चंडीगढ़/ हिन्दू समाज आज असमंजस की स्थिति मे है की रक्षा बंधन कब करे? इस संदर्भ में चंडीगढ़ के विद्वान पंडित एवं धर्माचार्य श्रीमान पंडित नरेन्द्र शर्मा ने बताया कि विभ्रम की स्थिति में न रहें और सही समय पर रक्षासूत्र का बंधन करें।
शर्मा ने बताया कि भारत के सभी पंचागकर्ताओं, खासकर पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और उत्तराखंड में इस्तेमाल होने वाले दो पंचाग कुराली वाला और जालंधर वाला काफी प्रचलन मे है। इन्होंने रक्षा बंधन 11 अगस्त को रात्रि 8-51 के बाद ही रक्षा बंधन करना सही और शास्त्रीय माना है। परन्तु ट्राई सिटी चंडीगढ़ के कुछ थोड़े से मंदिर के पुजारी महाराज अपने अपना तर्क दे कर अलग अलग रक्षा बंधन का समय बता रहे हैं।
पंडित नरेन्द्र शर्मा का मानना है कि जिस तिथि में सूर्य का उदय होता है दिन और रात उसी तिथि का माना जाता है। शर्मा ने बताया कि 11 अगस्त की रात को 8ः51 से श्रावण मास के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा प्रारंभ हो जाती है। स्वाभाविक रूप से 12 अगस्त को पूर्णिमा तिथि में सूर्य का उदय होगा। इसलिए 12 अगस्त को ही रक्षासूत्र बंधन का योग बन रहा है। 11 अगस्त को जो तर्क दिया जा रहा है वह नहीं माना जा सकता है। वैसे कुछ देशांतरों पर यह तिथि अलग भी हो सकता है क्योंकि देशांतर के आधार पर भी तिथियां बदल जाती है।