गाजा पर रोने वाले आखिर बांग्लादेश पर मौन क्यों हो गए?

गाजा पर रोने वाले आखिर बांग्लादेश पर मौन क्यों हो गए?

अभी हाल ही में पडोसी देश बांग्लादेश में चुनावोपरांत तीसरी बार सत्ता में आई शेख हसीना सरकार को खूनी अराजक और हिंसक तरीके से तख्ता पलट दी गयी। हसीना को अपनी जाना बचाने के लिए देश छोड़ने पर विवश कर दिया गया। जैसा कि शरिया प्रधान देशों की रवायत है कि फिर सरकार, शासन, प्रशासन, पुलिस और सेना तक की मिली जुली खामोश सहमति की शह में उग्र हिंसक वहशी सैलाब ने अगले कुछ घंटों और दिनों में अपने ही देश को नोचा, लूटा, जलाया और बर्बाद किया जाता है ठीक उसी तरह बांग्लादेश में भी देखने को मिला।

मुस्लिम बाहुल्य जनसंख्या वाले बांग्लादेश के लोगों ने भी अपने जैसे विश्व के दूसरे मुल्कों की तर्ज़ पर बचे खुचे अल्पसंख्यकों जो कि इत्तेफाकन हिन्दू ज्यादा हैं, उन का नरसंहार और दमन करने के रूप में इस मौके को लिया और एक दो नहीं, पूरे 65 जिलों में कई दिनों तक सेना पुलिस के शह और समर्थन से हिन्दू मंदिरों, देवी देवताओं और उसके बाद हिन्दू लोगों पर भयंकर अत्याचार किए और ये सब बदस्तूर जारी है।

आज सोशल मीडिया, मोबाइल और इंटरनेट के माध्यम से पूरी दुनिया ने बांग्लादेश अवाम का एक वीभत्स चेहरा देखा जिसने अपने न्यायालय के एक निर्णय के विरोध में अपनी महिला प्रधानमंत्री को देश से भागने के विवश किया और उसके बाद भी अपनी क्रूर और वहशी कट्टरपन से दुनिया में भय फैलाने के लिहाज से देश की सत्ताधारी पार्टी के राजनेताओं, अधिकारीयों और यहां तक कि कलाकारों तक कि कलाकारों तक को न सिर्फ मार डाला गया बल्कि ज़िंदा जलाया गया। सरेआम लटका दिया गया। महिलाओं युवतियों के साथ बलात्कार व् ह्त्या के बाद उनके शव को शहरी गलियों में घसीट कर दुनिया को अपनी जहालत दिखाते रहे।

बांग्लादेश में एक अंतरिम सरकार का गठन हुआ है और इससे पहले तक पूरा सत्ता पक्ष पूर्व का पूरी न्यायपालिका और सेना के साथ साथ अल्पसंख्यक या तो ख़त्म या फिर नियंत्रित कर लिया गया है।

यहां एक गौर करने वाला प्रश्न ये है कि बांग्लादेश के पडोसी देश भारत में गाजा-फिलिस्तीन और रूस-यूक्रेन जैसे देशों से चल रहे युद्ध में अपने पक्ष और अपनी कौम के लिए यहाँ भारत में प्रदर्शन , उपद्रव और अशांति तक करने से गुरेज नहीं करते, राजनेता, खिलाडी, अभिनेता, समाज सेवी, वे सभी जो भारत में क्या, भारत के बाहर के लिए हमदर्दी वाली तख्ती लिए खड़े हो जाते हैं। आखिर उन सबको बांग्लादेश में हिन्दुओं का कत्लेआम कैसे और क्यों नहीं दिखाई दे रहा ?

जिस तरह से भारत के पडोसी देशों, पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार आदि में हिन्दुओं पर आसानी से अत्याचार और हमले किए जा रहे हैं और इन सब देशों से उन्हें पूरी तरह ख़त्म करने पर विवश किया जा रहा है, ऐसे में तो ये बहुत जरूरी हो जाता है कि दुनिया में भारत जैसा हिन्दू सनातन संस्कृति वाला देश बचा रहे ताकि पडोसी देश की सबसे शक्तिशाली महिला को भी जरूरत पड़ने पर अपनी जान बचाने के लिए यहाँ की शरण लेने में संकोच और डर न महसूस हो।

विपक्ष जो नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध करता रहा है, उसे अब बांग्लादेश में हो रहे हिन्दुओं के नरसंहार और उसके डर से वहां से पलायन का दर्द भी शायद ही दिखे और समझ आ सके . वैसे इस बात की अपेक्षा मौजूदा विपक्ष करना ही बेमानी है।

(आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं। इससे हमारे प्रबंधन का कोई सरोकार नहीं है।)

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