राम निवास कुमार “नारी तू नारायणी,चलता तुझसे ही संसार है,है नाजुक और सुंदर तू कितनी,तुझमें ओजस्विता और सहजता का श्रृंगार है…!” दरअसल, उक्त कविता के
राम निवास कुमार “नारी तू नारायणी,चलता तुझसे ही संसार है,है नाजुक और सुंदर तू कितनी,तुझमें ओजस्विता और सहजता का श्रृंगार है…!” दरअसल, उक्त कविता के