नीतू गुप्ता
आपने एजेंट विनोद, जग्गा जासूस, डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी, पोशम पा, डैशिंग डिटेक्टिव, बादशाह, हसीन दिलरूबा, बॉबी जासूस जैसी जासूसी पर आधारित फिल्मों में जासूसों को देखा होगा। आज हमने एक असली जासूस से बात की। ये जासूस हैं, सीक्रेट वॉच डिटेक्टिव्स प्रा. लि. के सीईओ राहुल राय गुप्ता, जो डिटेक्टिव गुरू के नाम से मशहूर हैं। पेश हैं उनके साथ हुई बातचीत के कुछ अंश : –
आपने जासूसी का कैरियर ही क्यों चुना?
अपने कॉलेज के दिनों में मुझे जब भी टाइम मिलता था, मैं जासूसी उपन्यास पढ़ता था और ऐसे उपन्यास मुझे हमेशा रोमांचक लगते थे। मैंने प्रसिद्ध उपन्यासकार श्री वेद प्रकाश शर्मा के बहुत सारे उपन्यास पढ़े हैं। शायद वहीं से जासूसी ने मेरे दिमाग में घर कर लिया। दिल्ली आया तो ये ललक और बढ़ गई। इसे संयोग ही कहेंगे कि संघर्ष के दिनों में जासूसी कंपनी में नौकरी भी मिल गई। बस वहीं से सफर शुरू हुआ, जो आज तक जारी है।
आपको जासूसी करते हुए कितने साल हो गए हैं?
मैं 1998 से इस क्षेत्र में हूं। पहले कई कंपनियों में बतौर फील्ड जासूस की नौकरी की। अपने सीनियर्स से मैंने बहुत कुछ सीखा। फील्ड में नौकरी करते-करते जासूसी के अपने कौशलों पर काम किया। बहुत सारी नई चीजें सीखीं। फिर जब बहुत सारा काम कर लिया और लगा कि अब अपनी कंपनी खोल लेनी चाहिए तो सीक्रेट वॉच डिटेक्टिव्स की शुरूआत हुई, जिसे आज 25 साल से ज्यादा समय हो चुका है।
आप केवल भारत में ही जासूसी करते हैं या दूसरे देशों में भी जाते हैं?
मैं दूसरे देशों में जाकर भी इन्वेस्टीगेशन करता हूं। पिछले 25 सालों में मैंने बहुत-से इंटरनेशनल केस किए हैं। इसके लिए मैं अमेरिका, कैनेडा, यूरोप, तुर्की जैसे बहुत सारे देशों में जा चुका हूं।
आपके पास किस तरह के केस ज्यादा आते हैं?
वैसे तो हमारे पास प्री-मैट यानी शादी से पहले की जांच, गुमशुदा व्यक्तियों के केस, साइबर फ्रॉड और पोस्ट-मेट्रिमोनियल के केस आते हैं। इनमें से पोस्ट-मेट्रिमोनियल यानी शादी के बाद के केस ज्यादा आते हैं। आजकल शादी के बाद अकसर लोगों में दूरियां आ जाती हैं। एक-दूसरे पर भरोसा टूटने लगता है तो वो हमारे पास आते हैं ताकि पता लगा सकें कि कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं है।
आज शादियों की हालत कुछ ठीक नहीं है, इसका कारण आप किसे मानते हैं?
मैं हमेशा कहता हूं कि शादी से पहले जांच जरूरी है ताकि आपको शादी के बाद कोई दिक्कत न हो और मेरे पास न आना पड़े। लेकिन हमारे समाज में लोग शादी से पहले जांच-पड़ताल को गंभीरता से नहीं लेते, जिसके कई नतीजे भुगतने पड़ते हैं। अगर रिश्ता पक्का करने से पहले ही सबकुछ पता कर लिया जाए तो बाद में शादी सफल होने की संभावना काफी ज्यादा बढ़ जाती है मगर लोग ऐसा करते नहीं हैं।
तो क्या शादी से पहले जांच-पड़ताल करने से शादी चलने की गारंटी होती है?
देखिए, आजकल गारंटी तो इन्सान खुद की भी नहीं ले सकता। लेकिन हां, अगर शादी से पहले गहन जांच-पड़ताल कर ली जाए तो शादी चलने के चांस काफी ज्यादा होते हैं क्योंकि आपके सामने सब चीजें साफ होती हैं। कोई दुराव-छिपाव नहीं होता इसलिए बाद में विवाद पैदा नहीं होते। कोई लड़ाई-झगड़ा या असहमति नहीं होगी तो दोनों के बीच संबंध बेहतर बने रहेंगे। पर लोग केवल नौकरी, कमाई और घर में कितने सदस्य हैं, इसका पता लगाने को ही काफी समझ लेते हैं, जबकि ऐसा करके वो बहुत बड़ी भूल करते हैं।
शादी से पहले ऐसी और बहुत-सी जानकारियां हैं, जो आपको पता होनी चाहिएं। जैसे, उसका किसी और से अफेयर तो नहीं है या था, अगर था और अब खत्म हो चुका है तो कहीं उसकी आपराधिक छवि तो नहीं है, जिससे आपकी आने वाली ज़िंदगी पर असर पड़ सकता है। उसका कोई रिश्तेदार आपराधिक छवि का तो नहीं है। उसके पेरेंट्स का दूसरों के प्रति क्या नजरिया है। दोनों की अंडरस्टैंडिंग मिलने में क्या बाधाएं आ सकती हैं। उनको इस रिश्ते से क्या चाहिए? जो उनको चाहिए, क्या वो आपके अंदर है? अगर नहीं, तो उनको इस बात से कितना फर्क पड़ेगा। कहीं ये तो नहीं कि आज तो उन्होंने ये रिश्ता कबूल कर लिया लेकिन कल को वही चीजें समस्या बन जाएं। या फिर जो आपको चाहिए, क्या वो उसके अंदर है?
ऐसी तमाम बातें हैं, जो लोग नहीं देखते और वही बातें शादी के बाद समस्याएं पैदा करती हैं इसलिए बारीकी से पूरी छानबीन होनी चाहिए ताकि कोई भी बात अधूरी न रह जाए।
डिटेक्टिव होने के नाते, आपको किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?
हंसते हुए, हमारा तो फील्ड ही चुनौतियों से भरा है। कई बार क्लाइंट हमें पूरी बात नहीं बताते, जिससे केस सॉल्व करने में बहुत मुश्किल होती है। जैसे अगर आप डॉक्टर को अपनी बीमारी के बारे में सारे लक्ष्ण साफ-साफ नहीं बताएंगे तो वो आपका इलाज कैसे करेगा? अधूरी जानकारी के चलते कई बार इलाज पूरा नहीं हो पाता। फिर डॉक्टर को दोष देने से कोई फायदा नहीं है। कई बार क्लाइंट फैसला करने में देर लगा देते हैं, जिससे केस सॉल्व होने के चांस कम हो जाते हैं। ऐसी और बहुत-सी चुनौतियां हैं, जिनसे हमें रोजाना दो-चार होना पड़ता है।
आपके काम में कभी भी कहीं भी जाना पड़ता है, ऐसे में निजी ज़िंदगी को कैसे मैनेज करते हैं?
निजी ज़िंदगी में सबको पता है कि मैं किस फील्ड में हूं। बहुत-से फंक्शन और त्यौहार छूट जाते हैं लेकिन ये सब मैनेज हो जाता है क्योंकि मैं हमेशा अपने माइंड को मैनेज करके चलता हूं।