‘पाकिस्तानी सेना और ISI सांठगांठ कर मादक पदार्थ से जुटा रहे हैं धन’

‘पाकिस्तानी सेना और ISI सांठगांठ कर मादक पदार्थ से जुटा रहे हैं धन’

नयी दिल्ली/ अंडरवर्ल्ड सरगना दाऊद इब्राहिम अफगानिस्तान से अपने तस्करों और कंटेनर के जरिये पाकिस्तान लाये जा रहे मादक पदार्थ से धन जुटा रहा है। यहां उसे कानूनी तार पर संरक्षण प्राप्त है। हाल में विमोचित एक पुस्तक में यह दावा किया गया है।.

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मीडिया सलाहकार रह चुके अशोक टंडन ने अपनी पुस्तक ‘द रिवर्स स्विंग-कोलोनियलिज्म टू कोऑपरेशन’ में यह भी उल्लेख किया है कि मादक पदार्थ की तस्करी से धन जुटाने में पाकिस्तानी सेना और इसकी गुप्तचर एजेंसी ‘इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस’ (आईएसआई) पूरी तरह से संलिप्त है।.

टंडन के द्वारा लिखी गयी पुस्तक में और कई चैकाने वाली बातें लिखी गयी है, जो पाकिस्तान और उसकी सेना के द्वारा दुनिया और मानवता के खिलाफ किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान से लाये जाने वाले अफीम और हेरोइन को ऐसी कई सीमाओं से प्रवेश कराया जाता है, जहां मादक पदार्थ के पुराने नेटवर्क अब भी संचालित हो रहे हैं।’’

पुस्तक में कहा गया है कि दाऊद इब्राहिम की मदद से इस इलाके में मादक पदार्थ को धन में तब्दील किया जा रहा है। इसमें कहा गया है कि वह अपने आकाओं की ओर से दिन-रात काम कर रहा है और पाकिस्तान से अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है।’’

पुस्तक में कहा गया है, ‘‘मादक पदार्थ को कुछ अन्य एजेंसियों की सांठगांठ से आईएसआई द्वारा संरक्षित दाऊद के तस्कर ला रहे हैं। ये कंटेनर में भी लाये जा रहे हैं जिनमें उपकरणों को मरम्मत के लिए कंधार और दक्षिणी अफगानिस्तान से पाकिस्तान लाया जाता है।’’

टंडन ने दावा किया कि मादक पदार्थ को दाऊद नकदी में तब्दील कर रहा है, जिसे पाकिस्तान में कानूनी संरक्षण से छूट प्राप्त है। उन्होंने भारत के बारे में बात करते हुए कहा कि स्विस बैंकों सहित विभिन्न बैंकों में जुलाई 1997 से निष्क्रिय पड़े 5,000 खातों की सूची जारी की गई।

पहली बार, सूची में भारतीय रियासतों के कुछ वंशजों के सदस्यों के नामों और उनके परिवारों द्वारा स्थापित न्यासों का खुलासा किया गया। टंडन ने कहा, ‘‘चैंकाने वाला एक नाम राजकुमारी कैथरीन हिल्दा दलीप सिंह और अंतिम बार 1930 के दशक में उपयोग किया गया एक ‘वॉल्ट’ है।

उन्होंने कहा, ‘‘महाराजा दलीप सिंह की बेटी कैथरीन का 1942 में निधन हो गया और उनकी वसीयत में स्विस बैंक खाते के नंबर का कोई जिक्र नहीं था।’’

पुस्तक के अनुसार, ‘‘आजादी के बाद के भारत में, स्विस बैंकों में और कर से छूट देने वाले देशों के बैंकों में बेहिसाब धन रखना नव धनाढ्य कारोबारियों, मादक पदार्थ के तस्करों, अंडरवर्ल्ड माफिया और अमीर भारतीयों के कुछ अन्य श्रेणियों के बीच जारी रहा।’’

पुस्तक में ग्लोबल फाइनेंशियल इंटेग्रिटी के आंकड़े का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि समझा जाता है कि भारतीयों ने ऐसे देशों में 644 अरब अमेरिकी डॉलर भेजे हैं।

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