शरजील की जज बहन के बहाने भारत के समावेशी राष्ट्रवाद पर चर्चा 

शरजील की जज बहन के बहाने भारत के समावेशी राष्ट्रवाद पर चर्चा 

अभी हाल ही की बात है। देशद्रोह के आरोप में विगत कई वर्षों से जेल में बंद, शरजील इमाम की बहन फरहा निशात, बिहार लोक सेवा आयोग की 32वीं बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा पास कर जज बन गई हैं। यह खबर थोड़ी बहुत सुर्खियां तो बटोरी लेकिन इस पर चर्चा बहुत कम हुई। इस खबर की खास बात यह है कि एक ओर शरजील इमाम पर देश के संविधान को चुनौती देने का आरोप है, तो दूसरी ओर उसकी बहन फरहा देश के संविधान की रक्षा का प्रण ले रही हैं। यह एक परिवार में दो चिंतन को रेखांकित नहीं करता, अपितु आधुनिक भारतीय समावेशी राष्ट्रवाद को प्रस्तुत करता है। इस प्रकार की प्रशासनिक उदारता दुनिया में शायद ही कहीं देखने को मिलती है। 

दअरसल, दिल्ली दंगों के आरोपी शरजील इमाम की छोटी बहन फरहा निशात, बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा पास कर जज बन गयी हैं। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार को दिया है। इस घटना के बाद शरजील इमाम का परिवार एक बर फिर सुर्खियों में आ गया है। बता दें कि फरहा से जब शरजील को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि हमें अपनी न्यायिक व्यवस्था पर पूरा भरोसा है, मुझे उम्मीद है कि इसका निपटारा भी जल्द हो जाएगा। फरहा यहां साफ तौर पर भारतीय संविधान और यहां की न्यायिक व्यवस्था पर विश्वार व्यक्त करती दिख रही हैं। 

यह साधारण बात नहीं है। दुनिया के कई लोकतांत्रिक देशों में भी देशद्रोह के आरोपी के परिवार को बेहद शक की निगाह से देखा जाता है लेकिन भारत में ऐसी बात अभी तक देखने को नहीं मिली है। मसलन, जिस किसी ने भी देश की एकता और अखंडता को चुनौती दी, उसके खिलाफ तो कानून के अनुसार कार्रवाई हुई, लेकिन उसके परिवार को कभी शासन या प्रशासन के द्वारा पूर्वाग्रही रवैया अपनाते हुए नाहक तंग नहीं गया। यदि कुछ उदाहरण सामने आए भी हैं तो देश की न्यायिक व्यवस्था ने उन्हें भरसक न्याय दिलाने का प्रयास किया। इमाम की बहन इस बात से वाकफ हैं और यही कारण है कि वह देश की कानून व्यवस्था पर विश्वास व्यक्त कर रही हैं। 

शरजील इमाम के जेल जाने के लंबे समय बाद उनके परिवार को फरहा निशात के जज बनने से खुशी मिली है। 28 वर्षीय फरहा निशात ने कड़ी मेहनत से ये मुकाम हासिल किया है। शरजील के जेल जाने के बाद उनके परिवार के लिए यह पहला खुशी का मौका है। एक तरफ जहां फरहा की सफलता पर लोग उन्हें बधाई दे रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ शरजील के छोटे भाई मुज्जम्मिल इमाम के एक सोशल मीडिया पोस्ट ने भी सबका ध्यान खींचा। दरअसल, मुज्जम्मिल ने अपनी पोस्ट में लिखा, ‘‘जिंदगी का यही फलसफा है। एक भाई जुल्म के खिलाफ इंसाफ की लड़ाई लड़ने के लिए जेल में है तो दूसरी तरफ बहन जुल्म के खिलाफ इंसाफ देने के लिए जज की कुर्सी पर बैठेंगी। फरहा निशात ने 32वीं बिहार न्यायिक सेवा परीक्षा पास की है। उम्मीद है कि अपने कार्यकाल में तुम अपने फैसलों से किसी बेगुनाह के साथ जुल्म नहीं होने दोगी।’’

फरहा निशात ने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार को दिया। उन्होंने कहा कि सेल्फ स्टडी और परिवार के मार्गदर्शन से उन्होंने मुख्य परीक्षा पास की है, जबकि इंटरव्यू के तैयारी की लिए उन्होंने कुछ संस्थानों की मदद ली। फरहा को किताबें पढ़ना, बच्चों को पढ़ाना और सीरियल देखना पसंद है। उन्होंने कहा कि वे जल्द ही न्यायपूर्ण फैसले देकर समाज की सेवा करना चाहती हैं। 

दूसरी ओर, शरजिल इमाम को दखें। इमाम, कथित तौर पर राष्ट्र विरोधी बयानबाजी करने के आरोप में जनवरी 2020 में जहानाबाद से गिरफ्तार किया गया था। उन दिनों शरजील इमाम का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। उस वीडियों में इमाम, कथित तौर पर देश विरोधी बयानबाजी करते नजर आ रहे थे। पुलिस के मुताबिक वायरल वीडियो में शरजील इमाम भाषण देते नजर आ रहे हैं। पुलिस के अनुसार, ‘‘प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि यह वीडियो 16 जनवरी को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में एक सार्वजनिक भाषण के दौरान रिकॉर्ड की गई थी। वीडियो में शरजील को राष्ट्र विरोधी बयानबाजी करते हुए देखा जा सकता है। इसमें इमाम, उत्तर-पूर्व भारत को शेष भारत से काटने की बात करते नजर आ रहे हैं।’’ बता दें कि शरजील इमाम दिल्ली के शाहीन बाग में चल रहे विरोध-प्रदर्शन के शुरुआती दौर में उसके आयोजकों में से भी एक थे। 

जेएनयू छात्र शरजील इमाम पर आपराधिक साजिश, राष्ट्रद्रोह और धर्म के आधार पर समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने के आरोप लगाए गए हैं। दिल्ली पुलिस द्वारा इमाम पर भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए, 153 ए और 505 के तहत मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया गया था। असम पुलिस ने भी शरजील के भाषणों को लेकर उसके खिलाफ आतंकवाद रोधी कानून यूएपीए के तहत एक मामला दर्ज किया था। 

शरजील इमाम बिहार के अभिजात्य मुस्लिम परिवार से अपना तालुकात रखते हैं। शरजील के पिता अकबर इमाम बिहार की सत्तारूढ़ पार्टी जनता दल यूनाइटेल के नेता थे। शरजील इमाम जवाहरलाल नेहरू विश्विद्यालय में मॉडर्न इंडियन हिस्ट्री के छात्र हैं। शरजील ने आईआईटी मुंबई से कंप्यूटर साईंस में ग्रेजुएट कर रखा है। 

कुल मिलाकर हम देखते हैं कि भारत एक समावेशी राष्ट्रवादी चिंतन का देश है। यहां यदि छोटी-मोटी घटनाओं को छोड़ दें तो कोई बड़ा विवाद देखने को नहीं मिलता है। कई मौको पर ऐसा भी दिलाा कि जहां एक ओर परिवार का एक सदस्य देश के संविधान को चुनौती दे रहा होता है, वहीं दूसरा सदस्य संविधान की रक्षा के लिए पस्तुत होता है। पंजाब के कई आतंकवादियों के परिवारों में ऐसा देखने को मिलता है। यही नहीं पूर्वोत्तर के आतंकवाद हो, या जम्मू-कश्मीर के चरमपंथी। कई के परिवार में ऐसे उदाहरण देखने को मिल जाते हैं। कई माओवादी चरमपंथियों के संतान देश की सेवा के लिए आज अपना सबकुछ दाव पर लगा रखे हैं। इसलिए यदि भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करने वाले यह कहते हैं कि भारत में प्रशासनिक व संवैधानिक तौर पर समावेशिता का अभाव है, तो यह झूठ है और सत्य को साबित करने के लिए शरजिल इमाम की बहन फरहा काफी है। 

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