मोदी की यूक्रेन यात्रा पर पश्चिमी मीडिया का का पूर्वाग्रही दृष्टिकोण

मोदी की यूक्रेन यात्रा पर पश्चिमी मीडिया का का पूर्वाग्रही दृष्टिकोण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यूक्रेन दौरे को ग्लोबल मीडिया और विरोधी मुल्क हिकारत की नजरों से देख रहे हैं। विदेशी मीडिया ने यहां तक कह दिया है कि मोदी रूस का एजेंट बनकर यूक्रेन का भेद लेने पहुंचे हैं? यूकेन को सतर्क रहना चाहिए। कमोबेश तस्वीरें भी कुछ ऐसी ही दिखाई दे रही हैं। प्रधानमंत्री के दौरे को यूक्रेन गर्मजोशी से नहीं ले रहा बल्कि शक की निगाहों से जरूर देख रहा है। प्रधानमंत्री भी उनके बदले नजरिए को भांपे हुए हैं।

बेशक, वह कहें कुछ न, लेकिन असहज जरूर हो रहे हैं? उनके इस दौरे के बाद भारत कई देशों के निशाने पर भी आ गया है, खासकर उन मुल्कों के जो रूस के खिलाफ जारी युद्ध में खड़े हुए हैं। अमेरिका, चीन, पाकिस्तान जैसे देश मोदी के दौरे को रूस का एजेंट बताने में लग गए हैं। उनकी स्थानीय मीडिया में मोदी की यूक्रेन यात्रा की खुलेआम आलोचनाएं हो रही हैं। प्रधानमंत्री भी सब कुछ जान कर भी इसलिए चुप हैं, अगर उन्होंने वास्तविक स्थिति पर कुछ कहा तो वह भारत के विपक्षी दलों के निशाने पर भी आ जाएंगे। विपक्षी दल वैसे हैं भी नहीं यूक्रेन के दौरे के पक्ष में?

यूक्रेन के राष्टृपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की को भी मोदी का दौरा नहीं सुहा रहा। उन्होंने तब भी विरोध किया था जब पिछले महीने प्रधानमंत्री मोदी रूस यात्रा पर गए थे और पुतिन को सबके सामने गले लगाया था। तब गले मिलने को पश्चिमी मीडिया ने जमकर आलोचना की थी। ज़ेलेंस्की ने भी आपत्ति जताते हुए तब कहा था कि आज रूस के मिसाइल हमले में 37 लोग मारे गए जिसमें तीन बच्चे भी शामिल हैं।

दरअसल जिस दिन मोदी रूस गए थे, उसी दिन रूस ने यूक्रेन के सबसे बड़े अस्पताल पर हमला किया था। तब वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने गुस्से में कहा था कि एक ऐसे दिन दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता का दुनिया के सबसे ख़ूनी अपराधी को गले लगाना शांति स्थापित करने की कोशिशों पर धक्के जैसा है। मोदी से गुस्सा होकर ज़ेलेंस्की सभा से भी चले गए थे। तभी से ज़ेलेंस्की भारत से विशेषकर मोदी से भन्नाए हुए हैं। अब मोदी यूक्रेन पहुंचे हैं तो पूरें माजरे को अच्छे से समझ सकते हैं।

मोदी यूक्रेन में भारतीयों से मिल रहे हैं, उनके स्वागत में ढोल-नगाड़े बज रहे हैं। इससे गुस्से की भड़की चिंगारियों को कुछ कम करने की कोशिशें जरूर हो रही हैं लेकिन, ग्लोबल स्तर पर मोदी का मौजूदा यूक्रेंन दौरा दुनिया के कई देशों को अखर रहा है। राजनैतिक पंड़ित मानते हैं कि मोदी का यूक्रेन दौरा उन देशों से रिश्ते खराब कर सकता है जिनसे हमारे मधुर संबंध हैं। हालांकि ये पहली मर्तबा है जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री यूक्रेन के दौरे पर है लेकिन विकट परिस्थितियों में? कई लोग मानते हैं कि मोदी का यूक्रेन दौरा रूस को असहज कर सकता है लेकिन एक राय ये भी है कि राष्ट्रपति पुतिन के चीन दौरे से भी भारत बहुत सहज नहीं रहता है।

दुनिया के कई देश दबी जुबान में मोदी के यूक्रेन जाने पर सवाल उठा रहे हैं कि वह ऐसे वक़्त यूक्रेन क्यों गए जब वहां के हालात बिगड़े हुए हैं? यूक्रेन बीते कुछ दिनों से रूस की सीमा में घुसकर हमले कर रहा है। कुछ इलाक़ों को उसने अपने कब्जे में भी ले लिया है। आशंका ऐसी हैं कि रूस यूक्रेन पर जल्द बड़ा हमला कर सकता है। अगर ऐसा होता है तो यूक्रेन के पक्ष में कई देश खड़े हो जाएंगे। फिर भारत क्या करेगा? रूस के साथ रहेगा या यूक्रेन के? निश्चित रूप से प्रधानमंत्री के दौरे ने भारत के लिए ‘करो या मरो’ की स्थिति खड़ी कर दी है।

(आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं। इससे हमारे प्रबंधन का कोई सरोकार नहीं है।)

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