भयानक रहस्य : रठासी गांव स्थित भूत बावड़ी

भयानक रहस्य : रठासी गांव स्थित भूत बावड़ी

परमानन्द परम

जोधपुर से नब्बे किलोमीटर दूर पीपाड़-मेहता सिटी मार्ग के बीच बसा ‘रणसी’ नामक ऐतिहासिक गांव मारवाड़ का यह गांव कभी वीरों की रणभूमि रहा है। किंवदंती के अनुसार ‘रठासी गांव’ में बसने वाले युवा कुंआरों ने गांव के किसी सिद्ध ऋषि की बगीची उजाड़ने के साथ-साथ उसकी साधना में विघ्न डाला था, जिस पर ऋषि ने कुपित होकर इन कुंआरों को शाप दे दिया कि इस गांव में उनके वंशज पनप नहीं पायेंगे। शाप के भय से कुंआरे उस गांव से भाग खड़े हुए और जिस नये गांव में आकर बसे, वह आज ‘रठासी’ गांव के नाम से जाना जाता है।

‘रणसी’ गांव में भूतों के सहयोग से एक ‘बावड़ी’ (तालाब) का निर्माण हुआ जिसका नाम ‘भूतों की बावड़ी’ पड़ गया। यह बावड़ी 200 फुट से ज्यादा गहरी है तथा इसमें नक्काशीदार चैदह पोलें है और इसके भीतर जाने के लिए एक सौ चैहत्तर सीढ़ियां बनी हैं। सबसे ज्यादा आश्चर्य की बात यह है कि इसमें बने बड़े-बड़े खंडे (पत्थर) ‘लाक तकनीक‘ से लगाये गये हैं जो आधे झुके होने पर भी गिरते नहीं है।

बावड़ी की ऊपरी सीढ़ियों पर कुछ बड़े-बड़े पैरों के निशान पत्थरों पर हैं जिसे यहां के लोग ‘भूत के पांव’ के निशान मानते हैं। बावड़ी के ऊपरी हिस्से पर ‘भैरोंजी’ की प्रतिमा प्रतिष्ठित है। बच्चों के मुंडन व शादी के बाद पति-पत्नी ‘भैरोंजी’ को प्रणाम करने अवश्य ही जाते हैं।

इस रहस्यमयी बावड़ी के बारे में बताया जाता है कि संवत् 1600 में जब मारवाड़ के तत्कालीन महाराज राव मालदेव दरबार थे, उस समय इसी गांव के वीर योद्धा ठाकुर जयसिंह दरबार के महल में उच्चपद पर सेवारत थे।

एक बार ठाकुर जयसिंह जब अपने घोड़े से जा रहे थे तो वे थककर चिरढाणी गांव के निकट बरसाती नाले के समीप पानी पीने के लिए रूके। उनका घोड़ा भी प्यास से हांफने लगा था। ठाकुर जयसिंह घोड़े से नीचे उतरकर घोड़े को पानी पिलाने के लिए जब तालाब के (बरसाती नाले) के पास पहुंचे तो उस समय आधी रात बीत चुकी थी। छोड़ा पानी पीने के लिए ज्योंही आगे बढ़ा, ठाकुर जयसिंह को उस नाले के किनारे एक आकृति दिखाई दी।

वह तुरन्त ही मनुष्य के रूप में बदल गयी। ठाकुर साहब को बहुत आश्चर्य हुआ। तभी वह आदमी उठकर उनसे कहने लगा ‘मुझे भी पानी पिला दीजिए। मैं एक भटकती आत्मा (भूत) हूं, इसलिए इस नाले के पानी को नहीं छू सकता।’

ठाकुर जयसिंह देवी के उपासक थे, साथ ही निर्भीक भी थे अतः उन्होंने उस भूत को पानी पिलाकर उसे तृप्त किया। पानी पीने के बाद उस भूत ने ठाकुर से कहा- ‘आपके पास जो शराब रखी है, वह भी मुझे पिला दो।’ ठाकुर ने अपने पास रखी शराब के साथ ही अन्य खाद्य सामग्री को भी उसे दे दिया।

थोड़ी देर बाद उस भूत ने ठाकुर जयसिंह को कुश्ती लड़ने की चुनौती दी। ठाकुर हैरान रह गये लेकिन घबराये नहीं। उन्होंने ‘देवी’ का स्मरण किया और ‘भूत’ से मल्लयुद्ध करना प्रारम्भ कर दिया। लड़ते-लड़ते जब सुबह होने लगी तो भूत की शक्ति क्षीण होने लगी और उसने ठाकुर की अधीनता स्वीकार कर ली। ठाकुर ने एक गढ़, महल तथा पानी की बावड़ी बनाने का निर्देश भूत को दिया।

भूत ने ठाकुर को इस भेद को किसी को न बताने की शर्त रखी। ठाकुर ने भूत की शर्त मान ली ओर भूत के सहयोग से किला, महल एवं बावड़ी का निर्माण शुरू हो गया। आश्चर्यजनक रूप से अगले ही दिन से महल व बावड़ी की इमारतें बढ़ने लगी। पूरे गांव में कौतुहल-सा छा गया। यहां तक कि रात में पत्थर ठोंकने की भी आवाजें सुनायी देती थी परन्तु निर्माणाधीन स्थल पर कुछ दिखायी नहीं देता था। ठाकुर जयसिंह से लोगांे ने इस रहस्य के विषय में पूछना चाहा किन्तु शर्त के मुताबिक उन्होंने किसी को कछ नहीं बताया।

एक दिन जब जयसिंह की ठकुरानी ने महल व बावड़ी के बनने का रहस्य पूछा तो ठाकुर ने उन्हें भी बताने से साफ-साफ इनकार कर दिया। ठकुराइन रूठ गयी और अनशन शुरू कर दिया किन्तु ठाकुर ने फिर भी इस रहस्य को रहस्य ही रखा।

कुछ समय बाद ठाकुर जयसिंह बीमार पड़ गये और दिन-दिन उनकी हालत बिगड़ने लगी। ठाकुर ने सोचा कि अगर वे मर गये तो यह रहस्य, रहस्य ही रह जाएगा। मरणासन्न दशा होने पर ठाकुर ने भूत से की गई संधि को तोड़ते हुए ठकुराइन को सारा भेद बता दिया। इस संधि को तोड़ते ही उनका सात मंजिला महल सिर्फ दो मंजिला ही रह गया। बावड़ी का अंतिम हिस्सा (दीवार) भी अधूरा ही रह गया। लाल घाटू के पत्थरों से कलात्मक घड़ाईदार महल एवं बावड़ी देखने हजारों पर्यटक प्रतिवर्ष जाते हैं।

(अदिति)

(हमारा प्रबंधन अंधविश्वास को नहीं मानता है लेकिन रोचक तथ्य होने के कारण हम इसे सार्वजनिक कर रहे हैं। यह लेखक के विचार हैं। इससे हमारी सहमति का कोई सरोकार नहीं है।)

2 thoughts on “भयानक रहस्य : रठासी गांव स्थित भूत बावड़ी

  1. इस गांव का नाम रठासी गांव नहीं है
    ( इसका नाम रणसी गांव है )
    मेंरा नाम विजय गहलोत है
    तथा में इस गांव से 10 km दुर
    मादलिया गांव में रहता हूं
    ( इस गांव का नाम रणसी गांव इसलिए है क्योंकि
    इस गांव के बसने से पहले यहां रणसिंघा वाद्ययंत्र कि ध्वनि
    सुनाई देती थी )

  2. इस गांव का नाम रठासी गांव नहीं है
    ( इसका नाम रणसी गांव है )
    मेंरा नाम विजय गहलोत है
    तथा में इस गांव से 10 km दुर
    मादलिया गांव में रहता हूं
    ( इस गांव का नाम रणसी गांव इसलिए है क्योंकि
    इस गांव के बसने से पहले यहां रणसिंघा वाद्ययंत्र कि ध्वनि
    सुनाई देती थी )

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »