नयी दिल्ली/ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को तय समयानुसार शाम पांच बजे अपनी शैली में देश को संबोधित किया। अपने संबोधतन में पीएम मोदी ने ‘‘आत्मनिर्भर भारत’’ अभियान के तहत 22 सितंबर से लागू होने वाली वस्तु एवं सेवा कर की नई दरों का ज़िक्र किया। उन्होंने अपने संबोधन में ‘‘मेड इन इंडिया’’ का नारा भी दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘सोमवार यानी नवरात्रि के पहले दिन से देश में अगली पीढ़ी के जीएसटी रिफ़ॉर्म्स लागू हो जाएंगे। एक तरह से कल से देश में जीएसटी बचत उत्सव शुरू होने जा रहा है। इस जीएसटी बचत उत्सव में आपकी बचत बढ़ेगी और आप अपनी पसंद की चीज़ों को और ज़्यादा आसानी से ख़रीद पाएंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे देश के ग़रीब, मध्यमवर्गीय लोग, नियो मिडिल क्लास, युवा, किसान, महिलाएं, दुकानदार, उद्यमी… सभी को इस बचत उत्सव का बहुत फ़ायदा होगा।’’
लगभग 19 मिनट के अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि देश के व्यापारी अलग-अलग टैक्स के जाल में उलझे हुए थे। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे देश में दर्जनों टैक्स थे. एक शहर से दूसरे शहर माल भेजना हो तो न जाने कितने चेक पोस्ट पार करने होते थे, कितने फॉर्म भरने होते थे।’’
उन्होंने एक उदाहरण का ज़िक्र करते हुए कहा कि 2014 में जब वो पीएम बने थे, उस वक्त एक विदेशी अख़बार में एक दिलचस्प किस्सा छपा था। उन्होंने बताया, ‘‘एक कंपनी के बारे में लिखा था कि अगर एक कंपनी को बेंगलुरु से हैदराबाद (500 किलोमीटर) दूर अपना सामान भेजना हो तो उन्हें पहले अपना सामान बेंगलुरु से यूरोप और फिर वही सामान वहां से हैदराबाद भेजना होता था। इस कारण देश के लाखों करोड़ों लोगों परेशानी होती थी।
अपने भाषण के अंत में उन्होंने नवरात्रि और जीएसटी की नई दरों के लागू होने के लिए देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। कुल मिलाकर प्रधानमंत्री के संबोधन में साफ तौर पर अमेरिकी व्यापार युद्ध की छाया दिखाई दे रही थी। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने अपने हिन्दू चरित्र को भी साफ तौर पर उद्घाटित करने की कोशिश की।