सुभाष शिरढोनकर
एक नेशनल और 4 फिल्मफेयर अवॉर्ड से सम्मानित, लगभग 45 फिल्में कर चुके, 39 वर्षीय एक्टर राजकुमार राव हरियाणा के गुरुग्राम में पैदा हुए। हिंदी फिल्म जगत के एक्टर मनोज बाजपेयी से प्रेरित होकर स्कूल के दिनों में ही राजकुमार राव ने एक्टर बनने की तैयारी शुरू कर दी थी।
स्कूल में होने वाले नाटकों में वह अक्सर हिस्सा लिया करते थे। स्कूल के बाद जब वो आगे की पढाई के लिए दिल्ली के आत्म राम सनातन धर्म कॉलेज पंहुचे तो वहां भी यह सिलसिला जारी रहा।
दिल्ली में राजकुमार ने क्षितिज थिएटर ग्रुप जॉइन कर लिया। ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद 2008 में उन्होंने पुणे के भारतीय फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट में एडमिशन लिया और 2 साल का एक्टिंग कोर्स पूरा किया।
जब वह फिल्मों में काम करने के इरादे से मुंबई आये, तब उनका असल स्ट्रगल शुरू हुआ। जब लाख कोशिशों के बावजूद फिल्मों में काम नहीं मिला तब गुजर बसर के लिए उन्होंने छोटे-मोटे ऐड में काम करना शुरू कर दिया। राम गोपाल वर्मा ने उन्हें पहली बार ‘रन’ (2010) में एक न्यूज प्रजेंटर के छोटे से रोल में चांस दिया।
‘रन’ (2010) के दौरान ही उन्हें दिबाकर बनर्जी निर्देशित ’लव सैक्स और धोखा’ (2010) मिल गई। इस फिल्म में पहली बार लोगों ने राजकुमार राव को नोटिस किया। बॉक्स ऑफिस पर इस फिल्म ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया।
अनुराग कश्यप ने उन्हें ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर 2’ (2012) में शमशाद आलम के रोल के लिए कास्ट किया । इसके बाद राजकुमार राव ’काई पो चे’ (2013), ’शाहिद’ (2013), ’सिटी लाइट्स’ (2014) और ’क्वीन’ (2014) जैसी फिल्मों के जरिये बेहद शानदार तरीके से आगे बढते गए। कामयाबी लगातार उनके कदम चूमती रही।
’डॉली की डोली’ (2015) और ’हमारी अधूरी कहानी’ (2015) की नाकामी ने राजकुमार राव के कैरियर की रफ्तार को अचानक धीमा कर दिया लेकिन ’अलीगढ’ (2016) ने उन्हें एक बार फिर उत्कृष्ट अभिनेता साबित किया। उसके बाद ’न्यूटन’ (2017) उनके लिए, ढेर सारी, खुशियां लेकर आई। इस फिल्म को भारतीय प्रतिनिधि फिल्म के तौर पर, ऑस्कर अवार्ड के लिए भेजा गया। फिल्म में उनके अभिनय को सभी ने खूब सराहा और पसंद किया।
’ट्रेप्ड’ (2017), ’बरेली की बर्फी’ (2017) और ’स्त्री’ (2018) के बाद राजकुमार राव ने दर्शकों के दिलों में खास जगह बना ली। श्रद्धा कपूर के साथ वाली हॉरर कॉमेडी ’स्त्री’ (2018), उनकी 100 करोड़ के क्लब में शामिल होने वाली व्यावसायिक रूप से सबसे बड़ी फिल्म साबित हुई।
अपहरण, हत्या और जिहाद वाली कहानी पर आधारित हंसल मेहता निर्देशित ’ओमेर्टो’ (2018) के जरिये राजकुमार राव ने खुद में खलनायकी तलाशने की कोशिश की लेकिन जिसके लिए वे जाने जाते हैं, उस तरह का असर छोड़ पाने में नाकाम रहे । अपनी एक्टिंग और डायलोग डिलेवरी से हमेशा प्रभावित करने वाले राजकुमार, इस बार अपनी इन दोनों ही विधाओं में कुछ कमजोर नजर आए।
राजकुमार राव ने बिना देर किए पहले वाले ट्रेक पर आकर हंसल मेहता की फिल्म ’छलांग’ (2020), दिनेश विजन की हॉरर कॉमेडी ’रूही’ (2021) ’द व्हाइट टाइगर’ (2021) ’हम दो हमारे दो’ (2021) और भूमि पेडनेकर के साथ ’बधाई 2’ (2022) जैसी फिल्में की और आज बॉलीवुड में उनकी एक खास पहचान है।
इन 13 सालों में राजकुमार राव एक से बढकर एक कई बेहतरीन फिल्मों का हिस्सा रह चुके हैं। उनका फिल्मी सफर काफी दिलचस्प और उतार चढाव भरा रहा है। आज बॉलीवुड में उनकी व्यस्तता का आलम कुछ ऐसा है कि वो चैतरफा फिल्मों से घिरे हुए हैं।
छह साल पहले अल्ट बालाजी की वेब सिरीज श्बॉसरू डेडध्एलाइवश् (2017) के जरिये ओटीटी पर डेब्यू करने वाले राजकुमार राव हाल ही में कैरियर की दूसरी वेब सिरीज श्गन्स एंड गुलाब्सश् (2023) में नजर आए। नेटफ्लिक्स पर ऑन स्ट्रीम हुई इस वेब सिरीज में उनके काम को खूब पसंद किया गया।
राजकुमार राव जिस तरह से कंटेंट का चयन कर, अपने किरदार को साकार करने के लिए जी जान लगा देते हैं, उससे उनका समर्पण और प्रतिभा उजागर होती है। वो हर वक्त अपनी एक्टिंग के जरिए किरदार में जान फूंकते नजर आते हैं।