खतरनाक हैं कच्ची उम्र में शारीरिक संबंध

खतरनाक हैं कच्ची उम्र में शारीरिक संबंध

विवाह से पहले सेक्स संबंध आज एक आम बात हो गई है। किशोरावस्था एक नादान उम्र होती है जिसमें लड़के-लड़कियों को बहकते देर नहीं लगती क्योंकि उनमें अपना अच्छा बुरा सोच पाने की परिपक्वता इस उम्र में नहीं होती। परिणाम स्वरूप वे ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जो उन्हें मुसीबत में डाल देती हैं।

यौन जिज्ञासा, अश्लील साहित्य, कामुक दृश्यों वाली फिल्में और ब्लू फिल्में विवाह पूर्व के सेक्स संबंधों के लिये काफी हद तक जिम्मेदार कही जा सकती हैं।

स्वस्थ वातावरण में पले बढ़े बच्चे जो मां-बाप के नजदीक होते हैं जिनका मां-बाप से खुला दुराव रहित व्यवहार होता है तथा जिनके बारे में मां-बाप को अच्छी समझ होती है, उनके कच्ची उम्र में सेक्स संबंध स्थापित करने के चांस बहुत कम होते हैं। इसके विपरीत घर में मिलने वाली उपेक्षा अक्सर बेटे व बेटियों को ऐसे संबंधों की ओर धकेल देती हैं। इसके अलावा आधुनिकता की लहर पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण फ्री सेक्स के खुले प्रचार और गर्भनिरोधक साधनों ने भी विवाह पूर्व यौन संबंधों को बढ़ाया है। मध्य, उच्च मध्यमवर्ग और धनाढ्य घरानों के किशोर आधुनिकता की तरफ ज्यादा आकर्षित हुए हैं।

जहां तक गरीब वर्ग का सवाल है, इस तबके के बच्चे भी कम उम्र में सेक्स संबंध रखते हैं लेकिन इसके कारण भिन्न हैं। घर में जगह की तंगी से परिवार के सभी सदस्यों को एक ही कमरे में सोना पड़ता है। मां-बाप अक्सर यौन क्रियाओं में लीन रहते हैं और बच्चों की नींद कभी भी खुल जाती है। इस तरह कम उम्र में लड़कियां उत्सुकतावश भी सेक्स में डूब जाती हैं।

उम्र से पहले बनाये गये यौन संबंधों का न केवल लड़कियों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है बल्कि वे मानसिक रूप से भी अस्वस्थ रहने लगती हैं। एक तो यह डर कि उन्होंने गलत काम किया है, उन्हें बेचैन किये रहता है दूसरा उनमें निराशा व कुंठा, अकेलेपन से जुड़ी असुरक्षा की भावना घर करने लगती है। इसी कारण अक्सर वे इन संबंधों से वी डी जैसे रोग लगा लेती हैं।

गर्भ ठहर जाने की सूरत में तो उन पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता हैं। अभी हमारा समाज इतना प्रगतिशील नहीं हुआ है कि कुंआरी मां को वर्जिन मेरी समझ ले। कई बार तो लड़कियां मां बाप और समाज के डर से ऐसी सूरत में खुदकुशी तक कर लेती हैं या नीम हकीमों के फेर में पड़कर अपनी सेहत खराब कर लेती हैं। अनुभवहीन दवाइयों द्वारा कराया गया गर्भपात कभी कभी शरीर में सेप्टिक का कारण बन देसी तरीके से गर्भपात करवाने वाली लड़कियां जीवन में दुबारा मां नहीं बन पाती हैं बच्चा खोने का दुख एवं एक अपराध बोध उनके जीवन का सुख हमेशा के लिए छीन लेता है।

एबॉर्शन करवाने के बाद सैक्स के प्रति उनके मन में वितृष्णा जन्म ले लेती है। उनमें आई फ्रिजिडिटी पति को उनसे विमुख कर देती है। कई बार यह स्थिति तलाक का कारण तक बन जाती है।

कम उम्र की लड़कियों को यह बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए कि समय से पूर्व सेक्स उनके लिए किस कदर तबाही का कारण बन सकता है उन्हें कभी किसी बोगस प्रेमी की बातों में या लालच में नहीं आना चाहिए। अगर प्रेमी सच्चा है तो वह कभी विवाह पूर्व शारीरिक संबंध पर जोर नहीं देगा। लड़कियों को चाहिए कि सुनसान एकांत जगहों पर अपने ब्वॉयफ्रैंड्स के साथ न जाएं। उनके साथ मर्यादित व्यवहार करें।

माता-पिता की यह जिम्मेदारी बन जाती है कि अपनी युवा होती बेटी पर निगरानी रखें जैसे कि वह किन लोगों के साथ उठती बैठती है, कैसी किताबें पढ़ती है आदि। मां को चाहिए उसे सेक्स के बारे में उचित जानकारी देकर समझाये कि विवाह पूर्व यह कितना खतरनाक और अनैतिक है और इसके क्या दुष्परिणाम हो सकते हैं।

(उर्वशी)

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