रांची/नयी दिल्ली/ AI के गॉडफादर कहे जाने वाले जेफ्री हिंटन ने चेतावनी दी है कि आने वाले समय में एआई खुद की भाषा विकसित कर लेगा, जो इंसान समझ ही नहीं पाएंगे। इससे ये अंदाजा भी नहीं लग पाएगा कि एआई का इरादा क्या होगा। जेफ्री हिंटन को साल 2024 में नॉवेल फिजिक्स अवार्ड से नवाजा जा चुका है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता इतना तेजी से दौड़ रहा है कि इंसान धीरे-धीरे पीछे छूटता जा रहा है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता के ‘गॉडफादर’ जेफ्री हिंटन ने भी अब इस पर चिंता व्यक्त की है। जेफ्री ने हाल ही में ‘वन डिसीजन’ पॉडकास्ट में हिस्सा लिया, जहां उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर खुलकर बात की। जेफ्री का कहना है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता जल्द ही अपनी पर्सनल लैंग्वेज बना सकता है, इस भाषा को ह्यूमन क्रिएटर्स भी नहीं समझ पाएंगे। जेफ्री की इस भविष्यवाणी से यह तय हो गया है कि आने वाले टाइम में कृत्रिम बुद्धिमत्ता मनुष्यों को भी मात देने वाला है। जेफ्री ने अलर्ट दिया है कि ।प् का ऐसा डेवलपमेंट भविष्य में खतरा बन सकता है।
जेफ्री हिंटन ने पॉडकास्ट में कहा कि फिलहाल कृत्रिम बुद्धिमत्ता चेन ऑफ थोट्स पर काम कर रहा है, जिसे फॉलो करते हुए हम ये समझ सकते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कर क्या रहा है। लेकिन यह बेहद डरावना होगा यदि कृत्रिम बुद्धिमत्ता खुद की इंटरनल लैंग्वेज विकसित करे और आपस में इसी के जरिये बातचीत करे। ऐसा होता है तो इंसान ये समझ ही नहीं पाएगा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता का क्या इरादा है। मशीनें पहले से ही कई सारे भयानक विचार प्रोड्यूस कर चुकी हैं, जरूरी नहीं कि ये उसी भाषा में हों जिन्हें आप और हम समझते हैं।
जेफ्री हिंटन ने ये भी बताया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता मनुष्य की तरह धीमे-धीमे नहीं सीखता, इसमें तेज स्पीड से कॉपी-पेस्ट करने की क्षमता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता की सीखने की क्षमता इतनी तेज है कि इंसान उसे टक्कर भी नहीं दे सकता है। हाल में आए जीपीटी-4 सरीखे मॉडल तो पहले से ही जीके में इंसानों को पछाड़ चुके हैं। अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता हमारी सोचने की क्षमता को भी जल्द ही पीछे छोड़ने वाला है।
जेफ्री हिंटन ने ही न्यूरल नेटवर्क पर शुरुआत का काम किया। इसी के दम पर बाद में डीप लर्निंग मॉडल और नामी कृत्रिम बुद्धिमत्ता सिस्टम खड़े हुए। जेफ्री ने ये माना कि उन्हें कृत्रिम बुद्धिमत्ता से पैदा होने वाले खतरों का अंदाजा देरी से लगा, उन्हें ये बात बहुत पहले ही समझ जानी चाहिए थी। वे कहते हैं कि काश, मैंने सुरक्षा के बारे में पहले सोचा होता। बहरहाल, अब वे खुलकर इसलिए बोल रहे हैं ताकि लोग सतर्क रहें।
हिंटन चाहते हैं कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल अच्छे कामों के लिए हो। उन्होंने कहा कि तमाम देशों की सरकारों के नियम, जैसे अमेरिका का कृत्रिम बुद्धिमत्ता एक्शन प्लान काफी नहीं हैं। हमें ऐसा कृत्रिम बुद्धिमत्ता बनाने पर फोकस करना होगा, जो सुरक्षित हो और मनुष्यों के लिए लाभकारी साबित हो। ऐसा करना आसान तो नहीं है, विशेषकर तब जब कृत्रिम बुद्धिमत्ता खुद की भाषा को डेवलप कर लेगा। बता दें कि जेफ्री हिंटन को साल 2024 में नॉबेल फिजिक्स पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसलिए उनकी बात का वजन है और दुनिया भर के कृत्रिम बुद्धिमत्ता एक्सपर्ट्स के लिए यह विचार करने का विषय है।