डाॅ. वीरेन्द्र भाटी मंगल
वर्तमान सोशल मीडिया के दौर में फ्रेंडशिप यानी दोस्ती शब्द का चलन बहुत व्यापकता के साथ हमारे समाज में बढा है। किसी भी उम्र, लिंग के बिना भेद के सोशल मीडिया की यह दोस्ती अपने परवान पर है। दोस्ती किसी भी व्यक्ति के साथ हो सकती है, लेकिन दोस्ती के मायने भी होने चाहिए। आज हम देखते है कि सोशल मीडिया पर किसी भी उम्र सीमा के व्यक्ति से दोस्ती सामान्य सी बात है, लेकिन क्या यह दोस्ती भारतीय समाज व हमारे संस्कारों के अनुरूप है? सोशल मीडिया की दोस्ती कितनी मजबूत होती है, इसके कई उदाहरण दिन-ब-दिन हमारे सामने आते रहते है। जहां एक और हम युवा पीढी में संस्कारों के बीजारोपण की बात करते है, ऐसे में सोशल मीडिया की इस दोस्ती के मायने क्या है, इस पर चिंतन भी जरूरी है।
एक समय में दोस्ती, मित्रता या फ्रेंडशिप के अपने अलग मायने होते थे, प्रायः दोस्ती हम उम्र लोगों में ही होती थी। विपरीत लिंग के प्रति दोस्ती का भाव समाज को स्वीकार्य नहीं था, लेकिन आज सोशल मीडिया के माध्यम से परिवार व समाज में आये इस खुलेपन की वजह से न उम्र की सीमा रही और न विपरीत लिंग से दूरी। दोस्ती के नाम पर दिन भर सोशल मीडिया पर चलने वाला दौर दोस्ती की सीमा रेखा को प्रभावित करता है। सोशल मीडिया ने विपरीत लिंग के प्रति दोस्ती के मायने बदल दिये है। आज केवल युवाओं में ही नहीं बल्कि उम्रदराज महिला-पुरूषों में भी दोस्ती की भावनायें परवान चढकर बोल रही है। क्या यह ठीक है? इसका फैसला तो हम नहीं कर सकते हैं लेकिन भारतीय समाज एवं संस्कारों को ध्यान में रखकर जागरूक जरूर कर सकते है। हमारी भारतीय परम्परा के अनुरूप किसी भी शादी शुदा महिला या पुरूष का गैर महिला-पुरूषों के साथ अंतरंग संबंध अवैध ही माना जायेगा लेकिन आज कोई भी व्यक्ति दोस्ती के नाम पर किसी से भी अपनी भावनायें व संवेदनायें की घुसपैठ कर किसी के भी जीवन में प्रवेश कर कई लोगों के जीवन को प्रभावित कर सकता है।
वर्तमान दौर में प्रतिदिन सोशल की दोस्ती के साइड इफेक्ट मीडिया के माध्यम से जानने सुनने को मिलते रहते है। कुछ दिनों की सोशल मीडिया की चिकनी चुपड़ी दोस्ती के कारण शादी-शुदा महिला या पुरूष अपनी वर्षो पुरानी शादी, लोकलाज व बच्चों की परवाह किये बिना दूसरों के साथ भाग जाने के लिए तत्पर हो जाता है, आखिर क्यों। कहां गया हमारा संयम। आज जरूरत है कि हम इस बढते सोशल मीडिया की दोस्ती के दौर में संयम के साथ कैसे इन मसलों को हल कर सकते है, इस पर चिंतन करना होगा। पिछले दिनों हमारें देश में पाकिस्तान से भागकर अपने पति व देश को छोड़कर चार बच्चों के साथ भारत में अवैद्य रूप से प्यार के नाम पर पहुंची महिला इसका विरल उदाहरण है। क्या चार वर्षों की मां को यह जरूरत आन पड़ी की वो अपने पति व वतन को छोड़ गैर मुल्क में आ जाये। प्यार करना कोई बुरी बात नही है लेकिन इस प्रकार का प्यार हमारे भारतीय समाज में कभी स्वीकार्य नहीं है। अगर यूं ही शादी शुदा महिलायें गैर मर्दों के साथ प्यार की पींगें बढाने लगी तो शादी नाम की पारम्परिक संस्था खतरे में पड जायेगी।
वास्तविकता में देखें तो दोस्ती का रिश्ता बेहद खूबसूरत और खास रिश्ता होता है। इसको पहचानना जरूरी है। सोशल मीडिया के इस दौर में युवा पीढी में बढता फ्रेंडशिप का क्रेज कहां जाकर रूकेगा। इसकी केवल कल्पना की जा सकती है। सोशल मीडिया के माध्यम से बढते इस चलन से परिवार एवं समाज में चिंता बढी है। इसके कारण शादी नाम की संस्था मात्र दिखावे के लिए रह गई है। आपसी टूटते रिश्तो के इस दौर में सोशल मीडिया का दुष्प्रभाव भी नजर आ रहा है। परिवार और रिश्तेदार तो हमें ईश्वर से मिलते हैं लेकिन दोस्त हम खुद चुनते है यह बहुत बडी बात है जरूरत है कि हम सोशल मीडिया पर फ्रेंडशिप करते समय विवेक उपयोग करेगे तो सही दोस्त को खोज सकते है।
सच्चा दोस्त वहीं हो सकता है जो मुसीबत में हमारा साथ दे सकें जबकि सोशल मीडिया की दोस्ती में ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है। जरूरत के हिसाब से दोस्ती कभी भी ठीक नहीं हो सकती। सोशल मीडिया पर हो या रियल लाइफ में एक अच्छा दोस्त ही हमेशा सही रास्ता दिखा सकता है। सच्चा दोस्त हमेशा मदद के लिए हर समय तैयार रहता है। दोस्ती में अच्छा दोस्त हमेशा अपने दोस्त को अच्छे कार्यों के लिए प्रेरित करेगा। एक अच्छा दोस्त ही खुद पर यकीन करना सिखाएगा जिससे आपके आत्मविश्वास में बढोतरी हो सके। सोशल मीडिया के दोस्तों में एक भरोसेमंद दोस्त का हासिल करना बहुत मुश्किल काम है, यहा अनेक मामलों में यूज एण्ड थ्रो की पद्वती देखी गई है। अगर सोशल मीडिया पर कोई आपका अच्छा दोस्त है तो वो आप उस पर आंख बंद करके कभी भरोसा नहीं करें तो ही बेहतर है, जब तक उस व्यक्ति के बारे में आप पूर्ण रूप से विश्वास नहीं कर लेते, तब तक यकीन नहीं किया जाना चाहिए। आज के दौर में सोशल मीडिया पर बढते दोस्ती के इस खेल का समझने की जरूरत है। सोशल मीडिया की दोस्ती में कभी भी बिना जाने अपनी व्यक्तिगत व अन्य बातों के शेयर करने से कई बार परेशानी का सामना भी करना पडता है। ऐसा भी देखा गया है कि कई बार ठग टाइप के लोग अपनी दुखभरी कहानी बताकर विशेषकर महिलाओं से दोस्ती कर उनका भावनात्मक फायदा उठाकर फिर ब्लैकमेल कर नुकसान पहुचाने की कोशिश करते है। इसलिए सजगता बहुत जरूरी है। सही मायने में हम यह कह सकते है कि सोशल मीडिया की दोस्ती में जागरूकता व सावधानी बहुत जरूरी है।
(युवराज)