वक्फ संपत्तियों को माफियाओं के चंगुल से निकालने की कवायद

वक्फ संपत्तियों को माफियाओं के चंगुल से निकालने की कवायद

गौतम चौधरी

विगत दिनों भारतीय समाचार माध्यमों में वक्फ की खबरें खूब सुर्खियां बटोरी। वक्फ पर कई आरोप भी मढ़े गए और कई ऐसी खबरें भी चलाई गयी जो वक्फ के अस्तित्व को चुनौती देने वाली थी। आज हम उन्हीं खबरों की पड़ताल करने की कोशिश करेंगे। वक्फ शब्द का शाब्दिक अर्थ समर्पित होता है। मुसलमान, धर्मार्थ या धार्मिक उद्देश्यों के लिए अपनी संपत्ति का एक हिस्सा समर्पित करते हैं। भारत के लगभग प्रत्येक राज्य में वक्फ बोर्डों की स्थापना की गई और उनके पंजीकरण और उपयोग की निगरानी और विनियमन करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक केंद्रीय वक्फ परिषद की स्थापना की गई है। वक्फ संपत्तियों का उपयोग कर अमूमन सार्वजनिक कल्याण के लिए कब्रिस्तान, मस्जिद, मदरसे, अनाथालय, अस्पताल, क्लीनिक और शैक्षणिक संस्थान बनाए जाते हैं। हालांकि, अस्पतालों और शैक्षणिक संस्थानों सहित लगभग सभी धर्मार्थ संस्थान सभी धर्मावलंबियों के उपयोग के लिए उपलब्ध हैं। इसमें जाति या धर्म का कोई बैरियर नहीं होता। 

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने 2017 की शुरुआत में मीडिया को बताया था, ‘‘जब से वक्फ बोर्डों की स्थापना हुई है, तब से खाली संपत्तियों का एक मुद्दा रहा है, जिसे मैं वक्फ माफिया कहता हूं।’’ इन संपत्तियों पर मुसलमानों के लाभ के लिए मॉल, शैक्षिक संस्थान, छात्रावास और कौशल केंद्र बनाये जायेंगे। एक नजर उत्तर प्रदेश में वक्फ संपत्तियों पर अगर डाले तो पता चलता है कि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड उत्तर प्रदेश राज्य में 1.5 लाख से अधिक संपत्तियों का मालिक है, जबकि शिया वक्फ बोर्ड 12,000 से अधिक संपत्तियों का मालिक है। सीडब्ल्यूसी को यूपी वक्फ संपत्तियों के कुप्रबंधन के बारे में उत्तर प्रदेश से कई शिकायतें मिलने के बाद, उत्तर प्रदेश और झारखंड वक्फ बोर्डों के प्रभारी सैयद एजाज अब्बास नकवी ने तथ्यों की जांच के लिए एक जांच समिति का बनाई और खुद की निगरानी में जांच भी किया। जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में विस्तार से बताया कि कैसे एक मंत्री के रूप में आजम खान ने कथित तौर पर वक्फ बोर्ड के तहत संपत्ति हासिल करने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया। यह दावा किया गया था कि आजम खान ने मौलाना जौहर अली एजुकेशन ट्रस्ट की स्थापना की और वक्फ संपत्तियों से फंड ट्रांसफर किया। रिपोर्ट में वक्फ संपत्तियों पर किराया संग्रह रिकॉर्ड के रखरखाव में विसंगतियों पर प्रकाश डाला गया है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने नवंबर 2020 में दो मामलों को अपने हाथ में लिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने वक्फ संपत्तियों को अवैध रूप से बेचा, खरीदा और स्थानांतरित किया।

दरगाह बाबा कपूर की वक्फ संपत्ति उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा पर 550 गांवों में फैली हुई है। हालांकि, लोगों द्वारा धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए धन संचय के लिए बार-बार याद दिलाने के बावजूद, वहां की वक्फ बोर्ड एक पैसा नहीं दान करती है। वक्फ बोर्ड के संचालन के तरीके से लोग असंतुष्ट हैं। कुछ मामलों में, उत्तर प्रदेश में, वक्फ बोर्ड ने एक मॉल के लिए स्थानीय राजनेताओं को कब्रिस्तान की जमीन बेच दी, जिससे मुसलमानों में आक्रोश अभी भी बरकरार है। जमीन बिक्री की आय पूरी तरह से बोर्ड के सदस्यों के पास चली गई, जो आपस में अच्छी तरह से मिले हुए थे (जैसा कि टाइम्स ऑफ इंडिया ने रिपोर्ट में दावा किया गया था)। समाचार पत्रों के अनुसार, ‘‘कई राज्य बोर्डों पर हाल के वर्षों में वक्फ भूमि को डेवलपर्स और निजी खरीदारों को कम दरों पर बेचने का आरोप लगाया गया है।’’ इंडिया टीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार ‘‘ए एन जैदी ने ठाकुरगंज में मोती मस्जिद, महानगर में श्मशान घाट, लाई बाग में इमामबाड़ा और प्रयागराज में छोटा कर्बला सहित छह प्रमुख वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे के बारे में शिकायत दर्ज कराई थी। यह भी दावा किया कि प्रयागराज में गुलाम हैदर इमामबाड़ा का एक बड़ा हिस्सा अवैध रूप से भू-माफियाओं को बेच दिया गया था और कुछ क्षेत्रों को किराए पर दे दिया गया था।’’

2005 में केन्द्र सरकार ने ‘‘भारत के मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति’’ पर एक जांच समिति बनाई। समिति की अध्यक्षता का जिम्मा न्यायमूर्ति राजिंदर सच्चर को सौंपा गया था। इस समिति में कुल सात सदस्य नियुक्त किए गए। समिति ने 2006 में अपनी रिपोर्ट जारी की, जिसमें सिफारिश की गई कि वक्फ बोर्डों को दुरूस्त किया जाए। समिति ने अपनी रिपोर्ट में राज्य वक्फ बोर्डों द्वारा अधिगृहित संपत्तियों की कड़ी निगरानी का भी अनुरोध किया है। रिपोर्ट में दी गई किसी भी सिफारिश को अभी तक लागू नहीं किया गया है। वक्फ मैनेजमेंट  सिस्टम ऑफ इंडिया (डब्ल्यूएएमएसआई) पोर्टल की शुरुआत ही एकमात्र ऐसी चीज है जिसने चीजों को आगे बढ़ाया है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने वक्फ संपत्तियों पर डेटा एकत्र करने के लिए (डब्ल्यूएएमएसआई) पोर्टल बनाया है। फरवरी 2023 तक, सिस्टम में 8.69 लाख से अधिक अचल संपत्तियों का डेटा दर्ज किया गया जा चुका था।

कई राज्यों में भ्रष्ट राजनेता, पुलिस, नौकरशाह और भू-माफिया लंबे समय से वक्फ की संपत्ति पर कब्जा जमाकर बैठे हैं। अधिकारियों की जेब भरने के लिए पैसे के बदले संपत्ति लीज पर दिया जाता है। इसलिए वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है कि वक्फ संपत्तियों के मसले को राजनीतिक नजरिए से नहीं बल्कि निष्पक्ष नजरिए से देखा जाए। इससे वक्फ बोर्डों और गरीब मुसलमानों को ही नहीं देश के अन्य समुदायों के गरीब जनता को भी फायदा होगा। यही नहीं मुस्लिम समाज में शिक्षा के प्रसार हेतु स्कूल और कॉलेज के लिए अधिक भूमि उपलब्ध होगी और वक्फ बोर्डों की कमाई बढ़ेगी, जिसका उपयोग मुस्लिम समुदाय की भलाई के लिए किया जा सकेगा है।

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