सोनी मल्होत्रा
आज की आधुनिक पीढ़ी में प्रेम संबंध पहले से अधिक देखने को मिल रहे हैं। ऐसी बात नहीं कि पहले ऐसे संबंध नहीं पनपते थे। ये पनपते तो थे पर बहुत कम और वे भी अधिकतर पुरूषों के होते थे। महिलाओं के विवाहेत्तर संबंधों के बारे में कम सुनने को मिलता था पर आज महिलाएं पुरूषों के बराबर दर्जा प्राप्त कर चुकी हैं। वे पूरी तरह से स्वतंत्रा हैं। उनकी अपनी भावनाएं हैं, हर तरह से जीने का हक है। शायद इसलिए विवाहेत्तर संबंधों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है।
आखिर इन प्रेम संबंधों का कारण क्या होता है। पुरूषों के बारे में महिलाओं की धारणा है कि पुरूष कभी भी पूरी तरह से एकनिष्ठ नहीं होता। थोड़ी बहुत रंगरलियां तो वह मनाता ही है। कुछ स्त्रिायां पुरूष को नीचा दिखाने की कोशिश में प्रेम संबंध बना बैठती हैं तो कुछ अपने शक्की स्वभाव के कारण दूसरी स्त्रिायों से अपने पति को बचाने की कोशिश में इस कदर लग जाती हैं कि उनका विवाहित जीवन ही खतरे में पड़ जाता है।
पति हो या पत्नी, किसी का भी अन्य स्त्राी या पुरूष के प्रति आकृष्ट हो जाना अस्वाभाविक नहीं है पर क्या कारण है कि सभी पुरूष या स्त्राी विश्वासघाती नहीं होते। इसका कारण होता है अगर वे अपने आपको किसी आकर्षण में पाते भी हैं तो अपने जीवन साथी के संपर्क व आकर्षण में रहने का प्रयत्न करते हैं। उनका यह प्रयत्न उन्हें गलत रास्ते पर नहीं जाने देता।
विवाहेत्तर संबंधों का एक नशा होता है गोपनीय मुलाकातें जिनमें आप एक दूसरे के दोष नहीं देख पाते। ये प्रणय संबंध जितनी जल्दी बनते हैं, उतनी जल्दी टूटते भी हैं। यह चमक दमक कुछ ही दिनों की होती है। जब तक वैवाहिक जीवन के सुख-दुख पति पत्नी एक साथ मिल कर नहीं उठाते, तब तक सभी सर्वगुण संपन्न नजर आते हैं पर जब हालात विपरीत हो जाएं तो अपनी पत्नी या अपना पति प्रेमी जैसा मादक दिखाई देने लगता है और प्रेमी या प्रेमिका की हालत हो उबाऊ पति या नीरस पत्नी जैसी हो जाती है।
अक्सर यह भी देखने को मिलता है कि विवाह के कुछ वर्षों के बाद आपके विवाहित जीवन में एकरसता आने लगती है जिसके कारण बाहर की ओर रूख करने का आकर्षण बढ़ जाता है। इससे बचने के लिए आमोद प्रसाद के नए ढंग ढूंढने चाहिए। अपनी दिनचर्या में परिवर्तन लाना चाहिए। किसी भी रिश्ते में जब नवीनता का समावेश होता है तो आपके जीवन में रस आ जाता है।
अगर आप पाते हैं कि आपका जीवन साथी किसी के प्यार में गिरफ्तार है तो विरक्त भाव या अनजान बने रहना भी उचित नहीं है। अपने जीवन साथी से खुलकर बात करें। जब आपके जीवन साथी को मालूम हो कि आपको हर बात की जानकारी है तो आप दोनों मिलकर समस्या का समाधान ढूंढ सकते हैं और अपने वैवाहिक जीवन की शांति के लिए अगर आप अपने जीवन साथी से क्षमा मांग अपने संबंध को समाप्त कर दें तो भी आप विश्वासघाती होने से बच सकते हैं।
कई बार आप अपने जीवन साथी के प्रणय संबंधों का कारण खुद को मान अपने आप को दोष देते हैं। विवाह सुख की गारंटी होता है, यह जरूरी नहीं, इसलिए एक दूसरे से व्यवहारिक अपेक्षाएं रखना ही उचित होता है यह भी मानें कि कोई किसी को कुछ करने के लिए बाध्य नहीं करता। अगर आपका साथी कहीं प्रेम करने लगा है तो यह आप के व्यवहार के कारण नहीं बल्कि यह भी हो सकता है कि वह खुद ब खुद करने लगा हो। अगर आप स्वयं को दोष देंगे तो आपके जीवन साथी को मनमानी करने की छूट मिल जाएगी, इसलिए अगर आप में कमी है तो उसे अपने जीवन साथी को उजागर न करें और उस कमी को दूर करने का प्रयत्न करें।
(उर्वशी)