अयोध्या और काशी में मुस्लिम भिखमंगे, राम जन्मभूमि काॅरिडोर में सुरक्षा को लोकर गंभीर खतरा 

अयोध्या और काशी में मुस्लिम भिखमंगे, राम जन्मभूमि काॅरिडोर में सुरक्षा को लोकर गंभीर खतरा 

लखनऊ/ राम की नगरी अयोध्या और भगवान विश्वनाथ की नगरी काशी में अधिकतर भीख मांगने वाले मुसलमान हैं। यही नहीं सरयू और गांगा के तटों पर चंदन करने वालों में भी मुसलमानों की संख्या बढ़ रही है। यह मजबूरी है या षडयंत्र किसी को पता नहीं है। यह मामला सुरक्षा से भी जुड़ा है। 

अयोध्या में कुल प्रमुख घाटों की संख्या 30 हैं। राम जन्मभूमि स्थल पर मंदिर बनने और उसके उद्घाटन की बात प्रचारित होने के साथ ही अब अयोध्या में श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। श्रद्धालु राम जन्मभूमि काॅरिडोर के साथ ही साथ अयोध्या के विभिन्न घाटों पर भी जा रहे हैं। इस भीड़ का फायदा उठा, भिखमंगों के कई संगठित गिरोह यहां सक्रिय हो गए हैं। 

जैसे-जैसे श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ रही है, उसी तादात में यहां भिख मागने वालों की भी संख्या बढ़ने लगी है। बीते दिन नया घाट पर एक चंदन लगाने वाले से जब उसका नाम पूछा तो उसने हठाक अपना नाम नादिर बताया। हालांकि उसने यह नहीं बताया कि वह कहां का रहने वाला है लेकिन उसकी बोली का टोन बांग्ला मिश्रित हिन्दी वाला था। उसे जब पैसे का लोभ दिया तो उसने बताया कि हमलोग यहां अच्छी संख्या में हैं और घाटों पर चंदन लगाकर अपना पेट पाल रहे हैं। उसने यह भी बताया कि हमें यहां एक बड़े भाई लेकर आए थे। हमलोग का अपना परिवार भी है। बड़े भाई का वह नाम तो नहीं जानता था लेकिन उसने बताया कि हमलोगों की कमाई का कुछ हिस्सा उन्हें भी दिया जाता है। यह हिस्सा हमारे समूह की ओर से दे दिया जाता है। हमलोग उन्हें बड़े भाई के नाम से ही जानते हैं। 

इसी प्रकार रामपथ से लेकर जन्मभूमि काॅरिडोर के अंदर लाॅकर तक जो भीखमंगे हैं उसमें से भी अधिकतर मुस्लिम समाज की औरतें हैं। बिहार के दरभंगा का रहने वाला दुलारचन नामक भिखमंगे ने बताया कि मुस्लिम भिखाड़ियों की संख्या इन दिनों बढ़ गयी है। खास कर मुस्लिम महिलाएं इस काम में ज्यादा आ रही है। एक सकीला नाम की मुस्लिम महिला अपने छोटे बच्चे को गोद में लेकर भीख मांग रही थी। मैंने उससे जब यह पूछा कि उसने अपने बच्चे को हफीप चटा रखा है, तो वह राम मंदिर काॅरिडोर परिसर से भाग खड़ी हुई। अयोध्या में गुप्तार घाट, निर्मला कुंड घाट, मीरण घाट, यमस्थल घाट, रामकला घाट, चक्र तीर्थ, ब्रह्म कुंड, प्रल्हाद घाट, कौशल्या घाट, कैकेई घाट, राजघाट, सुमित्रा घाट आदि घाटों पर इस प्रकार के मंजर इन दिनों आम हैं। स्थानीय पुलिस इस दिशा में कुछ भी करने को तैयार नहीं दिख रही है। 

इस मामले पर जब स्थानीय पुलिस के एक अधिकारी से बात की तो उन्होंने बताया कि भीख मांगना अच्छी बात नहीं है लेकिन हम किसी को रोक नहीं सकते हैं। हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि इससे सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो सकता है लेकिन वे कुछ करने की स्थिति में नहीं दिखे। 

इस मामले में काशी की भी स्थिति बेहद खराब है। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की शोध छात्रा एवं विश्वनाथ मंदिर के पास की रहने वाली शालिनी मिश्रा बताती हैं कि काशी में भी भिखारियों की संख्या बढ़ने लगी है। उन्होंने बताया कि विश्वनाथ काॅरिडोर बनने के बाद काशी में श्रद्धालुओं की संख्या में कई गुणा वृद्धि हो गयी है। इसके कारण इधर के दिनों भिखमंगों की संख्या बढ़ रही है। मिश्रा बताती हैं कि भिख मांगले वालों में महिलाओं की संख्या अधिक है। इसमें मुस्लिम महिलाएं ज्यादा संख्या में हैं। उन्होंने तो यहां तक बताया कि भीख मांगने वाली महिलाएं स्थानीय नहीं हैं। उनकी भाषा बांग्ला मिश्रित हिन्दी है। ये महिलाएं चोरी भी करते पकड़ी गयी थी। इसके बाद स्थानीय पुलिस इस प्रकार की महिलाओं पर नकेल कसी है। 

काशी और अयोध्या बेहद संवेदनशी क्षेत्र है। यह सुरक्षा की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यहां कई आतंकी घटनाएं भी घट चुकी है। आतंकवादी इस प्रकार के भिखमंगों को ही अपना सॉफ्ट टारगेट बनाते हैं और भिख मांगने वाले बच्चे या महिलाओं को आत्मघाती बंम के रूप में उपयोग करते हैं। इस बात से स्थानीय पुलिस और प्रशासन फिलहाल दोनों अनभिज्ञ है।  

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