मुंबई/ अगले महीने से दवाओं पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाने की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की घोषणा के बाद शुक्रवार को स्थानीय प्रतिभूति बाजारों में फार्मा एवं आईटी शेयरों में भारी बिकवाली के चलते बड़ी गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स में 733 अंक और निफ्टी में 236 अंक का नुकसान देखा जा रहा है।
बीएसई का 30 शेयरों पर आधारित मानक सूचकांक सेंसेक्स 733.22 अंक यानी 0.90 प्रतिशत टूटकर तीन सप्ताह के निचले स्तर 80,426.46 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 827.27 अंक गिरकर 80,332.41 पर आ गया था।
एनएसई का 50 शेयरों पर आधारित मानक सूचकांक निफ्टी भी 236.15 अंक यानी 0.95 प्रतिशत की गिरावट के साथ तीन सप्ताह के निचले स्तर 24,654.70 अंक पर आ गया। घरेलू शेयर बाजारों में गिरावट का यह लगातार छठा कारोबारी सत्र रहा। इस दौरान सेंसेक्स में कुल 2,587.50 अंक यानी 3.16 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है जबकि निफ्टी 768.9 अंक यानी तीन प्रतिशत कमजोर हो चुका है।
दवाओं पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाने के फैसले के बाद अधिकांश दवा कंपनियों के शेयरों में गिरावट आई और बीएसई हेल्थकेयर सूचकांक 2.14 प्रतिशत गिर गया। वॉकहार्ट के शेयरों में 9.4 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। लॉरस लैब्स, बायोकॉन, जाइडस लाइफ, ग्लेनमार्क, सन फार्मा और डॉ रेड्डीज के शेयरों में भी गिरावट आई।
सेंसेक्स के समूह में शामिल कंपनियों में से महिंद्रा एंड महिंद्रा, इटर्नल, टाटा स्टील, बजाज फाइनेंस, एशियन पेंट्स, सन फार्मा, टेक महिंद्रा, इन्फोसिस, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और एचसीएल टेक में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई।
हालांकि, लार्सन एंड टुब्रो, टाटा मोटर्स, आईटीसी और रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में तेजी का रुझान देखा गया। ऑनलाइन कारोबार एवं संपत्ति प्रौद्योगिकी फर्म एनरिच मनी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी पोनमुडी आर. ने कहा, ‘ब्रांडेड और पेटेंट वाली दवाओं के आयात पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाने की अमेरिकी घोषणा के बाद भारतीय शेयर बाजारों में व्यापक बिकवाली के कारण भारी गिरावट रही। इस अप्रत्याशित कदम ने पहले से ही कमजोर निवेशकों की धारणा को और खराब करने का काम किया। एच-1बी वीजा शुल्क में वृद्धि के हाल के फैसले के बाद आईटी शेयरों में भी भारी बिकवाली हुई थी।’
छोटी कंपनियों के बीएसई स्मालकैप सूचकांक में 2.05 प्रतिशत की बड़ी गिरावट देखने को मिली जबकि मझोली कंपनियों के मिडकैप सूचकांक में 1.96 प्रतिशत की गिरावट रही। व्यापक बिकवाली के दबाव में सभी क्षेत्रवार सूचकांक गिरकर बंद हुए। दूरसंचार क्षेत्र में सर्वाधिक 2.69 प्रतिशत की गिरावट रही जबकि केंद्रित आईटी खंड में 2.43 प्रतिशत, आईटी खंड में 2.41 प्रतिशत और टिकाऊ उपभोक्ता खंड में 2.34 प्रतिशत की सुस्ती रही।
बीएसई पर सूचीबद्ध 3,100 कंपनियों के शेयर गिरकर बंद हुए जबकि 1,041 शेयरों में तेजी रही और 139 अन्य अपरिवर्तित रहे। जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘अन्य एशियाई बाजारों की तरह भारतीय बाजारों में भी बड़ी गिरावट देखने को मिली। दवाओं के आयात पर अमेरिका में नया शुल्क लगाने की घोषणा से फार्मा शेयर गिरकर बंद हुए। एक्सेंचर के कमजोर मार्गदर्शन एवं छंटनी की खबरों ने आईटी खंड में भी बिकवाली को जन्म दिया।’
एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी, जापान का निक्की, चीन का शंघाई कंपोजिट और हांगकांग का हैंग सेंग काफी गिरावट के साथ बंद हुए। यूरोप के शेयर बाजार सकारात्मक दायरे में कारोबार कर रहे थे। बृहस्पतिवार को अमेरिकी बाजार गिरावट के साथ बंद हुए थे।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बृहस्पतिवार को 4,995.42 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की शुद्ध बिकवाली की। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.27 प्रतिशत गिरकर 69.23 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।
बृहस्पतिवार को सेंसेक्स 555.95 अंक टूटकर 81,159.68 अंक और निफ्टी 166.05 अंक की गिरावट के साथ 24,890.85 अंक पर बंद हुआ था।