नयी दिल्ली/ वर्ष 2024-25 के आम बजट में सरकार ने इक्विटी में इन्वेस्ट करने वालों पर होने वाले शार्ट टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स रेट 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया। इसके अलावा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स दर 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत करने का ऐलान किया।
सरकार के इस फैसले का सीधा असर शेयर बाजार में निवेश करने वाले लोगों पर पड़ने वाला है, जिसकी प्रतिक्रिया में मार्केट अचानक गिर गया। हालांकि, थोड़ी राहत देते हुए सरकार ने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन में टैक्स छूट की सीमा को 1 लाख से बढ़ाकर 1.25 लाख कर दिया है।
बजट में सरकार ने फ्यूचर एंड ऑप्शन में सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स यानी एसटीटी बढ़ा दिया है। फ्यूचर ट्रांजैक्शन पर एसटीटी को 0.0125ः से बढ़ाकर 0.02 प्रतिशत कर दिया गया है। वहीं, ऑप्शन ट्रांजैक्शन पर 0.0625 प्रतिशत से बढ़ाकर 0.1 प्रतिशत लगाने का ऐलान किया गया है।
इस बार के बजट में सरकार ने एंजेल टैक्स खत्म करने का ऐलान किया है। आम तौर पर यह कर स्टार्टअप्स कंपनियों पर लगता था, जब उनमें कोई इन्वेस्ट करता था। इससे स्टार्टअप्स को टैक्स से राहत मिलेगी। यह सरकार का सकारात्मक कदम है।
बजट में प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना को बढ़ावा देने की घोषणा की गयी है। इससे प्रदूषण के मामले में राहत मिलने की संभावना है।
बजट में इस बार सरकार ने मोटे तौर पर 7 चीजों पर कस्टम ड्यूटी घटा दी है और 2 की ड्यूटी बढ़ा दी है। इससे करीब 7 प्रोडक्ट सस्ते और 2 प्रोडक्ट महंगे हो सकते हैं। सस्ते होने वाले प्रोडक्ट में मोबाइल फोन और सोना-चांदी है। वहीं प्लास्टिक से जुड़े प्रोडक्ट महंगे हो सकते हैं।
हालांकि ये प्रोडक्ट कितने सस्ते होंगे या महंगे ये तय नहीं है। सरकार ने 1 जुलाई 2017 को देशभर में जीएसटी लागू किया था, जिसके बाद से बजट में केवल कस्टम ड्यूटी बढ़ाई-घटाई जाती है। ड्यूटी के बढ़ने और घटने का इनडायरेक्ट असर चीजों की कीमतों पर पड़ता है।
बीते एक साल में सोना-चांदी 13,000 रुपए महंगे हुए है। घरेलू गैस सिलेंडर के दाम 300 रुपए घटे हैं। इस दौरान तुअर दाल करीब 30 रुपए प्रति किलो महंगी हुई है। सोयाबीन तेल, आटा और चावल के दामों में ज्यादा बदलाव नहीं आया है।
डायरेक्ट टैक्स/ इसे लोगों की आय या मुनाफे पर लगाया जाता है। इनकम टैक्स, पर्सनल प्रॉपर्टी टैक्स जैसे टैक्स इसमें आते हैं। डायरेक्ट टैक्स का बोझ वह व्यक्ति ही वहन करता है जिस पर टैक्स लगाया गया है और इसे किसी और को पास नहीं किया जा सकता है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज इसे गवर्न करती है।
इनडायरेक्ट टैक्स/ इसे वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया जाता है। कस्टम ड्यूटी, एक्साइज ड्यूटी, ळैज्, ट।ज्, सर्विस टैक्स जैसे टैक्स इसमें आते हैं। इनडायरेक्ट टैक्स को एक व्यक्ति से दूसरे को शिफ्ट किया जा सकता है।
जैसे होलसेलर इसे रिटेलर्स को पास करता है, जो इसे ग्राहकों को पास कर देते हैं। यानी, इसका असर अंत में ग्राहकों पर ही पड़ता है। इस टैक्स को सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स गवर्न करती है।
2017 के बाद लगभग 90 प्रतिशत प्रोडक्ट्स की कीमत जीएसटी पर निर्भर करती है। जीएसटी से जुड़े सभी फैसले जीएसटी काउंसिल लेती है। इसलिए बजट में इन प्रोडक्ट्स की कीमतों में कोई बदलाव नहीं होता है।