गौतम चौधरी
अभी हाल ही में बीते रविवार को चंडीगढ़ पहुंचे केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने न केवल सिटी ब्यूटीफुल को और अधिक स्मार्ट बनाने वाली करीब 480 करोड़ की परियोजनाओं उद्घाटन किया अपितु शाह ने चंडीगढ़ प्रशासन के हजारों कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दे गए। धनास स्थित पुलिस हाउसिंग कांप्लेक्स के उद्घाटन के मौके पर शाह ने घोषणा की है कि चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों पर अब केंद्रीय सेवा नियम लागू होंगे। उन्होंने कहा कि पिछले काफी समय से इसकी मांग की जा रही थी। अब इसका लाभ चंडीगढ़ प्रशासन के दायरे में आने वाले सभी कर्मचारियों को मिलेगा।
इस घोषणा से जहां एक ओर चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारी खुश हैं वहीं एक नया विवाद भी पैदा हो गया है। इस घोषणा के बाद पंजाब और हरियाणा के कुछ सियासी दल के नेताओं ने इसे राज्य के अधिकार और देश की संघीय ढ़ाचे के खिलाफ बताया है। केन्द्रीय गृहमंत्री की घोषणा की व्याख्या नकारात्मक तरीके से की जा रही है, जिसका न तो राज्य के अधिकार से कोई लेना-देना है और न ही यह देश के संघीय ढ़ाचे पर कोई प्रतिकूल असर डाल रहा है।
सबसे पहले यह जानते हैं कि आखिर अमित शाह ने क्या कहा। तो, अमित शाह ने कहा कि वह चंडीगढ़ प्रशासन के सभी कर्मचारियों को एक शुभ समाचार देना चाहते हैं। चंडीगढ़ प्रशासन के सभी कर्मचारियों की सेवा शर्तों को केंद्र की सेवा नियमों के साथ जोड़ने का फैसला लिया गया है। इससे कर्मचारियों को काफी लाभ होगा। सेवानिवृत्ति की उम्र 58 से 60 वर्ष हो जाएगी। वहीं, शिक्षा विभाग से जुड़े सभी कर्मचारी व अधिकारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 हो जाएगी। कर्मचारी बाल शिक्षा भत्ते के भी हकदार हो जाएंगे। इसके अलावा केंद्र के कर्मचारियों की तरह चंडीगढ़ की महिला कर्मचारियों को चाइल्ड केयर के लिए दो साल की छुट्टी मिलेगी। शाह ने कहा कि चंडीगढ़ के कर्मचारियों की मांगों को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि सोमवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी जाएगी और कर्मचारियों को एक अप्रैल 2022 से इसका लाभ मिलना प्रारंभ हो जाएगा। अब इस घोषणा में राज्य का अधिकार और संघीय ढ़ाचा कहां आड़े आ रहा है?
बता दें कि वर्ष 2020 में इसकी कवायद प्रारंभ हुई थी। यूटी प्रशासन ने वर्ष 2020 में तीन मुद्दों पर कानूनी राय मांगी थी। इनमें से एक पंजाब सेवा नियम को मानने को लेकर था। दूसरा यह था कि क्या ऐसा हो सकता है कि प्रशासन पंजाब सेवा नियम को ही माने लेकिन रिटायरमेंट उम्र केंद्रीय सेवा नियम के अनुसार तय हो। इस पर कहा गया है कि किसी भी सेवा नियम में से ‘पिक एंड चूज’ नहीं किया जा सकता है। अगर अपनाते हैं तो पूरी तरह से अपनाना पड़ेगा। इसके अलावा प्रशासन ने यह भी जानकारी मांगी थी कि चंडीगढ़ के लिए केंद्रीय सेवा नियम को मानना सही होगा? इस पर कानूनी सलाह दी गई थी कि इसे लागू करने में कई तरह की कानूनी अड़चनें हैं क्योंकि साल 1992 में चंडीगढ़ ने केंद्रीय कैबिनेट से पास होने के बाद पंजाब सेवा नियम को अपनाया था। प्रशासन ने इस कानूनी राय को दिल्ली भेज दिया था और फैसला गृहमंत्री पर छोड़ दिया था।
केन्द्रीय गृहमंत्री की घोषणा और उसके आधार पर तत्काल अधिसूचना जारी होते ही चंडीगढ़ प्रशासन के अधिनस्थ कर्मचारियों को कई प्रकार के लाभ मिलने लगेंगे। मसलन, सेवानिवृत्ति की उम्र अब 60 वर्ष होगी, प्रोफेसर आदि की 65 हो जाएगी। शिक्षकों को सफर करने के लिए भत्ता मिलने लगेगा। केन्द्रीय कर्मचारियों को लगभग यह भत्ता प्रतिमाह 4000 रुपये मिल रहा है। पे-स्केल और डीए केंद्र के कर्मचारियों के साथ मिलेगा। स्कूलों में अब उप प्राचार्य का पद होगा, इसमें वरिष्ठता के आधार पर नियुक्ति होगी। महिला कर्मचारियों को चाइल्ड केयर के लिए दो साल की छुट्टी मिलेगी। कक्षा-12 तक दो बच्चों के अभिभावकों को शिक्षा भत्ता मिलेगा।
अब चंडीगढ़ के गठन और इसके विवाद पर भी थोड़ी चर्चा कर लेते हैं। चंडीगढ़ संघ राज्य क्षेत्र का गठन पंजाब पुनर्गठन अधिनियम की धारा 4 के अन्तर्गत वर्ष 1966 में किया गया था। संविधान के अनुच्छेद 309 के माध्यम से केन्द्र सरकार ने 1 नवंबर 1966 को अधिसूचना जारी की जिसमें केन्द्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक नियंत्रणाधीन कर्मचारियों की सेवा से संबंधित नियमों को अधिसूचित किया गया। तदोपरांत समय-समय पर (1988, 1992 और 2018) इस विषय में आदेश/अधिसूचनाएं जारी की गयी। नवबर 1, वर्ष 1966 के अधिसूचना के माध्यम से अधिसूचित किया कि केन्द्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक के नियंत्रणाधीन व्यक्तियों की सेवा की शर्तें केन्द्रीय सिविल सेवा पदों पर नियुक्त व्यक्तियों की सेवा की शर्तों, राष्ट्रपति द्वारा किए गए किसी अन्य प्रवधान के अधीन, के अनुरूप होगी। अधिसूचना के आधार पर केन्द्रीय पैटर्न पर सेवा शर्तें एवं अधिसूचना के प्रावधान के आधार पर 1 नवंबर 1966 से वतनमान और अन्य भत्तों को पंजाब पैटर्न पर निर्धारित कर दिया गया। चंडीगढ़ प्रशासनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए 1 नवंबर 1966 से 31 दिसंबर 1985 तक सेवा की शर्तें केन्द्रीय रही जबकि वेतन का प्रारूप पंजाब सरकार की तरह का रहा। वेतन मान का यह प्रारूप उस समय यहां के कर्मचारियों के लिए लाभप्रद था। इसके बाद 1 जनवरी 1986 से लेकर 31 मार्च 1991 तक चंडीगढ़ के कर्मचारियों के लिए सेवा शर्तें केन्द्रीय प्रारूप पर और वेतनमान भी केन्द्रीय पैटर्न पर लागू कर दिया गया। इसके बाद 1 अप्रैल 1991 में एक अधिसूचना जारी कर सेवा चंडीगढ़ के कर्मचारियों के लिए सेवा शर्तें व वेतन प्रारूप दोनों पंजाब पैटर्न पर कर दिया गया।
चंडीगढ़ प्रशासनिक दायरे में आने वाले तमाम कर्मचारियों की यह मांग थी कि यह दोनों बदल कर केन्द्रीय प्रारूप की तरह कर दी जाए। इसके पीछे का तर्क यह था कि चूकि चंडीगढ़ भी केन्द्र शासित प्रदेश है इसलिए यहां केन्द्र शासित प्रदेश की तरह की सेवा शर्तें लागू की जाए। चंडीगढ़ प्रशासन के अधिनस्थ कर्मचारियों की मांग को ही माना है। अपनी ओर से और कुछ भी नहीं जोड़ा है। इससे चंडीगढ़ की जनता को भी लाभ होगा। अब चंडीगढ़ भी लगभग 55-60 वर्ष का हो चुका है। यहां के नौजवानों को भी सरकारी काम में हस्तक्षेप चाहिए। स्थानीय युवाओं को इससे लाभ मिलेगा।