आतंकवाद विश्व मानवता के लिए सबसे बड़ी चुनौती

आतंकवाद विश्व मानवता के लिए सबसे बड़ी चुनौती

डॉ. नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी 

पिछले कुछ दशकों से दुनिया में बढ़ते आतंकवादी संगठनों से पूरा  विश्व त्रस्त और उनके  कोप का शिकार हो रहा  है। अभी पिछले  दिनों  हमास के आतंकियों ने इजरायल पर हमला करके सैकड़ों इजरायलियों की निर्मम हत्या कर दी और कुछ को बंधक भी बना लिया।इजरायली बच्चों की जिस बर्बरता से गला घोंटकर और काटकर हत्या की गई उस तरह की बर्बरता केवल आतंकी ही कर सकते हैं। आतंकवाद  का कोई धर्म नहीं होता। वह केवल आतंकवादी होता है और उसका काम है मार- काट करना।

इजरायल यहूदियों का एक छोटा देश है जो चारों तरफ से इस्लामिक मुल्कों से घिरा हुआ है। इजरायल के लोग अपनी मुल्क की सुरक्षा के लिए हमेशा कटिबद्ध रहते हैं।उसकी खुफिया एजेंसी विश्व की सबसे बेहतरीन खुफिया एजेंसी है।इजरायल का डिफेंस सिस्टम भी बहुत मजबूत है लेकिन इसके बावजूद उनकी सुरक्षा में सेंध लगाकर हमास के आतंकियों ने जिस तरह वहाँ हमले को अंजाम दिया, वह बहुत बड़ी चिंता का विषय है क्योंकि जब इजरायल की सुरक्षा व्यवस्था को धत्ता बताया जा सकता है तो फिर भारत जैसे लचर व्यवस्था वाले देश का तो सिर्फ भगवान ही मालिक है।

इजरायल के नाक के नीचे हमास इतने बड़े हमले की तैयारी करता रहा है लेकिन इजरायल को इसकी भनक तक नहीं लगी. ये तमाम उन सैटेलाइट्स व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा करता है  जिसके द्वारा दूसरे मुल्क की गतिविधियों पर नजर रखी जाती है।ये तो तय है कि जिस मुल्क में आपकी पैठ नहीं हो, वहाँ की सारी गतिविधियों पर नजर रखना नामुमकिन है। भारत के लिए उसका पड़ोसी देश पाकिस्तान हमेशा के लिए खतरा बना रहेगा। फिलिस्तीनियों को इजरायल के बगल में बसाना ही एक राजनीतिक भूल थी और इसका खामियाजा समय समय पर इजरायलियों और फिलिस्तीनियों को उठाना ही पड़ेगा।कोई भी इस्लामिक मुल्क इजरायल को देखना नहीं चाहता लेकिन यहूदियों की एक अलग किस्म की नस्ल है जो अपने वजूद को बचाये रखने में हमेशा सफल रही है।आज हमास के हमले में इजरायल को तात्कालिक नुकसान जरूर हुआ है लेकिन वह निश्चित तौर पर हमास का खात्मा करके ही दम लेगा  और हो सकता है कि फिलिस्तीन के गाजा पट्टी का इलाका पूरी तरह अपने कब्जे में कर लेगा।उत्तरी गाजा पट्टी इजरायल के कब्जे में ही रहेगा क्योंकि आने वाले युद्ध के बाद शायद यही स्थिति बन जाये।

सबसे कुसूरवार फिलिस्तीन का प्रशासन रहा है जिसने अपने यहाँ हमास जैसी आतंकवादी संगठन को फलने – फूलने का अवसर दिया । इस सबके पीछे  कट्टरवादी सोच है और यही कट्टरवादी सोच कभी आईएसआईएस जैसी आतंकी संगठन या तालिबानी मानसिकता वाले लोगों को प्रश्रय देती है।आज पाकिस्तान इस्लामिक देश है लेकिन वहाँ भी टीटीपी जैसे आतंकी संगठन आतंकवादी हमलों को अंजाम देते हैं ।पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन ही भारत में वर्षों से आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देते आ रहे हैं।आज भी कश्मीर में आये दिन आतंकी घटनाओं का दंश झेलना पड़ता है।सबसे दुःख की बात ये है कि इस्लाम के मानने वाले उदारपंथी लोग भी धर्म के नाम पर हो रहे आतंकवाद के खिलाफ चुप रहते हैं।कभी भी आतंकवादी घटनाओं पर खेद व्यक्त नहीं करते हैं।अगर इस्लाम के मानने वाले आतंकवादी घटनाओं के खिलाफ खड़े हो जायें तो कोई भी आतंकवादी संगठन खड़ा ही नहीं हो सकता।आज धर्म के नाम पर सबसे ज्यादा चंदा इस्लाम के मानने वाले लोग ही देते हैं जिसके बदौलत इस तरह की आतंकी संगठनों को फंडिंग की जाती है।कोई भी इस्लाम धर्म के मानने वाले इस बात का पता ही नहीं करते कि जो वे धर्म के नाम पर चंदा देते हैं उसका उपयोग किस तरह हो रहा है।इस तरह के चंदे से सिर्फ कुछ लोगों की जेब भरती है और दूसरा पूरे विश्व के आतंकी संगठनों के पास इसका पैसा जाता है।

आज हमास  फिलिस्तीन में वहाँ के लोगों से इजरायल के खिलाफ लड़ने के नाम पर जबरन चंदा वसूली करता है और ईरान और तुर्की और सीरिया जैसे देशों से मदद प्राप्त करता है।आज हमास का इजरायल पर इतना बड़ा हमला बगैर ईरान के समर्थन के नामुमकिन था।इजरायल पर हमला रातों-रात  नहीं किया गया था बल्कि इसकी तैयारी लगभग दो वर्षों से चल रही थी  क्योंकि अल अक्सा मस्जिद पर इजरायल द्वारा जब वहाँ कुछ दुर्व्यवहार किया गया था ,तभी से मुस्लिम देशों में एक क्षोभ था  और उसका बदला लेने के लिए हमास तैयारी में जुट गया था और वह बदला लेने में सफल भी रहा। इजरायल की सुरक्षा में चूक ऐतिहासिक रही क्योंकि ऐसी चूक की कल्पना कभी नहीं की जा सकती थी।

कहते हैं ना कि गीदड़ की मौत आती है तो वह शहर की ओर भागता है। उसी तरह हमास की मौत आई थी तो उसने इजरायल पर हमला किया क्योंकि ये तय है कि हमास का पूरी तरह खात्मा करके ही इजरायल दम लेगा और ऐसा होना भी चाहिए।भारत में कुछ विपक्षी राजनीतिक दल फिलिस्तीनियों का समर्थन कर रहे है जबकि मोदी सरकार इजरायल के साथ खड़ी है। आज इजरायल में वहाँ हमला होने के बाद वहाँ की विपक्षी दल सरकार के साथ सरकार में शामिल हो गई है और इसे कहते हैं देशभक्ति। इस देश के लोगों में यहूदियों की तरह देशभक्ति दूर दूर तक नहीं है और ये आज की बात नहीं है बल्कि सदियों से ऐसा होता आ रहा है वरना इस देश पर कभी भी आक्रांता शासन नहीं कर पाते।इस देश के गद्दारों ने ही उनके यहां आने दिया जिसका दंश आजतक ये देश झेल रहा है।

आज देश में हिंदुओं को जाति के नाम पर बांटकर देश को कमजोर करने की बात हो रही है। आज यूनाइटेड नेशंस जैसी नपुंसक संस्था इजरायल से युद्ध नहीं करने की अपील कर रही है जबकि वह भी हमास के कृत्यों की निंदा नहीं कर पा रहा है।रूस यूक्रेन में युद्ध किये जा रहा है। उस पर एक शब्द बोलने की साहस नहीं है।अब आने वाले समय में एक तृतीय विश्व युद्ध ना हो जाये, तब तक विश्व में शांति की स्थापना मुश्किल है।एक बार द्वितीय विश्वयुद्ध की तरह एक युद्ध और हो जाये तो सारे मुल्क पचास सालों के लिए शांत रहेंगे क्योंकि लड़ना झगड़ना इंसान की फितरत में है। इन आतंकवाद के जड़ों को समाप्त करने के लिए आम जनता को लड़ने को तैयार होना पड़ेगा।तभी जाकर इस समस्या का कुछ हल निकल सकता है अन्यथा पूरी दुनिया को आतंकवाद का दंश झेलना पड़ेगा।

(आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं। इससे हमारे प्रबंधन का कोई सरोकार नहीं है।)

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