गौतम चौधरी
वर्तमान दौर में दुनिया के लिए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में से शांति और सद्भाव है क्योंकि हाल के दिनों में अधिकांश देशों ने आर्थिक समृद्धि चरम तो हासिल कर ली है लेकिन आधुनिक जीवन शैली उसे शांति प्रदान करने में अक्षम साबित हुआ है। यही नहीं इस उत्तर आधुनिक जीवन शैली ने सद्भाव को भी क्षति पहुंचाया है।
दुनिया के कुछ मुस्लिम बाहुल्य देशों ने आर्थिक विकास और अपने नागरिकों की जीवन शैली में सुधार तो किया है लेकिन शांति और सद्भाव कायम करने में वे नाकाम रहे हैं। ऐसे देशों में ईरान, पाकिस्तान, सीरिया, इराक, मिस्र आदि शामिल हैं। इसके ठीक उलट दुनिया के कुछ ऐसे भी मुस्लिम देश हैं जिन्होंने अपनी समृद्धि के साथ शांति और सद्भाव का मिसाल कायम किया है। इसमें सबसे पहला नाम इंडोनेशिया का आता है। इंडोनेशिया दुनिया का सबसे अधिक मुस्लिम जनसंख्या वाला देश है। इंडोनेशिया में भारतीय सभ्यता और संस्कृति के समान ही विविधता में एकता देखने को मिलता है। यहां 700 से अधिक भाषाएं बोली जाती हैं लेकिन उनकी अलग-अलग भाषाएं देश के एक स्वर का अनुकरण करती है। भौगोलिक रूप से इंडोनेशिया 17000 द्वीपों का देश है, जहां लगभग 267 मिलियन लोग निवास करते हैं। इंडोनेशिया में लगभग 230 मिलियन मुस्लिम, 30 मिलियन ईसाई। यही नहीं यहां एक बड़ी आबादी हिन्दू और बौद्धों की भी है। गोया हिन्दू और बौद्ध यहां अल्पसंख्यक हैं लेकिन बेहद सद्भाव के साथ देश की समृद्धि में अपना योगदान दे रहे हैं। इंडोनेशियायी प्रशासन इन्हें अपनी मान्यताओं के लिए कभी भेदभाव नहीं करती है।
इंडोनेशिया एक गणतंत्रात्मक देश है। यह सर्व-समावेशी राष्ट्र के रूप में अपने आप को दुनिया के सामने खड़ा किया है। सहिष्णुता और सहअस्तित्व यहां के नागरिकों में कूट-कूट कर भरा हुआ है। यही कारण है कि लाख कोशिश के बाद भी यहां इस्लामिक कट्टरवाद पनप नहीं सका है। बड़ी जिम्मेदारी के साथ, सभी इंडोनेशियाई लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन करते हैं एक-दूसरे की मान्यताओं का सम्मान करते हैं। समृद्धि, विकास, स्वतंत्रता, न्याय, बंधुत्व और समानता को यहां तरजीह दी जाती है। नागरिकों के अधिकारों को बनाए रखना और उनकी जरूरतों को पूरा करना इंडोनेशिया की सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। इंडोनेशिया में इस्लाम का आगमन 15वीं शताब्दी के दौरान विभिन्न यात्रियों के माध्यम से हुआ। इस्लाम के आदर्श और सकारात्मक सोच वाले उलेमाओं ने इंडोनेशिया में इस पंथ का प्रचार किया। धीरे-धीरे इंडोनेशिया में इस्लाम के मानने वालों की संख्या बढ़ने लगी। लोगों ने अपने पूर्वजों के धर्मों को छोड़कर इस्लाम स्वीकार करना शुरू कर दिया लेकिन इंडोनेशियाइयों ने अपने नैतिक दृष्टिकोण और समझ से कभी समझौता नहीं किया। साथ ही मुस्लिम नेताओं ने भी अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए अवसर और समृद्ध सुविधाएं प्रदान करने की पूरी कोशिश की। यह दुनिया के मुसलमानों के लिए आदर्श है।
इंडोनेशिया में इस्लाम के विकास में सकारात्मक पहलुओं ने हमेशा केंद्र बनाये रखा, जो शांति और प्रेम का अभ्यास करने के लिए अपने अनुयायी को उपदेशित करता रहा है। इस्लाम के सच्चे चित्रण ने देश में प्रेम, करुणा और शांति को बढ़ाने में सहयोग किया। देश के राजनीतिक नेता और उलेमाओं ने इस्लाम की न केवल सच्ची व्याख्या प्रस्तुत की अपितु इस्लाम के सहअस्तित्ववादी चेहरे को लोगों के सामने प्रस्तुत किया। इसके कारण देश में प्रगति और आर्थिक समृद्धि के साथ ही साथ शांति, सहिष्णुता और लोकतांत्रिक की जड़ें मजबूत होती जा रही है। इंडोनेशिया का इस्लाम सहिष्णुता, स्वीकृति, स्वतंत्रता, न्याय, समानता और बंधुत्व का प्रवर्तक बनकर उभर रहा है। इंडोनेशिया के लोग कुरान और हदीस को दिल और आत्मा से समझते हैं और इसे अपने जीवन में लागू करते हैं। वे न केवल सच्चे इस्लामी सिद्धांतों का अध्ययन करते हैं, बल्कि अपने देश इंडोनेशिया के प्रति कर्तव्य और जिम्मेदारी का तसल्ली से निर्वहण करते हैं। कुरान कहता है कि सबसे सही व्यक्ति वह है जो प्यार और करुणा के साथ अन्य लोगों के साथ व्यवहार करता है। यह वास्तव में इंडोनेशियायी लोगों जीवन में अंतर्निहित है।
इस्लाम से पहले इंडोनेशिया में हिंदू और बौद्ध मान्यताओं में विश्वास करने वालों की संख्या अधिक थी। वर्तमान में भी यहां अच्छी संख्या में हिंदू और बौद्ध निवास करते हैं। ये दोनों समुदाय के लोग यहां समृद्ध हैं और खुशी के साथ रहते हैं क्योंकि इंडोनेशियायी मुसलमानों ने अपनी स्वयं की संस्कृति के साथ हिन्दू धर्म और बौद्ध धर्म की विरासत को मिश्रित कर लिया है। इंडोनेशियायी मुस्लिम प्रकृति में उदारवादी हैं और कट्टरपंथी व उग्रवाद की उपेक्षा करते हुए इस्लाम की तर्कसंगत व्याख्या के साथ उदारवादी मार्ग का अनुसरण करते हैं। कई अध्ययनों से यह बात उभर कर सामने आयी है कि इस्लाम के कट्टरवादी प्रचारकों का इंडोनेशिया ने जमकर मुखाल्फत की है। यही कारण है कि यहां सर्वाधिक जनसंख्या होने बावजूद मुसलमान पाकिस्तान या ईरान की तरह आक्रामक नहीं हैं। हालांकि इंडोनेशिया में चरमपंथी और कट्टरपंथी हमले हुए हैं जैसे कि 2002 में बाली में बमबारी हुई थी जिसमें हजार लोग मारे गए थे लेकिन यहां की आम जनता ने इसे कभी मान्यता नहीं दिया।
इंडोनेशियायी मुसलमानों के शांतिपूर्ण जीवन के लिए मूल विचारधारा में से एक उदारवादी धारणा और कट्टरपंथी और चरमपंथी प्रेरणा और उपक्रम को नकारना है। उदारवादी समझ का प्रसार इंडोनेशियायी मुसलमानों ने अपने नेताओं के समर्थन के साथ किया है जो न्याय, स्वतंत्रता, बंधुत्व और नौकरी के वितरण और प्रत्येक नागरिक को उनकी जाति और धर्म के बावजूद अवसर प्रदान करने में एक महान भूमिका निभा रहे हैं। उनका मानना है कि जाति और पंथ के बीच अंतर किए बिना नौकरियों और अवसरों के समान वितरण से चरमपंथी और कट्टरपंथी विचारधारा का उन्मूलन किया जा सकता है। मुस्लिम राष्ट्रों को इंडोनेशिया से सीख लेनी चाहिए। साथ ही भारतीय मुसलमानों को भी इंडोनेशियायी इस्लामिक मूल्य का अध्ययन करना चाहिए।