विवेक रंजन श्रीवास्तव
भारतीय संविधान विश्व के चुनिंदा आदर्श डाक्यूमेंट्स में से एक है। हमारे संविधान निर्माताओ ने बड़े सोच विचार के उपरांत इसमें यह प्रावधान तो किया कि हमें देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड अपनाना है। संविधान निर्माताओं ने अन्य कई मामलों जैंसे – राष्ट्र भाषा के रूप में हिन्दी, आरक्षण, काश्मीर या पूर्वोत्तर के मसलों पर लचीली व्यवस्थाओ के अंतर्गत न्ब्ब् को भी तुरंत अपनाया नहीं गया और न ही इसके लिये भी कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई। परिणाम यह हुये कि वोट की तुष्टीकरण की राजनीति ने अपने पैर पसार लिये और विविधता का हवाला देकर इस अति आवश्यक कार्य को सरकारों द्वारा लगातार टाला जाता रहा।
पहले जब पूर्ण बहुमत की सरकारें थीं तो उन्होने अपने वोट बैंक को बनाये रखने के लिये कामन सिविल कोड नहिं अपनाया, फिर बीच में संविद सरकारें बनी तब तो इसे लागू करना वैधानिक तरीके से संभव ही नहीं था। अब जब बी जे पी की पूर्ण बहुमत की सरकार है तब भी अन्य मुद्दों की प्राथमिकता के चलते अब तक यह लागू नहीं किया गया है। अब जब देश में समन्वय, समरसता के लिये इसे लागू करने के प्रयास शुरू हुये हैं तो एक पेंडिग बड़े कार्य को बहुमत के समर्थन के बाद भी विरोधी दलों में से कोई इसे ध्रुवीकरण का बहाना कह रहा है तो कोई इसे जैसा चल रहा है वैसे चलते रहने की सलाह देता है। कुछ कट्टर पंथियों में बेवजह एक आदर्श व्यवस्था में उनकी जड़ता की वजह से खतरा लग रहा है।
फिलहाल समान नागरिक संहिता भारत में नागरिकों के लिए एक समान कानून को बनाने और लागू करने का एक प्रस्ताव है जो सभी नागरिकों पर उनके धर्म, लिंग पर बराबरी से लागू होना है। वर्तमान चलतू विवादास्पद स्थिति यह है कि धर्मनिरपेक्ष होते हुये भी हमारे देश में विभिन्न्न धार्मिक नियमों के अनुसार कुछ धर्मो के लोग संचालित हो रहे हैं। देश में समान नागरिक संहिता लागू हो जाने पर सच्चे अर्थों में भारत में धर्म निरपेक्षता लागू हो सकेगी जब सभी नागरिको के साथ हर स्थिति में समान कानूनी व्यवहार होगा।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25-28 भारतीय नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है, अतः कानूनी रूप से सभी नागरिको पर समान नियम लागू हो जाने से धार्मिक स्वतंत्रता पर किसी तरह का कोई डर बेवजह है। संविधान का अनुच्छेद 44 भारतीय राज्य से अपेक्षा करता है कि वह राष्ट्रीय नीतियां बनाते समय सभी भारतीय नागरिकों के लिए राज्य के नीति निर्देशक तत्व और समान कानून को लागू करे। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी द्वारा चुनाव से पहले किए गए वादों में से एक यह भी है कि देश में यह कानून लागू किया जायेगा, इसी आधार पर जनता ने बीजेपी को बहुमत से चुना था। अतः स्पष्ट है कि इस दीर्घ प्रभावी और देश के व्यापक हित में लागू किये जाने वाले कामन सिविल कोड को अब और लटकाया न जाये वरन तुरंत प्रभाव से लागू किया जावे।
(युवराज)
(लेखक स्वतंत्र विचारक एवं वरिष्ठ लेखक हैं। आलेख में व्यक्त विचार इनके निजी हैं। इससे जनलेख प्रबंधन का कोई लेनादेना नहीं है।)