विवेक रंजन श्रीवास्तव अधिकांश आदिवासी प्रकृति के साथ न्यूनतम आवश्यकताओ में जीवनयापन करते हैं। वे सामन्यतः समूहों में रहते हैं और उनकी संस्कृति अनेक दृष्टियों
विवेक रंजन श्रीवास्तव अधिकांश आदिवासी प्रकृति के साथ न्यूनतम आवश्यकताओ में जीवनयापन करते हैं। वे सामन्यतः समूहों में रहते हैं और उनकी संस्कृति अनेक दृष्टियों