आपदा में अवसर : बाढ़ का पानी बढ़ते ही गुलजार गढ़पुरा की नाव मंडी

बेगूसराय/ बिहार में बाढ़ से स्थिति विकराल बनी हुई है, तमाम नदियों के जलस्तर में वृद्धि होने से लोग परेशान हैं। ऐसे में एक बार फिर बिहार ही नहीं, पड़ोसी राज्यों और पड़ोसी देश में नाव के लिए चर्चित बेगूसराय के गढ़पुरा की चर्चित नाव मंडी लोगों से गुलजार हो गई है यहां एक सौ से अधिक नाव बनाने वाले कारीगर दिन-रात एक कर नाव बना रहे हैं। यह नाव बिहार के विभिन्न क्षेत्रों के साथ-साथ आसपास के राज्य और पड़ोसी देश, नेपाल तक जा रहा है। प्रत्येक साल आने वाली बाढ़ यहां के नाव कारीगरों के लिए अवसर प्रदान करता है।

एक अनुमान में बताया गया है कि यहां प्रति वर्ष दो करोड़ से अधिक का कारोबार होता है। इस वर्ष अन्य वर्षो की तुलना में पानी अधिक आया है, तो खरीददार भी काफी संख्या में जुटे हैं तथा रोज 15-20 नाव तैयार हो रहे हैं। यही नहीं उतनी ही संख्या में नाव बिक भी रहे हैं। यह नाव बेगूसराय, खगड़िया, समस्तीपुर, दरभंगा, भागलपुर, सहरसा, मधुबनी, कटिहार, पूर्णिया आदि जगहों के साथ-साथ पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश तो जा ही रहा है, नदी के रास्ते इसे नेपाल तक ले जाया जाता है।

बाढ़ग्रस्त इलाके में कई जगहों पर नाव बनता है लेकिन गढ़पुरा में जामुन की लकड़ी से बनने वाला नाव सस्ता और काफी मजबूत होता है, जिसके कारण इसकी डिमांड रहती है।

नाव बनाने के लिए सबसे बेहतरीन लकड़ी जामुन की मानी जाती है। यहां एक पटिया से लेकर तीन पटिया तक और बड़ी-बड़ी नाव बनाई जा रही है। कारीगर बताते हैं कि यहां 15 हजार से लेकर डेढ़ लाख तक का नाव उपलब्ध है। नाव तो बहुत जगह बनते है लेकिन यहां ना सिर्फ गुणवत्ता वाला बनाया जाता है, बल्कि ले जाकर तुरंत पानी में छोड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार करके दिया जाता है।

कोसी इलाके से नाव खरीदने आए व्यापारी ने बताया कि हम लोग प्रत्येक साल बाढ़ से तबाह होते हैं, जिसके कारण हर घर में नाव रखना पड़ता है। सरकार व्यवस्था करती है लेकिन जब प्रत्येक साल इस आपदा को झेलना है तो अपना नाव रहना जरूरी है। जिसके कारण गढ़पुरा का नाव खरीदने आए हैं। यहां से ट्रैक्टर या किसी अन्य साधन से नजदीकी नदी तक ले जाने के बाद नदी के रास्ते नाव अपने घर ले जाएंगे।

भागलपुर से नाव खरीदने आए व्यापारियों ने बताया कि इस बार गंगा अपने रौद्र रूप में है तथा पिछले दस वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ चुकी है। जिसके कारण पूरा इलाका जलमग्न हो गया है, सरकार ने नाव उपलब्ध कराया है लेकिन वह काफी नहीं है। जिसके कारण हम लोगों ने अपने मोहल्ले के लिए नाव खरीदने का फैसला किया तथा नवगछिया से आकर नाव बनवा रहे हैं।

फिलहाल एक बार फिर नाव निर्माण से जुड़े लोगों को आपदा ने अवसर दिया है तथा पूरी मंडी इस अवसर को भुनाने में लगी हुई है।

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