गौतम चौधरी
पहले वह पुरुष था, फिर महिला बन गया और उसने शादी भी कर ली। उसका एक बेटा भी हुआ लेकिन यह सच नहीं था। सच तो यह था कि वह एक जासूस था और अपने मिशन के लिए केवल किरदार निभा रहा था। यानी मानों वह एक नाटक का पात्र हो और उसका निदेशन कोई और कर रहा हो। इस काम को वह इतनी सफाई से कर रहा था कि इसकी जानकारी किसी को नहीं थी। उस जासूस ने अपना मिशन पूरा किया और चीनी कारनामें की जब पोल खुली तो फ्रांसीसी सरकार अपने को ठगा महसूसने लगी।
आप सही समझ रहे हैं। हो सकता है आप नहीं जानते होंगे लेकिन बता दें कि चीन का जासूसी तंत्र पहले से बेहद प्रभावशाली रहा है। भारतीय पौराणिक ग्रंथों में एक कथा आती है। वह कथा चद्रवंशी राजा पुरुरवा की है। कथा के अनुसार वह बेहद खूबसूरत पुरुष था लेकिन एक दिन वह शिकार खेलते-खेलते यतियों के प्रदेश में चला गया और यतियों ने उसे पकड़ लिया। फिर उसे एक सुंदर युवती बना दिया गया। कई वर्षों तक वह वहां रहा फिर वह अपने यहां लौट आया और पुरुष में परिवर्तित हो गया। इसी कथा से थोड़ी मिलती-जुलती कथा आधुनिक युग की भी है। यति प्रदेश के बारे में बताया जाता है कि वह हिमालय के उत्तर में था। ऐसा कहा जाता है कि वहां के लोगों को पुरुषों को स्त्री बनाने की कला आती थी। संभवतः आज का चीन उस जमाने का यति प्रदेश रहा होगा। आधुनिक घटना चीन से ही संबंधित है।
आइए हम इस घटना को विस्तार से जानते हैं। यह घटना एक जासूस की है जो चीनी था और पुरुष होने के बाद भी युवती बन कर ऐसा काम कर दिया जो जासूसी इतिहास में अमर हो गया। वह चीनी जासूस 18 सालों तक लोगों को ही नहीं बल्कि अपने खुद के परिवार को चकमा देता रहा। उसने शादी भी की और उसका एक बच्चा भी था। हैरानी की बात है कि ये जासूस एक मर्द था और औरत बन कर चीनी मिशन को सफलता की ओर बढ़ाया। उसकी जिंदगी अच्छी खासी चल रही थी। मगर फिर एक दिन उसका सच सबके सामने आया, तो लोगों के पैरों तले जमीन खिसक गई।
जासूसी दुनिया की ये कहानी सबसे दिलचस्प किस्सों में से एक है। चीन का ये जासूस हाल हाल तक सुर्खियों में रहा। कहानी है साल 1964 की, जब फ्रांस निवासी बर्नार्डा बरसीकॉट की पोस्टिंग चीन के बीजिंग में मौजूद फ्रांसीसी दूतावास मे हुई। वो हर आम इंसान की तरह अपना काम खत्म करके घर लौट आता था। चीनी लोगों से खास दूरी बनाकर रखता था। च्वूमतमक ठल बर्नार्ड की शादी नहीं हुई थी। वो एक सरकारी घर में अकेला रहता था। तभी एक पार्टी का आयोजन किया गया, जिसमें बर्नार्ड भी शामिल हुआ। इस पार्टी में उसकी मुलाकात एक चीनी युवक से हुई और दोनों अच्छी तरह घुल मिल गए। कुछ समय बाद चीनी युवक ने बताया कि दरअसल वो एक लड़की है और लड़के की तरह रह रहा था। उसके घरवालों ने समाज के डर से उसे लड़की बनाकर रखा था। ये सुनकर बर्नार्ड भावुक हो गया और उसके दिल में चीनी युवक को लेकर प्यार उमड़ पड़ा। क्योंकि वो एक लड़की था, इसलिए बर्नार्ड उससे प्यार करने लगा। दोनों ने फैसला लिया कि ये बात वो किसी को नहीं पता लगने देंगे।
इसके बाद बर्नार्ड का चीन में कार्यकाल पूरा हो गया तो उसकी अगली पोस्टिंग मंगोलिया में थी। इस बीच चीनी शख्स (अब बर्नार्ड की पत्नी) ने उसे बताया कि वो गर्भवती है और उसका तीसरा महीना चल रहा है। डिलीवरी के समय वो चीन भी आया। इस बीच पत्नी ने उससे कहा कि बेटे के बारे में चीनी सरकार को पता चला तो मुसीबत हो सकती है। उसने बच्चे की सिर्फ फोटो दिखाई। ।कअमतजपेमउमदज बर्नार्ड ने चीन में रहने की इजाजत मंत्रालय से मांगी तो उसे जगह खाली होने पर चीन के लिए भेज दिया गया। अब बर्नार्ड यहां आ गया। बेटे से मिलवाने की जब भी बात आती थी तो बर्नार्ड को बहाना बता दिया जाता था। चीनी शख्स ने कहा कि उसे नौकरानी के साथ दूर भेजा गया है।
कुछ दिनों बाद चीनी शख्स ने बर्नार्ड से दूरी बना ली। उसने कहा कि अब कोई और तुमको चीनी सिखाएगा। दूसरा शख्स किंग था और बर्नार्ड इसे पहले से जानता भी था। दोनों में अच्छी दोस्ती हुई तो बर्नार्ड ने उससे मदद मांगी। बदले में किंग ने उससे कुछ खुफिया जानकारी मांगी तो अपने देश से दगा करके उसने जानकारी देना शुरू कर दिया। इसके बाद बर्नार्ड को चीन से निकालकर किसी और देश भेज दिया गया। फिर बर्नार्ड फ्रांस गया और एक गे शख्स से उसकी नजदीकियां बढीं। बर्नार्ड ने चीनी शख्स (पत्नी) के करीब आने की कोशिश करना नहीं छोड़ा। यहां उसने गे शख्स से मदद मांगी और फिर कुछ दिन बाद किंग ने खुशखबरी दी कि उसकी पत्नी और बेटा पेरिस में होने वाले इवेंट में आ सकते हैं। इसके बाद गे शख्स ने उसकी पत्नी और बेटे को रिसीव किया। बर्नार्ड को ऐसा लगा मानो उसके सपने पूरे हो गए हों।
शी यहां लड़की के रूप में ही आया था। लेकिन एक दिन घर पे पुलिस आई और उसे गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद पता लगा कि शी कोई औरत नहीं बल्कि एक मर्द है। वो एक चीनी जासूस है। उसने और किंग ने मिलकर बर्नार्ड को मोहरा बनाया था। दोनों ने बर्नार्ड से कम से कम 500 खुफिया दस्तावेज चीनी सरकार तक पहुंचाए थे। चीनी जासूस की इस दिलचस्प कहानी पर साल 1993 में ‘एम बटरफ्लाई’ नामक फिल्म भी बन चुकी है।
नोट : यह कहानी कई साइटों से कलेक्ट की गयी है। इसको मैंने केवल संपादित किया है। कहानी पुरानी है।