नयी दिल्ली/ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी नीति आयोग की बैठक में कुछ समय बैठने के बाद बाहर निकल गयी। इस मामले में उन्होंने कहा, मैं बैठक का बहिष्कार करके बाहर आई हूं।
आगे उन्होंने कहा, चंद्रबाबू नायडू को बोलने के लिए 20 मिनट का समय दिया गया था, असम, गोवा, छत्तीसगढ़ के सीएम ने 10-12 मिनट तक बात की लेकिन पाँच मिनट बाद ही मुझे बोलने से रोक दिया गया।
इधर इस मामले में केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ममता बनर्जी पूरी तरह झूठ बोल रही हैं। उन्होंने कहा कि नीति आयोग की बैठक में सीएम ममता बनर्जी शामिल हुईं। हम सबने उन्हें सुना। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि प्रत्येक सीएम को आवंटित समय दिया गया था और उसे हर टेबल के सामने मौजूद स्क्रीन पर प्रदर्शित किया गया था। उन्होंने मीडिया में कहा कि उनका माइक बंद कर दिया गया था। यह पूरी तरह झूठ है। हर सीएम को बोलने के लिए उचित समय दिया गया।
वित्तमंत्री सीतारमण ने आगे कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया है कि उनका माइक बंद था जो सच नहीं है। उन्हें इसके पीछे सच बोलना चाहिए न कि फिर से झूठ पर आधारित कहानी गढ़नी चाहिए।
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि मैंने नहीं देखा कि (नीति आयोग) बैठक में क्या हुआ है। उन्होंने कहा कि मैं केवल इतना ही कह सकता हूं कि यह तथाकथित इंडिया गठबंधन बिल्कुल भी गठबंधन नहीं है क्योंकि ममता ने पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं दी। वे जनता के जनादेश को पचा नहीं पा रहे हैं, हाय तौबा मचा रहे हैं।
ममता बनर्जी बनाम नीति आयोग विवाद पर तामिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने साफ तौर पर कहा कि सहकारी संघवाद के लिए सभी आवाजों के लिए संवाद और सम्मान की आवश्यकता है। दिल्ली में बनर्जी ने दावा किया कि उनका माइक्रोफोन सिर्फ पांच मिनट के बाद काट दिया गया, जबकि अन्य मुख्यमंत्रियों को बोलने के लिए अधिक समय दिया गया।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने शनिवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस दावे के बाद केंद्र सरकार की आलोचना की, नीति आयोग की बैठक में उनके भाषण के दौरान उन्हें अनुचित तरीके से रोका गया था।
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में स्टालिन ने सवाल किया, क्या यह सहकारी संघवाद है? क्या एक मुख्यमंत्री के साथ व्यवहार करने का यही तरीका है? केंद्र की भाजपा सरकार को यह समझना चाहिए कि विपक्षी दल हमारे लोकतंत्र का अभिन्न अंग हैं और उन्हें चुप कराने के लिए दुश्मनों की तरह व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए।
एमके स्टालिन ने आगे साफ तौर पर कहा कि सहकारी संघवाद के लिए सभी आवाजों के लिए संवाद और सम्मान की आवश्यकता है। दिल्ली में बनर्जी ने दावा किया कि उनका माइक्रोफोन सिर्फ पांच मिनट के बाद काट दिया गया, जबकि अन्य मुख्यमंत्रियों को बोलने के लिए अधिक समय दिया गया। हालाँकि, केंद्र सरकार ने उनके आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उनके बोलने का आवंटित समय समाप्त हो गया था।
इस मामले ने कांग्रेस ने भी नीति आयोग की आलोचना की। कांग्रेस ने अपने एक आधिकारिक बयान में कहा, नीति आयोग की बैठक में ममता बनर्जी के साथ हुआ व्यवहार अस्वीकार्य है। कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि नीति आयोग की बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ जो व्यवहार हुआ है, वो पूरी तरह अस्वीकार्य है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा किया कि नीति आयोग की बैठकें दिखावा मात्र होती हैं तथा यह संस्था पेशेवर एवं स्वतंत्र नहीं है। इसपर केन्द्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी का दबाव है।