गुवाहाटी/ कोविड-19 का हवाला देते हुए प्रतिबंधित संगठन उल्फा (इंडीपेंडेंट) ने इस साल मई में घोषित एकतरफा संघर्षविराम को शनिवार को अगले तीन महीने के लिए बढ़ाने की घोषणा की। यही नहीं उल्फा आई ने इस बार स्वतंत्रता दिवस में खलल डालने से भी परहेज किया है लेकिन संगठन के नेता ने यह कहा है कि हमारे कार्यकर्ता लोकतांत्रिक तरीके से स्वतंत्रता दिवस का विरोध करेंगे। काला झंडा पहराएंगे और अपने बांहों पर काली पट्टी बांधेंगे।
उल्फा (आई) के कमांडर इन चीफ परेश बरुआ ने पत्रकारों को ई-मेल के माध्यम से कहा कि संगठन ने 15 मई को संघर्ष विराम की घोषणा की थी और उसने अगले तीन महीने की अवधि के दौरान किसी भी प्रकार के अभियान से दूर रहने का फैसला किया है क्योंकि लोग महामारी के कारण मुश्किलों का सामना कर रहे हैं।
बरुआ ने कहा, ‘‘कोविड-19 की स्थिति अभी सुधरी नहीं है और अपनी सामाजिक जिम्मेदारी के तहत हमने संघर्ष विराम को अगले तीन महीने के लिए बढ़ा दिया है और इस दौरान कोई अभियान नहीं चलाया जाएगा।’’
इस गतिविधि पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा, ‘‘यह बहुत साहसी और सकारात्मक घोषणा है। उल्फा (आई) ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर किसी तरह के बंद का भी आह्वान नहीं किया है जो पहले चलन हुआ करता था। ये कदम सराहनीय हैं। मुझे आशा है कि संघर्ष विराम स्थायी होगा और परेश बरुआ के नेतृत्व में संगठन मुख्यधारा में लौट आएगा।’’
सरमा ने 10 मई को राज्य के मुख्यमंत्री का कार्यभार संभालने के बाद संगठन से बातचीत के लिए आगे आने का अनुरोध किया था। तीन दशकों में पहली बार, उल्फा (आई) ने घोषणा की है कि वह महामारी, दक्षिण एशिया में सीमा संघर्ष, बाढ़, कटाव और बेरोजगारी सहित कई मुद्दों के कारण इस स्वतंत्रता दिवस पर किसी भी ‘‘सशस्त्र विरोध’’ में शामिल नहीं होगा या बंद का आह्वान नहीं करेगा, जो पहले आम था।
संगठन ने हालांकि लोगों से उल्फा का झंडा फहराकर, काला बिल्ला (बैज) और कोविड-19 प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करते हुए काले झंडे दिखाकर ‘‘लोकतांत्रिक रूप से’’ इस दिन का विरोध करने का आग्रह किया है।