डाॅ. वीरेन्द्र भाटी मंगल
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस हमें यह याद दिलाता है कि उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों की जागरूकता होनी चाहिए। संवाद का महत्व इस दिन पर विशेष रूप से बढ़ जाता है क्योंकि यह एक मंच प्रदान करता है जहां उपभोक्ताओं की समस्याओं को सुना जा सकता है और समाधान निकाला जा सकता है। विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस का इतिहास राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी से शुरू होता है। 15 मार्च, 1962 को उन्होंने उपभोक्ता अधिकारों के मुद्दे को संबोधित करने के लिए अमेरिकी कांग्रेस को एक विशेष संदेश भेजा. ऐसा करने वाले वे पहले नेता थे। उपभोक्ता आंदोलन इस प्रकार 1983 में शुरू हुआ और प्रति वर्ष इस दिन, संगठन उपभोक्ता अधिकारों के संबंध में महत्वपूर्ण मुद्दों और अभियानों पर कार्रवाई करने का प्रयास करता है।
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस हमें उपभोक्ताओं के हक के महत्व को समझाने और ठीक से उत्पादों और सेवाओं का उपयोग करने के लिए जागरूक करता है। यह दिवस उन उपभोक्ताओं के योगदान को मान्यता देता है जो निर्माताओं के खिलाफ खड़े होते हैं। यह एक अवसर है कि हम सभी सोचें कि हमारे पास क्या अधिकार हैं? और कैसे हम उन्हें सुनिश्चित कर सकते हैं। उपभोक्ता अधिकारों की गणना कई विषयों पर होती है, जैसे कि उत्पाद की गुणवत्ता, मूल्य, और सेवाओं की उपलब्धता। सुरक्षित और ठीक से उत्पादों और सेवाओं का अधिकार हमें स्वास्थ्य, सुरक्षा, और आत्मविश्वास प्रदान करता है।
उपभोक्ता अधिकार दिवस का महत्व है क्योंकि यह हमें उपभोक्ता अधिकारों के महत्व को समझने के लिए जागरूक करता है और साथ ही सरकारों और निर्माताओं को लेकर जिम्मेदारी बढ़ाता है। इस दिवस के माध्यम से हम उपभोक्ता अधिकारों के बारे में जागरूकता फैला सकते हैं और समाज में उनका समर्थन कर सकते हैं। इसलिए, विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस पर हमें यह याद रखना चाहिए कि हमारे पास अधिकार हैं, और हमें इन अधिकारों का समान और संवेदनशील उपयोग करना चाहिए। इस दिन का महत्व व्यापकता में नहीं है सिर्फ एक व्यक्ति की जरूरतों के आधार पर, बल्कि समाज के हर व्यक्ति के अधिकारों और स्वतंत्रताओं को महसूस करने के साथ ही उनकी सुरक्षा की भी जरूरत है।
इस दिन के माध्यम से हमें उपभोक्ता अधिकारों की जानकारी और जागरूकता बढ़ाने का मौका मिलता है। उपभोक्ता को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी होनी चाहिए ताकि वह न सिर्फ अपने लिए बल्कि अपने परिवार और समाज के लिए भी सही निर्णय ले सकें। उपभोक्ता संरक्षण की बात करते हुए, इस दिन का महत्व और बढ़ जाता है। सरकारों और संगठनों को उपभोक्ताओं के हित में नीतियों और कानूनों को स्थापित करने की जरूरत है ताकि उपभोक्ताओं की सुरक्षा और हित का पूरा ध्यान रखा जा सके। इस विशेष दिन हमें यह समझना चाहिए कि उपभोक्ता संरक्षण केवल एक समाचार मुद्दा नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
उपभोक्ताओं के अधिकारों की समझ और समर्थन करने के लिए हम सभी जिम्मेदार हैं। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अनुसार उपभोक्ताओं के लिए भारत में छह मौलिक अधिकारों की रूपरेखा तय की गई है। सुरक्षा का अधिकार के अन्तर्गत उपभोक्ता को यह अधिकार होता है कि वो वस्तुओं या सेवाओं से सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है। क्रय किये गये प्राप्त सेवाओं से न केवल तात्कालिक जरूरतें पूरी होनी चाहिये बल्कि इससे दीर्घ अवधि के लाभ भी पूरे होने चाहिये।
चुनने का अधिकार के अन्तर्गत उपभोक्ताओं को उत्पादों और सेवाओं के चयन करने की स्वतंत्रता प्रदान करना है। कम कीमत पर वस्तुओं की किस्मों और सेवाओं पर, जहां तक संभव हो, पहुंच पाने का अधिकार सुनिश्चित होता है। सूचना पाने का अधिकार के अधिकार के अन्तर्गत उपभोक्ताओं को उत्पादों और सेवाओं के बारे में सही और संपूर्ण जानकारी प्रदान करने का अधिकार होता है। वस्तुओं की गुणवत्ता, मात्रा, शक्ति, शुद्धता, मानक और मूल्य के बारे में भी जानकारी करना उसका अधिकार है।
सुनवाई का अधिकार के अन्तर्गत उपभोक्ताओं को अपनी शंकाओं और अपने विचार व्यक्त करने के लिए यह अधिकार प्राप्त है। उपभोक्ता के लाभ के लिए इन मंच के माध्यम से अधिकार प्राप्त है। इसमें उपभोक्ता कल्याण पर विचार करने के लिये गठित विभिन्न मंचों में वाद करने का अधिकार भी शामिल है। निवारण पाने का अधिकार के अन्तर्गत उपभोक्ताओं की शिकायतों के लिए और मुआवजा, समाधान देने के लिए यह अधिकार सक्षम बनाता है। उपभोक्ताओं के शोषण या अनुचित व्यवहार के लिए यह अधिकार प्राप्त है। इसमें ग्राहक की वास्तविक शिकायतों के निष्पक्ष निपटान का अधिकार भी शामिल है। उपभोक्ताओं को अपनी शिकायत अवश्य दर्ज करवानी चाहिए।
उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार के अन्तर्गत उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में शिक्षित करने का यह अधिकार है। उपभोक्ता को ज्ञान और शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है, उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए। ताकि वो समय-समय पर इसका उपयोग कर सके। उपभोक्ताओं दिवस मनाने का उद्देश्य है अपने अधिकारों एवं जिम्मेदारियों के प्रति लोगों को जागरूक बनाना। मार्केट में होने वाली जमाखोरी, कालाबाजारी, मिलावटी चीजों का वितरण, तय मूल्य से ज्यादा दाम वसूलना, बिना मानक चीजों की बिक्री, ठगी, नाप-तौप में अनियमितता, गारंटी के बाद भी सर्विस प्रदान नहीं करने के अतिरिक्त उपभोक्ताओं के प्रति होने वाले अपराधों को देखते हुए इस दिन की विशिष्ट महत्ता है।
(आलेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं। इससे हमारे प्रबंधन का कोई सरोकार नहीं है।)