भारत के मौलाना ने पाकिस्तानी इमाम को भेजा फतवा

भारत के मौलाना ने पाकिस्तानी इमाम को भेजा फतवा

नयी दिल्ली/ ऑल इंडिया मुस्लिम ऑर्गेनाइजेशन के चीफ इमाम मौलाना उमेर अहमद इलियासी ने कहा कि मौलाना अरशद मदनी का बयान देश में अराजकता फैलाने वाला है।

विगत दिनों दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान ऑल इंडिया इमाम ऑर्गेनाइजेशन के प्रमुख मौलाना उमर अहमद इलियासी ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी पर सीधा जुवानी हमला बोला। इसके साथ ही उन्होंने पाकिस्तान के इमाम को भी एक मैसेज भेजा है। इलियासी ने कहा कि उन्होंने पाकिस्तान के चीफ इमाम को एक स्पष्ट फतवा भेजा है। इसमें कहा गया है कि किसी भी आतंकी संगठन को पैगंबर मोहम्मद का नाम इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

मदनी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए इलियासी ने कहा कि मदनी का हालिया बयान देश में डर और गलतफहमी पैदा करने वाला है। इसकी कड़ी निंदा जरूरी है। उनके अनुसार ऐसा बयान राष्ट्र के साम्प्रदायिक सौहार्द पर नकारात्मक असर डाल सकता है। इलियासी ने यह स्पष्ट किया कि भारत के मुसलमानों की स्थिति को किसी पश्चिमी देश से जोड़कर देखना न तो सही है और न ही जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारत की सरकारों ने हमेशा मुसलमानों को सम्मान दिया है। देश ने उन्हें सर्वाेच्च संवैधानिक पदों पर भी पहुंचाया है, इसलिए भारत के मुसलमानों की पहचान और उनका सम्मान किसी भी अन्य देश से तुलना करने की जरूरत नहीं है।

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए इलियासी ने कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार के कार्यकाल में मुस्लिम युवाओं को नई संभावनाएं मिली हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि हाल के वर्षों में सिविल सेवाओं में मुस्लिम अभ्यर्थियों का चयन पहले की तुलना में अधिक हुआ है, जो यह दिखाता है कि देश में अवसर समान रूप से उपलब्ध हैं और कोई भेदभाव नहीं किया जा रहा है।

इलियासी ने मांग की कि मौलाना अरशद मदनी अपने बयान पर दुबारा विचार करें और सार्वजनिक रूप से स्पष्ट करें कि उनका मकसद क्या है। उनका कहना है कि अगर बयान वापस नहीं लिया गया तो इससे देश के भीतर अनावश्यक तनाव पैदा होगा और इससे आम लोगों के बीच अविश्वास का वातावरण बन सकता है।

हाल ही में मौलाना अरशद मदनी ने एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने भारत में मुसलमानों की स्थिति की तुलना अमेरिका और इंग्लैंड जैसे देशों के मुसलमानों से की थी। इसी टिप्पणी ने विवाद को जन्म दिया और अब देश के कई संगठनों तथा प्रमुख मुस्लिम नेताओं ने इस तुलना को अनुचित बताया है।

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