रांची/ झारखंड में शनिवार की शाम से ही बारिश हो रही है। दक्षिण-पश्चिमी मानसून की सक्रियता की वजह से अगले पांच दिनों तक बारिश की संभावना व्यक्त की गयी है। मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों की मानें, तो संताल के रास्ते झारखंड में मानसून प्रवेश किया। शनिवार को दिनभर आकाश में बादल छाये रहे लेकिन बारिश नहीं हुई। जैसे ही शाम हुई रांची सहित राज्य के लगभग सभी क्षेत्रों में मूसलाधार बारिश प्रारंभ हो गयी। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगले पांच दिनों तक राज्य में हल्के से मध्यम दर्जे तक की बारिश होती रहेगी।
रांची मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार झारखंड में आने वाले पांच दिनों तक हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश हो सकती है। पिछले 24 घंटे के अंदर राज्य के हजारीबाग में सबसे ज्यादा 65.0 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गयी। वहीं रांची में 50.4 मिलीमीटर, मैथन में 57.2 मिलीमीटर एवं बालूमाथ में 51.0 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गयी।
मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार झारखंड की राजधानी रांची, गढ़वा, रामगढ़ एवं सिमडेगा में बारिश की संभावना अभी भी बनी हुई है। मेघ गर्जन के साथ वज्रपात की भी आशंका भी जताई जा रही है। इसे लेकर मौसम विभाग ने येलो अलर्ट पहले से जारी कर रखा है। आपको बता दें कि झारखंड में शनिवार शाम को ही मानसून ने दस्तक दे दिया।
मानसून की दस्तक के साथ ही झारखंड में मौसम का मिजाज बदला गया है। मौसम विभाग ने अपने पूर्वानुमान में बताया है कि पूर्वी सिंहभूम, गुमला, पलामू, खूंटी, पश्चिमी सिंहभूम, चतरा, लातेहार, लोहरदगा में भी बारिश हो सकती है।
मौसम विभाग के पूर्वानुमान में बताया गया है कि आगामी चार-पांच दिनों तक राज्य के लगभग सभी स्थानों पर हल्के से लेकर मध्यम दर्जे तक की बारिश होगी। मौसम विभाग ने यह भी बताया है कि फिलहाल तापमान में किसी प्रकार के बड़े बदलाव की संभावना नहीं है।
झारखंड की राजधानी रांची और आसपास के साथ ही साथ राज्य के कई स्थानों पर आज दिन भर आकाश में बादल छाए रहे। रांची में थोड़ी बारिश भी हुई है। माहौल थोड़ा गर्म था और उमस भी महसूस किया जा रहा था। यह आने वाले समय में भारी बारिश का संकेत है। वैसे मानसून की एंट्री के साथ ही झारखंड में जबरदस्त बारिश हुई है।
इस बारिश के बारे में खेती-किसानी से जुड़े जानकारों का कहना है कि अभी घान के अगात किस्म की रोपनी चल रही है। पछात किस्म के धान के बिचरे लगाए जा रहे हैं। यह बारिश दोनों के लिए उपयोगी है। झारखंड के अधिकतर क्षेत्रों में केवल खरीफ की फसल होती है। राज्य की ज्यादा भूमि असिंचित है और बारिश के पानी पर ही फसल की रोपाई-बुआई होती है। इस बारिश के कारण हरी सब्जी को थोड़ा नुक्शान तो होगा लेकिन भविष्य में इसका लाभ ही होगा।
जानकारों की मानें तो बारिश के कारण सामान्य जन स्वास्थ्य पर थोड़ा प्रतिकूल असर हो सकता है लेकिन कोरोना महामारी की भयावहता बारिश के कारण कम हो सकती है। बारिश के कारण मंच्छरों का प्रकोप बढ़ सकता है, जिससे मलेरिया, डेंगू, टायफायड आदि रोगों में बढ़ोतारी हो सकती है। ऐसे में मच्छरों से बचाव के लिए साफ-साफाई पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।