननी चाहिए। भारी स्तनों के लिए हल्के कपड़े जैसे लेस, नेट और साटन इत्यादि की ब्रा उपयुक्त रहती है। ढीले स्तनों के लिए विशेष प्रकार के कप बाजार में उपलब्ध है। इनहें स्तनों पर पहन कर ब्रेजियर पहन ली जाती है। इससे स्तन उन्नत नजर आते हैं।

ब्रा के कप्स विभिन्न साइजों में यथा ’अ‘ (छोटा), ’ब’ (मध्यम) तथा ’स‘ (एक्स्ट्रा लार्ज) में मिलते हैं। सही ब्रा के चयन हेतु दो नाप लें। इंचटेप से वक्ष का नाप इंच में लें तथा इसके बाद वक्ष के ठीक नीचे से कमर का नाप लें। यदि दोनों नापों के बीच पांच इंच का अन्तर हो तो ’अ‘ साइज की और अगर अन्तर पांच इंच से अधिक हो तो ’स‘ साइज की ब्रा ही खरीदनी चाहिए।

स्तनों का उभार शुरू होते ही ब्रा पहनने की आदत डालनी चाहिए। रात को सोते समय, व्यायाम के समय, मैथुन से आधे घण्टे पूर्व ब्रेजियर को उतार देना चाहिए। इससे वक्षों को आक्सीजन मिलती है और उनका अच्छा विकास होता है। खुली हवा में खड़ी होकर गहरी सांसें लें। इससे उरोजों में सुडौलता आती है। मानसिक तनाव से भी वक्षस्थल का विकास रूक जाता है, अतः हमेशा प्रसन्नचित्त रहना चाहिए।

ब्रा का कपड़ा खुरदरा न हो और न ही एलर्जी करने वाला ही हो। ब्रा से स्तनों की शोभा व सुरक्षा दोनों ही होती है, अतः इसका प्रयोग करना हितकर है।

(उर्वशी)

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