नयी दिल्ली/ राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने बुधवार को सभापति जगदीप धनखड़ द्वारा उच्च सदन की कार्यवाही संचालित करने के तरीके पर सवाल उठाया। उन्होंने दावा किया कि किसी भी देश में सदन का पीठासीन अधिकारी सदस्यों को उनके भाषण के दौरान अक्सर बीच में नहीं रोकता, जबकि धनखर ऐसा कर रहे हैं।
सिब्बल ने संवाददाताओं से बातचीत में जम्मू-कश्मीर में हाल के आतंकवादी हमलों सहित कई मुद्दों पर सरकार पर निशाना साधा। निर्दलीय सांसद ने दावा किया, संसद में मतभेद बढ़ रहे हैं। राज्यसभा के सभापति सदन के सदस्यों से उन तथ्यों को प्रमाणित करने के लिए कहते हैं, जो सार्वजनिक पटल पर उपलब्ध होते हैं और जिन्हें प्रमाणीकरण की आवश्यकता नहीं है। जब वह कहते हैं कि कुछ भी रिकॉर्ड पर नहीं जाएगा, तो माइक्रोफोन बंद हो जाते हैं।
उन्होंने आरोप भी लगाया, विपक्ष को टीवी स्क्रीन पर नहीं दिखाया जाता है। दुखद बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यसभा के पूर्व सभापति हामिद अंसारी के कामकाज पर टिप्पणी की है। यह सही नहीं है। किसी को भी इस पद का सम्मान करना चाहिए और उस व्यक्ति के खिलाफ आरोप नहीं लगाना चाहिए जो जवाब देने के लिए सदन में नहीं है।
सिब्बल ने कहा, क्या इस तरह के आरोप के लिए भी प्रमाण की आवश्यकता है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, सदन में सिर्फ राजनीतिक भाषण देने से देश की स्थिति नहीं सुधरेगी।
सिब्बल ने कहा, यदि आप दुनिया की किसी भी संसद को देखें और किसी भी पीठासीन अधिकारी के रवैये को देखें तो कहीं भी सदन का पीठासीन अधिकारी अक्सर इस तरह से हस्तक्षेप नहीं करता है।
राज्यसभा सदस्य ने कहा, लेकिन मुझे लगता है कि भारत के पास सदन के कामकाज को संचालित करने के अपने अनूठे तरीके हैं। सत्ता पक्ष को अपना रवैया बदलना चाहिए और राष्ट्रीय चिंता के मामलों में विपक्ष से परामर्श करना चाहिए।