उषा जैन ‘शीरीं’
थोड़ी देर बाद ही उसकी कलीग और फास्ट फ्रैंड शीना का फोन आ गया। उसके साथ शाम को इंग्लिश मूवी और उसके बाद बढ़िया से होटल में डिनर का प्रोग्राम बन गया। अब मेट्रोज़ में एक नया कल्चर जोर पकड़ रहा है। कई आधुनिक बालाएं वैवाहिक बंधन में विश्वास नहीं रखतीं। उनके लिए शादी पैरों में बेड़ियां डाल देती है। शादी के बाद औरत की अपनी कोई जिन्दगी नहीं रह जाती है, उनकी आजादी छिन जाती है, इसी सोच के चलते वे शादी नहीं करतीं।
कई बार मजबूरी के चलते भी युवतियां शादी नहीं कर पातीं, मसलन दहेज की प्रॉब्लम, परिवार को सपोर्ट करने की बाध्यता या शक्लसूरत से अनाकर्षक होना, बेडौल होना या कोई शारीरिक दोष होना, ऐसे में अब वे अपने को किसी तरह कमतर नहीं आंकती हैं, न अपनी लाइफ में ऊब आने देती हैं। ये वो आधुनिक बालायें हैं जो अपने लिये भी जीना जानती हैं। इस बात को लेकर उनमें कोई अपराध बोध नहीं पनपता। जी तोड़ मेहनत के बाद कुछ मौजमस्ती वे अपना हक समझती हैं। अब ब्वायफ्रेंड्स से ज्यादा उनकी गर्लफ्रैंड्स की चाहत जोर पकड़ने लगी है।
रेशम और खुशी ऐसी ही सहेलियां हैं जो लेस्बियन की श्रेणी में आती हैं। इन दोनों के बीच दोस्ती इंटरनेट के जरिए से हुई थी। रेशम को शादी के लिए फोर्स किया जा रहा था जिसके लिए वो बिलकुल तैयार न थी। खुशी ने उसे अपने पास मुंबई आने तथा अपनी ही कंपनी में अच्छा सा जॉब दिलाने की पेशकश की।
बगैर देर किए रेशम मुंबई सखी के पास जा पहुंची। कुछ दिन में ही रेशम को खुशी की कंपनी में ही जॉब मिल गया। अब दोनों जिन्दगी का भरपूर लुत्फ उठा रही थीं। उन्हें एक बार एक कॉमन फ्रैंड से ‘लाइक माइंडेड वीमेन’ के एक क्लब के बारे में पता चला। उन्होंने वहां जाकर उनकी एक्टिविटीज तथा सदस्यों के बारे में जानकारी हासिल की जहां वे सदस्याएं अपने बोरियत भरे रूटीन से हटकर कुछ वक्त मौज मस्ती और सैर सपाटे में बिता कर अपने हिस्से की खुशियां जीवन में बटोर कर संतुष्टि महसूस करती थीं। यह आइडिया कोई ‘यूनिक आइडिया’ न था लेकिन इसे मटीरियलाइज करने का तरीका आधुनिक था।
आज बड़े शहरों में बड़े-बड़े होटल्स, क्लब, रेस्त्रांस आदि ‘ओनली विमेन नाइट’ ऑर्गेनाइज करते देखे जाते हैं। लड़कियों की दोस्ती को थीम बनाकर अब फिल्में भी बन रही हैं। कहानियां लिखी जा रही हैं याने कि अब यह ट्रेन्ड समाज में खूब चल पड़ा है। ‘सिंगल विमेंस क्लब’ एक ऐसी अवधारणा है जो महिलाओं में अपनी अस्मिता को लेकर जागरूकता का प्रतीक है।
आज समाज में ऐसी महिलाओं की कमी नहीं जो जीवन में एडवेंचर को आजादी के जश्न का एक हिस्सा मानकर पर्यटन, रोमांच को लेकर अति उत्साहित नजर आती हैं। महिलाओं का एक समूह ‘विमेन ऑन वांडर लस्ट’ इन्ट्रेस्टेड मेंबर्स को हिमालय से लेकर इजिप्ट तक घुमाने का काम करता है। एक अलग जिन्दगी की ख्वाहिश लिए वे अपना आसमान, अपनी जमीन ढूंढ रही हैं। वे नये-नये तरीके ढूंढ रही हैं जिन्हें आज़मा कर वे सुख की खोज पूरी कर सकें और आनंदित महसूस कर सकें, बगैर किसी पुछल्ले कमिटमेंट्स के और बगैर किसी अपराध बोध के।
महिलाओं में प्रायः जल्दी ही घुल मिल जाने की कला होती है। वे बहुत जल्दी घनिष्ठता स्थापित कर लेती हैं। वॉन्डर लस्ट ग्रुप की महिलाएं भी साथ घूमने फिरने के बाद अच्छी दोस्त बन कर लौटती हैं। अपने को रिचार्ज कर वे ताजगी अनुभव करती हैं। वे जान चुकी हैं अपने लिये जीना पाप नहीं है। यह उनका अधिकार है।
हजारों की संख्या में ये बालाएं ‘सिंगल विमेन क्लब’ की मेंबर बनने की कतार में लगी हैं। डांस पार्टी व नाइटलाइफ का आनंद उठाते हुए वे अपनी दबी हुई आकांक्षाओं को साकार करना चाहती हैं। आजादी का जश्न मनाते चाहे जैसे ये बालायें रहें, चाहे जो करें, लेकिन एक बात उन्हें हमेशा याद रखनी चाहिए कि बैलेंस इज द गोल्डन रूल। सीमाओं का अतिक्रमण उन्हें मुसीबत में डाल देगा और फिर लौट पाना मुश्किल होगा। आजादी बाहरी कम, भीतरी अहसास ज्यादा है।
(उर्वशी)