रांची/रायपुर/ रांची का एक साधारन लड़का, अमन साहू देखते-देखते डॉन बन गया। उस दुबले-पतले-से लड़के का नाम सुनते बड़े-बड़े कांप जाते थे। आखिर वह कैसे बना डॉन, आज हम बताएंगे उसकी पुरी क्राइम कुंडली। हालांकि पुलिस ने उसे एक मुठभेड़ में मार गिराने का दावा किया है।
क्राइम की दुनिया में मुकाम बनाने की चाह ने अमन साहू को अपराध की उस दलदल में में ढ़केल दिया, जहां से शायद ही कोई निकल पाता है। हालांकि उस दलदल का अंतिम मुकाम मौत ही होता है। हत्या, रंगदारी, अपहरण और लूटपाट को अंजाम देने वाला ये डॉन आज ही एक एनकाउंटर में मारा गया। अमन साहू का लॉरेंस विश्नोई से भी दोस्ती की बात चर्चा में आयी थी। वह लॉरेंस को गुर्गों की सप्लाई करता था और बदले में उसे स्वचालित हथियार उपलब्ध कराया जाता था।
अमन साहू का एनकाउंटर झारखंड के पलामू में हुआ है। राज्य के पुलिस महानिदेशक अनुराग गुप्ता ने एक दिन पहले कहा था कि झारखंड में अधिकतर अपराध की साजिशें जेलों के अंदर रची जाती हैं और आपराधिक गिरोह की मदद से उसे अंजाम दिया जाता है। उनके इस बयान के एक दिन बाद यह घटना सामने आई है।
पुलिस द्वारा मिली खबर में बताया गया है कि गैंगस्टर अमन साहू को झारखंड पुलिस छत्तीसगढ़ के रायपुर जेल से पूछताछ के लिए रिमांड पर रांची ला रही थी। इस दौरान पुलिस की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई और इसके बाद वह एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) जवान से इंसास राइफल छीनकर भागने लगा। पुलिस ने जब उसे रोकने की कोशिश की तो उसने पुलिस पर फायरिंग करनी शुरू कर दी। पुलिस की टीम ने भी जवाबी फायरिंग की। इस आमने सामने की गोलीबारी में अमन साहू को कई गोलियां लगी। इस दौरान साहू की घटनास्थल पर ही मौत हो गयी।
मामले पर पलामू एसपी ने बताया कि एंबुलेंस घटनास्थल पर भेजा गया है। घटना रामगढ़ थाना क्षेत्र में हुई है। मुठभेड़ उस वक्त हुई, जब अमन साहू को रायपुर जेल से लाया जा रहा था।
अमन साहू पर रायपुर में रंगदारी के दो मामले दर्ज थे। वो पिछले साढ़े तीन महीने से रायपुर जेल में था। जानकारी के मुताबिक, 40 पुलिसकर्मियों की टीम अमन साहू को झारखंड से प्रोडक्शन वारंट पर 14 अक्टूबर को रायपुर लेकर आई थी। बता दें कि छत्तीसगढ़ के कारोबारी प्रह्लाद राय अग्रवाल की कार पर फायरिंग केस में अमन साहू मुख्य आरोपी था। इसके अलावा पीआरए इंफ्रा कंपनी के सामने फायरिंग हुई थी, उसमें भी अमन साहू का हाथ होने की पुष्टि हुई थी।
पुलिस की ओर से मिली जानकारी में बताया गया है कि मुठभेड़ की घटना मंगलवार सुबह उस समय हुई जब 150 से अधिक मामलों में आरोपी और कुछ मामलों में दोषी ठहराए गए गैंगस्टर को छत्तीसगढ़ की रायपुर जेल से रांची लाया जा रहा था।
डीजीपी ने सोमवार को कहा था कि तीन गैंगस्टर – विकास तिवारी, अमन श्रीवास्तव और अमन साहू, जेलों के अंदर से आपराधिक साजिशों को अंजाम दे रहे हैं। सिमडेगा और हजारीबाग जेलों में छापेमारी की गई है। इसके बाद यह घटना हुई।
हालांकि अमन की मुठभेड़ में मारे जाने की घटना को लेकर कुछ सवाल भी खड़े होने लगे हैं। इधर के दिनों में झारखंड की कानून व्यवस्था लगातार बदतर होती जा रही थी। दो-तीन दिन पहले ही एनटीपीसी के डीजीएम की अपराधियों ने हत्या कर दी। इसको लेकर पुलिस और सरकार दोनों पर सवाल खड़े होने लगे थे। जानकारों का कहना है कि एनटीपीसी डीजीएम की हत्या को लेकर पुलिस बेहद दबाव महसूस कर रही थी। उस मामले में जांच अभी चल रही है। उस हत्या से किसको फायदा हो रहा है, इसे भी समझने की जरूरत है। अमन और अन्य गैंगेस्टर अपना रैकेट तो चला ही रहे थे लेकिन वे बिना किसी बाहरी सहयोग से ऐसा नहीं कर सकते हैं। हालांकि जांच इस पर भी बैठेगी लेकिन सवाल तो खड़े हो ही रहे हैं। एक जानकारी में यह भी बताया गया है कि डीजीएम मर्डर मामले में पूछताछ के लिए अमन को झारखंड लाया जा रहा था।
मली जानकारी के अनुसार पलामू जिले के चौनपुर के अंधारी ढोडा के पास झारखंड के सबसे बड़े गैंगस्टर अमन साहू को गोली मारी गयी। अमन साहू पिछले तीन महीने से रायपुर के जेल में बंद था। रांची के बरियातू में कोयला कारोबारी पर हुए हमले और हजारीबाग में हुए एनटीपीसी डीजीएम के मर्डर मामले में पूछताछ को लेकर अमन को रांची लाया जा रहा था।
कौन था अमन, जिसका तीन राज्यों में फैला था साम्राज्य
झारखंड का कुख्यात अमन का झारखंड ही नहीं छत्तीसगढ और ओड़िशा तक फैला था साम्राज्य। अमन का गैंग छत्तीसगढ़ में भी एक्टिव थी। उस पर छत्तीसगढ़ में भी कई मामले दर्ज थे। सोमवार को उसे रायपुर की सेंट्रल जेल से झारखंड ले जाया गया था, लेकिन मंगलवार की सुबह जानकारी आई है कि झारखंड के पलामू में अमन साहू का एनकाउंटर हो गया है।
जानकारों की मानें तो अमन बेहद शातिर था। वह मीठा बोलता था और व्यवहार में बेहद शालीन था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अमन साहू मूल रूप से झारखंड के रांची जिला स्थित छोटे से गांव मतबे का रहने वाला था। उसकी वास्तवित ट्रेंनिंग माओवादियों द्वारा किया गया था। कुछ जानकारों का यह भी कहना है कि भाजपा शासन काल में वह माओवादी गतिविधि से अलग होकर अपना खुद का गैंग बना लिया और अवैध वसूली प्रारंभ कर दी।
छत्तीसगढ़, झारखंड, ओड़िशा समेत कई राज्यों में 150 से ज्यादा मामले उसपर दर्ज थे। पहले वह झारखंड की सरायकेला जेल में बंद था, लेकिन जब जेल से भी उसकी गैंग तेजी से अपराधों को अंजाम दे रही थी तो उसे छत्तीसगढ़ की रायपुर सेंट्रल जेल में भेज दिया गया था। वहां भी वह अपने गैंग को खड़ा कर लिया। रांची और झारखंड में वहीं से वह दिशा-निदेर्शन देता था। अमन साहू एक आपराधिक मामले में 6 साल की सजा सुनाई गई थी, जबकि एक और मामले में उसे तीन साल की सजा सुनाई गई थी। जहां वह जेल में अपनी सजा काट तो रहा था, लेकिन अपराध की दुनिया में भी तेजी से आगे बढ़ रहा था।
रांची के एक छोटे से गांव के लड़के अमन साहू के गैंगस्टर बनने की कहानी दिलचस्प है। कभी रांची तक ही सीमित रहने वाला कम उम्र का यह लड़का धीरे-धीरे विदेशों में भी सक्रिए माना जाता था। 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद आम लड़कों की तरह उसने कुछ डिप्लोमा किए और एक मोबाइल की दुकान खोल ली थी। इसी दौरान उसकी मुलाकात कुछ माओवादी नेताओं से हुई और वह माओवादी गतिविधियों में शामिल होने लगा। धीरे-धीरे उसका अपराधियों के साथ उठना बैठना शुरू हुआ और देखते ही देखते उसे जुर्म का रास्ता अच्छा लगने लगा और वह खुद भी जुर्म की दुनिया में एक्टिव हो गया। मीडिया रिपोर्ट में अमन साहू के बारे में छपी जानकारियों के मुताबिक 2013 में वह पूरी तरह से अपराध की दुनिया में उतर आया था और उसने अपनी गैंग बना ली थी। माना जाता है कि उसने अपने साथियों के साथ व्यापारी और बिल्डर्स को धमकाना शुरू किया और एक्सटोरशन का धंधा शुरू कर दिया था।
अमन साहू की गैंग का नेटवर्क बड़ा माना जाता है। लॉरेंस बिश्नोई गैंग से संबंध के अलावा दावा किया जाता है कि वह झारखंड और छत्तीसगढ़ के कई जिलों में अपना नेटवर्क फैला चुका था। उसकी रडार पर बड़े आदमी रहते थे। क्योंकि झारखंड के कोयलांचल इलाके में वह दहशत का प्रयाय बन चुका था। 2019 में उसे गिरफ्तार किया गया था लेकिन 29 सितबर को वह पुलिस की कैद से फरार हो गया। बाद में उसे वर्ष 2022 में फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। जब उसे रायपुर लाया गया था तब 30 से ज्यादा पुलिस के जवान उसे कड़ी सुरक्षा में लेकर पहुंचे थे।
अमन साहू 2024 में हुए झारखंड विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा चाहता था। उसने न्यायालय से जेल से ही झारखंड विधानसभा चुनाव लड़ने की इजाजत मांगी थी लेकिन झारखंड और छत्तीसगढ़ की माननीय उच्च न्यायालयों ने उसकी याचिका खारिज कर दी।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी अमन साहू और उसकी गैंग के नाम से कई पेज बने हुए थे, जिसमें अमन साहू की कई तस्वीरें खतरनाक हथियारों के साथ चस्पायी गयी थी। उन साइटों पर वह अलग-अलग पोज देता हुए दिखाई देता था। अमन साहू को जब भी पुलिस किसी एक जेल से दूसरे जेल में ले जाती थी, तब उसे हाई प्रोटेक्शन के साथ ले जाया जाता था।