आरती रानी
अजवायन सिर्फ रसोईघर का एक मसाला ही नहीं है अपितु यह स्त्रिायों की अंतरंग सहेली भी है जो उनको मासिक चक्र की वेदना से बचाती है तथा उनके शारीरिक सौष्ठव को भी निखारती है।
यूं तो मासिक चक्र एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जो स्वतः ही एक निश्चित अंतराल के बाद आती-जाती रहती है किन्तु आधुनिकता के प्रसार के कारण इस चक्र पर भी बुरा असर पड़ने लगा है। इस कारण अधिकतर महिलाओं को अपने जीवन के किसी न किसी पड़ाव पर मासिक संबंधी परेशानियों का सामना करना ही पड़ता है। गर्भावस्था और स्तनपान के कुछ महीनों को छोड़कर इसका सामना प्रत्येक महिला को करना ही पड़ता है।
प्रायः यह देखने में आता है कि अधिकांशतः आधुनिक महिलाओं को मासिक आने से पहले तीव्र दर्द रहने लगता है तथा उनका स्वभाव भी चिड़चिड़ा-सा हो जाता है। अनेक स्त्रिायों में रुक-रुककर कई दिनों तक मासिक आता रहता है। मासिक धर्म संबंधी ऐसी अनियमितता महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर भी प्रभाव डालती है। साथ ही साथ शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा असर पड़ने लगता है। आज भी बहुत सी युवतियां तो मासिक के नाम तक से डरने लगी हैं। मासिक चक्र की इन परेशानियों को अजवायन छू-मंतर कर देती है।
दो चम्मच अजवायन लेकर उसे दो कप पानी में डालकर 4-5 घंटे तक भिगोकर रख दें। उसके बाद उसे धीमी आंच पर तब तक उबालें जब तक कि वह पानी एक कप शेष रह जाए। अब उसे आग से नीचे उतार कर स्वादानुसार पुराना गुड़ या चीनी मिलाकर उसे चाय के समान घूंट-घूंट करके पी जाइए।
अजवायन की इस चाय को सुबह खाली पेट ही लेना चाहिए। इससे मासिक के दर्द में तुरन्त आराम मिल जाता है। इसे प्रयोग से अनियमित मासिक समय पर होने लगता है। इस चाय का प्रयोग सुबह-शाम तीन दिनों तक करते रहना चाहिए। अगर तीन मासिक चक्र तक इसका प्रयोग नियमित रूप से किया जाय तो मासिक की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
दर्द का होना, अनियमित होना, काले रंग का होना, थोड़ा-थोड़ा या खुलकर न होना आदि सभी प्रकार की परेशानियां इस चाय से दूर हो जाती हैं। इस चाय का प्रयोग मासिक शुरू होने के तीन दिन पहले से ही शुरू कर देने से मासिक के साथ होने वाला दर्द और अन्य परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है। मासिक भी सामान्य रूप से खुलकर आने लगता है।
अगर मासिक के आरम्भ होते ही अथवा मासिक के होने से एक-दो दिन पहले से ही दर्द शुरू होकर मासिक काल तक रहता हो, कटिप्रदेश, पेडू, जंघा, पीठ, डिम्बकोष, जरायु में असहनीय पीड़ा होती हो, प्रथम तीन दिनों तक असहनीय दर्द होकर धीरे-धीरे कम होता हो, पीड़ा ठहर-ठहर कर होती हो, काले अथवा पीले जमे हुए थक्के रजः स्राव में योनि मार्ग से निकलते हों, सिरदर्द, हाथ-पैरों में अकड़न या झुन-झुनी भर जाती हो, कपड़े पर लगे दाग को धोने पर गोबर के रस जैसा हरापन लिए हुए दाग रह जाता हो तो अजवायन की यह चाय आपकी सभी परेशानियों को दूर करेगी।
मासिक के समय डर की भावना, चक्कर आना, सुस्ती, आलस्य, श्वासकष्ट, हृदय का धड़कना, पैर के पंजों में सूजन, मिचली, उल्टी, अरुचि, अनपच, स्वभाव में रूखापन या चिड़चिड़ापन अगर आ जाता हो तो अजवायन की यह चाय आपकी सारी समस्याओं को दूर कर देगी।
यह योग देखने में सामान्य-सा लगता है किन्तु इसका प्रभाव चमत्कारिक एवं स्थायी है। अनेक ग्रामीण महिलाएँ इस योग का सेवन सैंकड़ों वर्षों से करती आ रही हैं। इतना ही नहीं, अगर प्रसव के बाद अजवायन की चाय प्रसूता को पिलाई जाती है तो उसका गर्भाशय साफ हो जाता है और गर्भाशय के अन्दर छिपी आंव शीघ्रता से बाहर निकल जाती है। इससे प्रसूति में संक्रमण की भी संभावना नहीं रहती।
अगर आप सर्दी में सप्ताह में एक दिन भी इस चाय को पीती हैं तो आप अवश्य ही अपने पतिदेव को भी हॉट-हॉट बनाये रखेंगी। अगर मासिक स्राव रुक नहीं रहा हो तो बरगद के पेड़ का दूध सात बंूद लेकर बताशे में रखकर खा लें। चार-चार घंटे पर इसकी मात्रा का प्रयोग करने से रक्त प्रदर का खून अवश्य ही रुक जाएगा। अब आप ही बताइए, अजवायन है न आपकी अंतरंग सहेली?
(स्वास्थ्य दर्पण)