नई दिल्ल/डब्ल्यूएचओ ने कहा कि दुनिया भर में लगातार नौ हफ्तों से कोरोना मामलों में भारी इजाफा देखने को मिल रहा है। पिछले हफ्ते दुनिया भर में करीब 57 लाख केस की पुष्टि हुई, जबकि इस दौरान भारत में पूरी दुनिया के कुल मामलों का 38 फीसदी केस दर्ज हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह भी कहा कि कोरोना का भारतीय प्रारूप दुनिया को परेशानी में डाल सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का दावा है कि अबतक यह प्रारूप दुनिया के 17 देशों में फैल चुका है। इधर भारत की भयावह स्थिति को देखते हुए अमेरिका ने अपने नागरिकों को चेतावनी दी है कि वे जितनी जल्दी हो सके भारत छोड़ दें।
कोरोना वायरस का भारतीय प्रकार अब दुनिया के दूसरे देशों में भी पैर पसारने लगा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का दावा है कि अब तक करीब 17 देशों में इसके पाए जाने की पुष्टि हो चुकी है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक बीते हफ्ते पूरी दुनिया में कोरोना के 57 लाख नए मामले सामने आए। इस दौरान कोरोना वायरस का श्भारतीय प्रकारश् जिसे बी 1617 का नाम दिया गया है और दो बार रूप परिवर्तित कर चुके प्रकारश् के तौर पर भी जाना जाता है, कम से कम 17 देशों में पाया गया है।
डब्ल्यूएचओ ने बयान में कहा कि मंगलवार को कम से कम 17 देशों से जीआईएसएआईडी ओपन-एक्सेस डेटाबेस पर अपलोड किए गए 1,200 से ज्यादा सिक्वेंस में इस वैरिएंट के होने का पता चला है। संगठन ने महामारी पर अपने साप्ताहिक महामारी विज्ञान अपडेट में कहा कि इसके ज्यादातर सिक्वेंस भारत, ब्रिटेन, अमेरिका और सिंगापुर से अपलोड किए गए थे। जीआईएसएआईडी एक जर्मन गैर लाभकारी संगठन है, जिसे साल 2016 में फ्लू जीनोम पर डेटाबेस साझा करने के लिए तैयार किया गया था।
डब्ल्यूएचओ ने अपने अपडेट में कहा कि दुनिया भर में पिछले लगातार नौ हफ्तों से कोरोना के मामलों में भारी इजाफा देखने को मिल रहा है। पिछले हफ्ते दुनिया भर से करीब 57 लाख मामलों की पुष्टि हुई थी, जो पहले दर्ज हुई अधिकतम संख्या को पार कर गया है। भारत की बात करें, तो यहां पिछले हफ्ते में पूरी दुनिया के कुल मामलों का 38 प्रतिशत केस दर्ज हुआ है।
डब्ल्यूएचओ ने रिपोर्ट में कहा कि जीआईएसएआईडी को सौंपे गए अनुक्रमों पर आधारित प्रारंभिक प्रतिरूपण से सामने आया है कि कोरोना का प्रकार बी1.617 भारत में प्रसारित अन्य प्रकारों से अधिक गति से विकसित हो रहा है, जो संभवतरू अधिक संक्रामक भी है। इसक साथ ही प्रसारित हो रहे वायरस के अन्य प्रकार भी अधिक संक्रामक मालूम हो रहे हैं। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि इसके कारकों की भूमिका को समझने के लिए और जांच किए जाने की जरूरत है।