उषा जैन ‘शीरीं’
जीवन में यौन संबंधों की अनिवार्यता को उपेक्षित नहीं किया जा सकता क्योंकि सेक्स एक शाश्वत सत्य है। यह कुदरत का एक करिश्मा है। इसे अंजाम देने में कुदरत साथ देती है लेकिन यह जरूरी है कि युवक युवतियों को सेक्स के बारे में सही जानकारी हो।
आमतौर पर पति पत्नी के शारीरिक मिलन में अंतरंगता ही उनमें गहरा जुड़ाव पैदा करती है। दैहिक मिलन की इच्छा सफल दांपत्य के लिये एक जरूरी सी बात है। यह जरूरत दोनों तरफ की है। अक्सर औरत अपनी कामेच्छा को लेकर अति संवेदनशील होती है। पति की काम विरक्ति को खामोशी से सहते वह भीतर ही भीतर घुटती रहती है। इस बात को वह किसी से आसानी से बांट नहीं पाती। परिणामस्वरूप वैवाहिक जीवन में तनाव बढ़ने लगता है। परिणति अलगाव तक पहुंच जाती है।
इसके विपरीत कई औरतों की सेक्स के प्रति वितृष्णा का कारण पति का सेक्स में जरूरत से ज्यादा लीन रहना है। हमारा समाज पति के लिये इस विषय में जहां संकुचित विचार नहीं रखता, न ही औरत के लिये कठोर अनुशासन में रहना उचित मानता है। इस विषय में उसकी इच्छा चरित्राहीनता, बेशर्मी, निर्लज्जता करार दी जाती है इसीलिए यौन इच्छा को दबाये रखने से कई औरतें कुंठाग्रस्त रहने लगती हैं।
दंपतियों को चाहिए कि वे एक दूसरे के मन को पढ़ना सीखें। तन की पुकार अनसुनी न करें। अगर वे वास्तव में एक दूसरे को सच्चा प्यार करते हैं तो हर जरूरत की तरह सेक्स की जरूरतों का भी ध्यान जरूर रखें क्योंकि पति पत्नी के लिये सेक्स भी प्यार का ही हिस्सा है। यौन सुख दंपति को कभी बूढ़ा महसूस नहीं होने देता। उम्र के पड़ाव में एक ऐसा मुकाम भी आता है जब यौन संबंधों में शुष्कता आने लगती है। सिर्फ महिलाएं ही नहीं, पुरूष भी मेनोपॉज के दौर से गुजरते हैं। यौन शुष्कता होने पर पति पत्नी के संबंधों में ऊब और ठंडापन आने लगता है।
यह एक ऐसा नाजुक दौर है जब पत्नी की तरफ से जरा-सी ढील पति के कदमों को बहका सकती है। संवादहीनता की स्थिति समस्या को और बढ़ा देती है इसलिए बेहतर यह है कि उन्हें बैठकर स्पष्ट रूप से इस मुद्दे पर इंटेलिजेंट डिस्कशन कर लेनी चाहिए। एक दूसरे की चाहत जानकर उसके अनुसार उन्हीं तरीकों को अपनाकर वे यौन संतृप्ति प्राप्त कर सकते हैं।
बदलाव से ही नयापन लाया जा सकता है। विविधता से ऊब मिटाई जा सकती है। कोई शारीरिक तकलीफ होने पर डाक्टरी सहायता लेने में देर नहीं करनी चाहिए। ’जैसा चल रहा है चलने देते हैं, ‘ वाला एटीट्यूड दांपत्य के लिये घातक सिद्ध हो सकता है। कई दंपति नहीं जानते कि जरा सी लापरवाही के कारण वे क्या कुछ खो रहे हैं।
यह सच है कि स्वस्थ यौन संबंध ही प्रेम में प्रगाढ़ता लाते हैं और प्रेम यौन संबंधों में आनंद प्रदान करता है। सुखी दांपत्य के लिये यौन संबंधों का पर्याप्त ज्ञान अहम है। उम्र बढ़ने के साथ यौन क्रिया में कमी आ सकती है लेकिन समाप्त नहीं होती। शरीर का शैथिल्य इसमें बाधक इसलिए नहीं होता क्योंकि सेक्स का संबंध मन से अधिक है।
जहां सेक्स रहित वैवाहिक जीवन अस्वास्थ्यकर होता है उसकी अति और भी अस्वास्थ्यकर हो सकती है, इसलिये सेक्स को जरूरत से ज्यादा अहमियत देकर ऐतिहासिक काल के अय्याश राजा महाराजाओं की तरह इसमें लीन रहना व्यक्तित्व को खंडित ही नहीं करता बल्कि जीवन का संतुलन ही बिगाड़ कर रख देता है। यौन संबंधों में प्रगाढ़ता लाने के लिये पति पत्नी दोनों को एक दूसरे की इच्छाओं का सम्मान करना चाहिए। कहा भी गया है ’सेक्स इज इंपार्टेंट इन मैरिड लाइफ बट इट्स नॉट दि ‘बी ऑल एंड एंड ऑल।‘
(स्वास्थ्य दर्पण)