पटना/ भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पीएम सम्मान निधि से बिहार के 71 लाख 45 हजार 65 लाभार्थी 3,443.55 करोड़ रुपये का लाभ लेने से वंचित रह गए। बिहार विधान मंडल के समक्ष शुक्रवार को भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक का लेखापरीक्षा प्रतिवेदन (निष्पादन एवं अनुपालन लेखापरीक्षा) 2022 प्रस्तुत किया गया, जिसमें इसका खुलासा हुआ है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि विभाग के पास योजना के संभावित लाभार्थियों की कोई मौजूदा सूची नहीं होने से 71,45,065 लाभार्थी 3,443.55 करोड़ से वंचित रहे। 164 लाख प्रचलित भूमिधारकों के विरुद्ध पंजीकृत लाभार्थियों की संख्या केवल 82.50 लाख (50 प्रतिशत) थी (अगस्त 2021)। अपर्याप्त आच्छादन के लिए विभाग के पास संभावित लाभार्थियों की कोई मौजूदा सूची नहीं होने, अन्य योजनाओं के मौजूदा डाटाबेस तक पहुंच नहीं होने, ऑफलाइन आवेदनों के लिए किसी भी विकल्प का प्रावधान नहीं करने आदि को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इसमें यह भी कहा गया है कि ऑफ लाईन आवेदन का विकल्प नहीं देकर राज्य सरकार ने वैसे किसानों को योजना के लाभ से वंचित कर दिया, जो ऑनलाईन आवेदन नहीं कर सके थे।
कृषि विभाग आयकर भुगतान की स्थिति और योजना के लाभ के लिए पात्रता निर्धारित करने वाली अन्य सूचनाओं के विषय में लाभार्थियों द्वारा की गई स्व घोषणाओं पर निर्भर था। परिणामस्वरूप 82,50,032 पंजीकृत लाभार्थियों में से 48,366 अपात्र लाभार्थी जो आयकर दाता थे, जिन्हें 39.05 करोड़ (नवंबर 2021 ) का योजना का लाभ प्राप्त हुआ। इसी प्रकार 19,485 मामले जिनमें 23.62 करोड का भुगतान (नवंबर 2021) हुआ था. लाभार्थी के रोजगार, मृत्यु मामलों आदि के आधार पर अपात्र थे।
रिपोर्ट के अनुसार 10 नमूना जांचित जिलों में 22,301 अवयस्क लाभार्थियों (कुल पंजीकृत अवयस्क लाभार्थियों का 91 प्रतिशत) को ₹23.59 करोड़ की राशि के अस्वीकार्य लाभ का भुगतान किया गया था। क्योंकि, पीएम किसान के तहत लाभ के लिए आवेदन में कट-ऑफ तिथि यानी 01 फरवरी, 2019 को लाभार्थी की आयु को संज्ञान में नहीं लिया गया था।
विफल और लंबित भुगतानों के कारण राज्य के लाभार्थियों को 50रू48 करोड़ का हस्तांतरण नहीं किया जा सका जो दर्शाता है कि विभाग द्वारा आवश्यक और विवरण को अद्यतन करना शेष था। इसमें यह भी कहा गया है कि बैंक खाते से संबंधित विसंगतियों के कारण पीएफएमएस द्वारा 67.535 लाभार्थियों के आवेदन अस्वीकृत कर दिए गए थे जो इस तथ्य के कारण थीं कि पहला राज्य के डीबीटी पोर्टल पर बैंक खाता विवरणों की जांच की सुविधा नहीं थी और दूसरा राज्य नोडल अधिकारी ने इस तथ्य को केंद्र सरकार के संज्ञान में नहीं लाया था।
175 लाभार्थियों से संबंधित 22.62 लाख के योजना लाभ अन्य व्यक्तियों के बैंक खातों में हस्तांतरित किए गए थे, जो लाभार्थियों के बैंक खाते के विवरण की शुद्धता सुनिश्चित करने के मौजूदा तंत्र में कमजोरी की पुष्टि करते हैं। राशि की वसूली किया जाना अभी तक बाकी ( नवंबर 2021 तक ) था । 10 नमूना- जांचित जिलों में से छह में, डीएओ द्वारा राज्य नोडल कार्यालय को भुगतान रोकने के आग्रह के बावजूद, 138 लाभार्थियों को 6.96 लाख का भुगतान किया गया था।
अपात्र 67,851 लाभार्थियों से वसूली योग्य 62.67 करोड़ के विरुद्ध लगभग 5.00 करोड़ (आठ प्रतिशत) वसूल किया गया (फरवरी 2022 तक) था और इसे अभी तक भारत सरकार को हस्तांतरित किया जाना शेष था क्योंकि समाशोधन प्रक्रिया पूरी नहीं हुई थी। योजना के प्रारम्भ (फरवरी 2019) से अगस्त 2021 तक केवल 9,408 शिकायतों (23 प्रतिशत) का निवारण किया गया, जबकि सितंबर 2021 से नवंबर 2021 (तीन माह ) के दौरान शेष 30,674 (77 प्रतिशत) शिकायतों का निवारण किया गया।
संबंधित अभिलेखों के अभाव में यह सत्यापित नहीं किया जा सका कि लाभार्थियों की 30,674 लंबित शिकायतों, जिन्हें निष्पादित इंगित किया गया था, का निवारण वास्तव में किया गया। साथ ही विभिन्न अधिकारियों ने शिकायत मामलों का सत्यापन नहीं किया गया था ।