नई दिल्ली/ राष्ट्रहित को ध्यान में रखने की बात कहते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु के तूतीकोरिन में स्थित 2004 में बनाए गए वेदांता के ऑक्सीजन फैसिलिटी प्लांट को आज फिर से चालू करने आदेश जारी कर दिया।
यहां बता दें कि जब 2004 में इस प्लांट को बनाया गया था तो एनवायरमेंट क्लीयरेंस नहीं लिया गया था। इसकी पुष्टि खुद सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग कमेटी के ऑर्डर पर बनाई गई पॉल्यूशन सेंट्रल बोर्ड कमेटी ने की थी। हालांकि स्टरलाइट गैस लीक के पीड़ित परिवारों की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कोलिन गोंजाल्विस ने जब माननीय न्यायालय को यह कहा कि वेदांता लगातार गलतियां करता रहा है तो जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम इस समय मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई नहीं कर रहे हैं। हम केवल ऑक्सीजन प्लांट चलाने की मंजूरी दे रहे हैं।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश संकट से गुजर रहा है, ऐसे में वेदांता में ऑक्सीजन बनाए जाने पर किसी तरह का राजनीतिक लड़ाई-झगड़ा नहीं होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को देश में चल रही ऑक्सीजन की किल्लत को देखते हुए बड़ा फैसला लिया है और तमिलनाडु के तूतीकोरिन स्थित वेदांता के ऑक्सीजन प्लांट को दोबारा खोलने की मंजूरी दे दी। अदालत का कहना है कि उसने देश की जरूरत को देखते हुए यह फैसला लिया है।
माननीय न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिए कि वह एक पैनल बनाए, जो तूतीकोरिन प्लांट में ऑक्सीजन प्रोडक्शन की निगरानी करेगा। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम केवल ऑक्सीजन के प्रोडक्शन की मंजूरी दे रहे हैं। इस मामले में केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता न्यायालय में प्रस्तुत हुए और उन्होंने कोर्ट में कहा कि इस प्लांट में बनाई जाने वाली ऑक्सीजन की सप्लाई केंद्र की ओर से आवंटित राज्यों को होनी चाहिए।
वेदांता की ओर से सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने पैरवी की। साल्वे ने कहा कि हम केवल ऑक्सीजन प्लांट को शुरू करना चाहते हैं। हमारी बिजली प्लांट को शुरू करने की कोई योजना नहीं है। ऑक्सीजन प्लांट को चलाने के लिए बिजली राज्य सरकार उपलब्ध कराएगी। जब जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि आप कब तक इस प्लांट को शुरू कर सकते हैं? इस पर साल्वे ने उत्तर दिया कि हम 10 दिन में ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू कर सकते हैं।
इधर सोमवार को तमिलनाडु सरकार ने ऑल पार्टी मीटिंग का आयोजन किया था। इसमें वेदांता को 4 महीने तक स्टरलाइट प्लांट में ऑक्सीजन के उत्पादन को मंजूरी दी गई थी। कोरोना के बढ़ते केसों को देखते हुए सरकार ने इस प्लांट में रोजाना 1 हजार टन ऑक्सजीन के उत्पादन की मंजूरी दी थी।
बता दें कि तमिलनाडु सरकार ने 2018 में वेदांता का तूतीकोरीन वाला कॉपर प्लांट पर्यावरण से जुड़े कई नियमों के उल्लंघन के चलते बंद करा दिया था। इससे पहले स्थानीय लोगों के विरोध-प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में 13 लोगों की मौत हो गई थी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 15 दिसंबर को प्लांट शुरू करने की इजाजत दी थी, जिसके खिलाफ तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
इस प्लांट के खिलाफ पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने की शिकायत पहले भी हुई थी। इसी वजह से इसे 2013 में भी बंद कराया गया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसे खोला गया था। तब सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी को निर्देश दिए थे कि वो पर्यावरण की सुरक्षा के लिए 100 करोड़ रुपए खर्च करे। कंपनी ने इसका भी कोई लेखा-जोखा नहीं दिया।
मार्च 2013 में यहां सल्फर डाई ऑक्साइड लीक होने से ने हजारों लोग प्रभावित हुए थे। इस प्लांट की ऑक्सीजन फैसिलिटी को 2004 में बनाया गया था, वो भी एनवायरमेंट क्लीयरेंस लिए बिना। इसकी पुष्टि सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग कमेटी के ऑर्डर पर बनाई गई पॉल्यूशन सेंट्रल बोर्ड कमेटी ने की थी।