गौतम चौधरी
व्हाट्सएप ने हाल ही में उनकी सेवा का उपयोग करने वाले या अन्य प्रकार के इंटरनेट डेटा के उपयोगकर्ता को डेटा प्रबंधन करने के तरीके में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इस बदलाव के तहत सोशल मीडिया कंपनी व्हाट्सएप अब अगर कोई व्यक्ति (व्यवसाय खाता होने) नई गोपनीयता नीति को स्वीकार करता है तो उसके डेटा के एक हिस्से को फेसबुक के साथ साझा किया जायेगा। व्हाट्सएप की घोषणा के बाद व्हाट्सएप को दुनिया भर में उसके उपयोगकर्ताओं द्वारा भारी विरोध किया गया। सोशल मीडिया पर गंभीर नाराजगी के बीच, कई उपयोगकर्ता व्हाट्सएप को छोड़ने का फैसला किया और टेलीग्राम, सिग्नल और बीआईपी सहित अन्य वैकल्पिक मैसेजिंग एप्प में स्थानांतरित हो गए। वे सभी वैकल्पिक मैसेजिंग एप्प समान सुविधाएँ और कार्यक्षमता प्रदान करते हैं।
बीआईपी एप्प एक ऐसा एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर है जो अपने दोस्तों और परिवार को संदेशों को भेजने और सक्रिय कॉल करने में मदद करता है। बीआईपी ऐप खुद को एक सुरक्षित और आसानी से उपलब्ध संचार मंच के रूप में पेश किया है। लेकिन हमें इस ऐप को लेकर थोड़ा सतर्क रहना होगा। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण यह ऐप एक ऐसे देश के स्वामित्व वाली कंपनी का हिस्सा है, जो भारत के लिए सदा संदिग्ध रहा है। दरअसल, बीआईपी एप्लीकेशन, तुर्की के एक प्रमुख मोबाइल ऑपरेटर द्वारा विकसित किया गया है। तुर्की भारत को लेकर लगातार नकारात्मक बयान देता रहा है। जबकि तुर्की के लिए पाकिस्तान अहम है। तुर्की जिसका अभी हाल ही में नाम बदल कर तुर्कीय कर दिया गया है, एक कट्टर इस्लामिक व्यवस्था वाले देश के रूप में विकसित हो रहा है। तुर्की आॅटोमन साम्राज्य और इस्लामिक खलीफावाद का पोषक बन कर उभरा है। यह भारत ही नहीं दुनिया के लिए खतरनाक है। यह इस्लामिक साम्राज्यवाद को प्रश्रय देने लगा है। इसलिए इस देश को संदेह की दृष्टि से देखा जाना जरूरी है। दूसरी बात यह है कि तुर्की हमारे पड़ोसी और पारंपरिक दुश्मन देश पाकिस्तान का पक्ष लेता रहा है। साथ ही तुर्की, पाकिस्तान के द्वारा प्रायोजित एक खास प्रकार के इस्लामिक आतंकवाद का भी हिमायती रहा है।
बीआईपी सोशल मीडिया मंच यानी मैसेजिंग ऐप के तुर्की में अपनी उत्पत्ति के कारण इस ऐप्प ने दुनिया के मुसलमानों के बीच व्यापक लोकप्रियता हासिल की है। बीआईपी ऐप हर गुजरते दिन के साथ अपना यूजर बेस बढ़ा रहा है। तुर्की के राष्ट्रपति और रक्षा मंत्रालय सहित तुर्की के शीर्ष संस्थानों ने अपने व्हाट्सएप समूहों को बीआईपी में स्थानांतरित कर दिया है। गूगल प्ले स्टोर में बीआईपी अब बांग्लादेश, बहरीन, पाकिस्तान, कतर, ओमान और सऊदी अरब आदि जैसे मुस्लिम देशों में पहले स्थान पर है। आंकड़े के मुताबिक इसे कुछ दिन पहले तक कुल 65 मिलियन बार डाउनलोड किया गया है।
किसी निर्णय पर पहुंचने से पहले हर मुसलमान को बीआईपी के दो पहलुओं का विश्लेषण करना चाहिए। पहला और महत्वपूर्ण बिंदु ऐप पर एक अग्रणी तुर्की मोबाइल ऑपरेटर का नियंत्रण है तथा दूसरा राष्ट्रपति सहित तुर्की प्रशासन का व्हाट्सएप से बीआईपी की ओर सामूहिक प्रवास का होना है। ऐप के बारे में उपलब्ध सूक्षम विवरण से पता चलता है कि तुर्की सरकार ऐप के कामकाज पर पिछले दरवाजे से नियंत्रण रखता है। यह प्रत्येक भारतीय, विशेष रूप से मुसलमानों के लिए गंभीर चिंता का विषय है। अगर कोई विदेशी सरकार किसी विशेष ऐप को चलाने में शामिल है तो यह निजता और सुरक्षा दोनों के लिए खतरनाक है।
यह उल्लेख करने की आवश्यकता नहीं है कि तुर्की के वर्तमान राष्ट्रपति खुद को मुसलमानों के सर्वोत्तम नेता के रूप में प्रोजेक्ट करते हैं और इस्लामिक खलीफा को वापस लाने की अपनी छिपी इच्छा का पोषण करते हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए की आतंकवादी समूह आईएसआईएस द्वारा इस्लामिक स्टेट की स्थापना के प्रयास के परिणामस्वरूप बहुत अधिक रक्तपात और असंख्य मुस्लिम जीवन का नुकसान पहले हो चूका है। खिलाफत अंततोगत्वा मुसलामनों के लिए ही खतरा पैदा करेगा। खिलाफत राष्ट्र की सीमा को नहीं मानता है। तुर्की लंबे समय तक आॅटोमन साम्राज्य का नेतृत्व किया है। इसलिए उसे यह अच्छा लगता है लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि तुर्की ने ही सउदी नेता की सरेआम गला रेट कर हत्या करवाई थी। तुर्की एसा फिर से कर सकता है। इसलिए जो देश अन्य देश की सीमा का आदर नहीं करे वह दुनिया की शांति के लिए खतरनाक है।
ऐसा ऐप जिसकी गोपनीयता और स्वामित्व पर वैश्विक विवरणों को स्पष्ट किया जाना अभी बाकी है, निश्चित रूप से हमें इसके इस्तेमाल पर सावधानीपूर्वक विचार करना चाहिए क्योकि ऐप के विकास के पीछे कई निहित स्वार्थ हो सकते हैं। एप्लिकेशन के स्वामी अपने स्वयं के लाभों तथा शोषण के लिए उपयोगकर्ताओं को इस्तेमा कर सकते है। परिणाम भले कुछ भी हो परन्तु उपयोगकर्ता को इसका खामियाजा तो भुगतना ही पड़ेगा।
भारतीय मुस्लिमों को बीआईपी ऐप के संजाल से बचना चाहिए। भारतीय मुस्लिम उपयोगकर्ताओं के डेटा को कभी भी आम किया जा सकता है, जो उन्हें भारी परेशानी में डाल सकता है। ऐसी संभावनाएं हैं कि उनके डेटा का उपयोग चरमपंथी संगठन द्वारा किया जा सकता है जो अंततः उन्हें भारतीय खुफिया एजेंसियों व कानून प्रवर्तन एजेंसियों के रडार पर ला सकता है। आगे चलकर बैंक गतिविधियों, अपराधियों द्वारा जबरन वसूली और धोखाधड़ी का शिकार बना सकता है।
इसलिए बीआईपी ऐप से सावधान रहना जरूरी है। जैसा कि हमने पहले बताया है, व्हाट्सऐप कुछ डेटाओं को बेच रहा है। यह खतरनाक है। हालांकि व्हएट्ऐप का अपना वैश्विक प्रबंधन है। दुनिया में यह प्रतिष्ठा प्राप्त कर चुका है। साथ ही कई देशों की सरकार और कानून इसको मान्यता प्रदान कर दिया है लेकिन बीआईपी के साथ ऐसी बात नहीं है। भारत ने इस ऐप की मान्यता प्रदान नहीं की है। इसलिए इससे बचना ही बेहतर होगा।