‘लव जिहाद’ को लेकर बहुसंख्यकों में उत्पन्न डर का समाधान ढूंढना होगा 

‘लव जिहाद’ को लेकर बहुसंख्यकों में उत्पन्न डर का समाधान ढूंढना होगा 

विगत दिनों उत्तर प्रदेश स्थित बरेली की एक अदालत ने ‘लव जिहाद’ को सुनियोजित षड्यंत्र और एक खास वर्ग विशेष की भारत में अपनी सत्ता स्थापित करने का हथियार बताया। दरअसल, अदालत ने ‘लव जिहाद’ के आरोप में एक मुस्लिम युवक को आजीवन कारावास की सजा सुनायी। यह सजा उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना माननीय न्यायालय द्वारा की गयी लिखित टिप्पणी है। सजा सुनाते वक्‍त न्यायालय ने जो कहा, वह इस देश के ही नहीं अपितु दुनिया के हर लोकतांकि व्यवस्था वाले  राष्ट्र को समझना चाहिए। माननीय न्यायाधीश ने जो कहा उसका देशव्यापी महत्व है। 

इस केस में आरोपी मोहम्मद अलीम ने पीड़िता को अपना नाम आनंद बताया और उससे हिंदू रीति-रिवाजों से शादी की थी। फिर पीड़िता का यौन शोषण, फोटो व वीडियो बना कर ब्लैकमेल जैसे कई अपराध मोहम्मद अलीम ने किए। माननीय न्यायालय ने इसे सिर्फ एक व्यक्तिगत अपराध नहीं माना, बल्कि इसके पीछे छिपी बड़ी साजिश और योजनाबद्ध तरीके की ओर इशारा किया। न्‍यायालय ने लव जिहाद को ‘डेमोग्राफिक वार’ का हिस्सा बताया, जिसके तहत एक धर्म विशेष के अराजक तत्व हिंदू महिलाओं को निशाना बना रहे हैं। न्यायाधीश ने कहा कि ‘लव जिहाद’ का मुख्य उद्देश्य भारत में अपनी सत्ता स्थापित करना है। उन्होंने इसे एक अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा बताया और इस बात पर जोर दिया कि इस प्रकार के मजहबीकरण के पीछे भारी विदेशी फंडिंग हो सकती है।

कोर्ट ने जबरन मजहबीकरण की निंदा करते हुए सख्त कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया। न्यायाधीश ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को झूठ, छल, लालच या बल प्रयोग से धर्मांतरण करने का अधिकार नहीं है। यदि ऐसा होता है, तो यह देश की अखंडता और संप्रभुता के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। अदालत ने यह भी चेतावनी दी कि यदि समय रहते इन मामलों पर उचित कदम नहीं उठाए गए, तो देश को भविष्य में इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। ऐसे प्रकरण राष्ट्रीय सुरक्षा और एकता के लिए भी अत्यधिक संवेदनशील हैं। 

यानी न्‍यायालय भी यह स्‍वीकार कर रहा है कि देश में योजनाबद्ध तरीके से गैर मुसलमानों को लवजिहाद के चंगुल में फंसाया जा रहा है, जोकि इस देश के लिए किसी बड़े संकट से कम नहीं है। यहीं से साफ समझ आ जाती है कि माँ दुर्गा का मुस्‍लिम प्रतिरूप बनाने और गरबा में शामिल होने की मुसलानी जिद आखिर क्‍या है। अब सोचना गैर मुस्‍लिम समाज को ही होगा कि आखिर कैसे अपने समाज की वे रक्षा कर सकते हैं, क्‍योंकि इस्‍लामिक आंधी हर तरफ सिर्फ मुसलमानों को देखना चाहती है, इसके लिए वो किसी भी हद तक जाने को तैयार दिखती है।

हालांकि ‘लव जिहाद’ जैसे शब्द इस्लाम के लिए भी नापाक और गैर-वाजिब हैं। इस्लामिक विद्वानों का मत साफ है कि फरेब और धोखे से किया गया कार्य इस्लाम का हिस्सा नहीं है। इस्लामिक किताबों में इस बात का साफ तौर पर जिक्र किया गया है। बरेलवी फिरके के आलिम तुफैल खान बताते हैं कि इस्लाम पवित्र धर्म है। इसके मानने वाले खुदा की इबादत के अलावे और कुछ भी नहीं करते। वे इतने नेक होते हैं कि उनके शरण में आए लोगों की वे रक्षा करते हैं। एक और इस्लामिक विद्वान ने बताया कि ‘लव जिहाद’ संघ परिवार का बनाया हुआ शब्द है। इसका कोई वजूद नहीं है। गैर-इस्लाम लड़कियों से शादी करना तभी जायज माना जाता है जब वह इस्लाम कबूल कर ले। धोखे में किए गए कार्य की इस्लाम इजाजत नहीं देता है। उन्होंने बताया कि मुस्लिम लड़कियां भी हिन्दू लड़कों से शादी कर रही है। इसे तो हमलोगों को कभी धर्मयुद्ध नहीं बताया। बड़ी संख्या में अभिजात्य मुस्लिम महिलाएं हिन्दू परिवारों में हैं। यह एक प्रकार का सांस्कृतिक अंतरसंबंध है। हालांकि हमारे लिए यह भी जायज नहीं है लेकिन हम कुछ कर नहीं सकते हैं। बच्चे आधुनिक शिक्षा ले रहे हैं। एक साफ उठ-बैठ रहे हैं तो स्वाभाविक रूप से संबंध बन जाते हैं। उन्होंने बताया कि मैं आरएसएस के कई नेताओं को जानता हूं, जिन्होंने अपनी बेटे-बेटियां मुसलमानों से ब्याही हुई है। मैं कई मुस्लिम धार्मिक नेताओं को जानता हूं जिन्होंने अपनी बेटियों की शादी हिन्दू लड़कों से की है। यह मामला ही राजनीतिक है। 

हालांकि इस मामले में कई बातें हो रही है। जहां एक ओर संघ परिवार और भारतीय जनता पार्टी के नेता ‘लव जेहाद’ को लेकर माहौल बनाने में लगे हैं वहीं दूसरी ओर अन्य दलों के नेता इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। इस मामले पर पहले जैसे स्थिति नहीं रही। मामले को लेकर बहुसंख्यक हिन्दुओं में थोडा डर तो बढ़ा है। इसे संघ परिवार अपनी सफलता के रूप में देख रहा है। दूसरी बात यह है कि भारत पड़ोस में कई ऐसे देश हैं जो कट्टर मुस्लिम होने का दावा करते हैं। वहां धार्मिक अल्पसंख्यकों को लगभग दूसरे दर्जे की नागरिकता प्राप्त है। भारत में भी वहावी और मुस्लिम ब्रदरहुड वर्जन वाले इस्लामिक सोच का बड़ी तेजी से विस्तार हो रहा है। इसका असर साफ दिख रहा है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो भारतीय लोकतंत्र को इससे बड़ा खतरा हो सकता है। अभी हाल ही में बांग्लादेश में मध्यममार्गी इस्लामिक चिंतन वाली सरकार को चरमपंथियों ने उखाड़ फेंका। अब वहां दुर्गा पूजा बनाने पर प्रतिबंध की बात हो रही है। इसके कारण भारत के हिन्दू बेहद डरे हुए हैं। लव जिहाद वाला प्रचार भारत के बहुसंख्यक हिन्दुओं को प्रभावित करने लगा है। इसे भारतीय मुसलमानों को गंभीरता से लेना चाहिए और यदि इसमें कुछ सच्चाई नहीं है तो अपने तरीके से इसका जवाब देना चाहिए। तभी भारत में बढ़िया बातावरा बन पाएगा। 

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