नयी दिल्ली/ दिल्ली उच्च न्यायालय में उपस्थित एक वरिष्ठ वकील ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर नकदी मिलने की कथित घटना पर शुक्रवार को ‘‘आश्चर्य और पीड़ा’’ व्यक्त की।
बता दें कि न्यायमूर्ति वर्मा के आवास में आग लगने के बाद यह राशि कथित रूप से बरामद हुई। इस मामले में वकील ने कहा कि ‘बार’ के कई वकील इस घटना से सकते में हैं। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय ने भी कहा, ‘‘हर कोई ऐसा ही महसूस कर रहा है। हमें जानकारी है।’’
वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण भारद्वाज ने मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ से भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाए जाने का अनुरोध किया।
भारद्वाज ने कहा, ‘‘आज की घटना से हम सभी को बहुत पीड़ा पहुंची है। कृपया प्रशासनिक स्तर पर कुछ कदम उठाएं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और न्यायिक प्रणाली की सत्यनिष्ठा बनी रहे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम व्यवस्था का बहुत सम्मान करते हैं। प्रत्येक न्यायाधीश का बहुत सम्मान किया जाता है। हम लोग सकते में हैं और हमारा मनोबल गिर गया है। कृपया कुछ कदम उठाएं। मैं केवल अपना दर्द व्यक्त नहीं कर रहा हूं बल्कि मैं अपने कई भाइयों का दर्द भी व्यक्त कर रहा हूं। कृपया कुछ कदम उठाएं ताकि ऐसी घटनाएं न हों।’’
न्यायमूर्ति वर्मा की अदालत के ‘कोर्ट मास्टर’ ने पूर्वाह्न करीब 11 बजे घोषणा की कि शुक्रवार को खंडपीठ अवकाश पर है और किसी भी जरूरी मामले का किसी अन्य पीठ के समक्ष उल्लेख किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति वर्मा के आवास से कथित रूप से बड़ी नकद राशि बरामद होने की घटना के बाद, उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम ने उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्थानांतरित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
न्यायमूर्ति वर्मा वर्तमान में बिक्री कर, माल एवं सेवा कर एवं कंपनी अपील जैसे मामलों की सुनवाई कर रही पीठ की अध्यक्षता कर रहे थे।
उनका आठ अगस्त, 1992 को एक वकील के रूप में पंजीकरण हुआ था। न्यायमूर्ति वर्मा को 13 अक्टूबर, 2014 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार, उन्होंने एक फरवरी, 2016 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली और 11 अक्टूबर, 2021 को उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया।