छत्तीसगढ़ कांग्रेस में गुटवाजी तेज, हवा-हवाई नेता शैलजा के कारण पार्टी का गिरने लगा ग्राफ

छत्तीसगढ़ कांग्रेस में गुटवाजी तेज, हवा-हवाई नेता शैलजा के कारण पार्टी का गिरने लगा ग्राफ

रायपुर से गौतम चौधरी की खास रिपोर्ट 

रायपुर/ जब से कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व ने हरियाणा के जंग में हारी नेता, कुमारी शैलजा को छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया है, तब से प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति कमजोर होने लगी है। यही नहीं प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी भी बढ़ने लगा है। हरियाणा में कुमारी शैलजा को हवा-हवाई नेता ही माना जाता है। हालांकि हरियाणा कांग्रेस में चैधरी भुपेन्द्र सिंह हुड्डा की धुर विरोधी मानी जाने वाली शैलजा पर केन्द्रीय नेतृत्व की विशेष कृपा है। यही नहीं हरियाणा में ऐसी भी चर्चा है कि यदि केन्द्रीय नेतृत्व की चली और प्रदेश में कांग्रेस बहुमत के साथ लौटती है, तो मुख्यमंत्री की प्रवल दावेदार शैलजा होगी। इस मामले को लेकर चुनाव से पहले हरियाणा में जंग छिड़ गया है। ऐसे में बताया तो यह भी जा रहा है कि चैधरी हुड्डा भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व के साथ ही संपर्क बनाए हुए हैं।

कुमारी शैलजा को हवा-हवाई नेता के तौर पर ही जाना जाता है। यही नहीं इन दिनों शैलजा ब्राह्मण विरोधी बयानों को लेकर भी चर्चा में हैं। विगत दिनों कांग्रेस के महासचिव कुमारी शैलजा ने मंदिर में जाने के बाद उनकी जाति पूछे जाने की बात कह कर बवाल खड़ा कर दिया था। इस मामले को लेकर शैलजा हरियाणा ही नहीं पूरे दश के हिन्दुवादी के निशाने पर हैं। जानकारों की मानें तो शैलजा के छत्तीसगढ़ प्रभारी बनने के बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस में गुटबाजी बढ़ी है। दबी जुवान एक कांग्रेसी नेता जो वर्तमान में प्रदेश सरकार में मंत्री भी हैं, उन्होंने बताया कि चूंकि मैडम इन दिनों केवल और केवल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की ही बात सुन रहीं हैं, इसलिए अन्य नेता अपनी बात कही ही नहीं पा रहे हैं। उक्त कांग्रेसी नेता ने तो यहां तब बताया कि शैलजा दूसरे गुटों की बात को भी मुख्यमंत्री बघेल के साथ साझा करती हैं। यही कारण है कि प्रदेश कांग्रेस में लगातार गुटबाजी बढ़ती जा रही है।

विगत दिनों इसका एक उदाहरण भी देखने को मिला। दरअसल, हुए ऐसा कि प्रदेश के उपमुख्यमंत्री टीएस सिंह देव ने किसी बात को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ कर दी। इस बात पर कांग्रेस का भूपेश वाला खेमा सिंह देव पर दबाव बनाना प्रारंभ कर दिया। हालांकि सिंह देव को अपना बयान वापस लेना पड़ा लेकिन पूरे प्रदेश में इस बात की चर्चा होने लगी कि इस बार सिंह देव किसी न किसी तरह भूपेश को पटखनी देने की योजना बना रहे हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है कि प्रदेश की प्रभारी और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव कुमारी शैलजा प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर पूर्ण रूपेण आश्रित हो गयी हैं।

पिछले पांच सालों से प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी रहे पीएल पुनिया को बीते वर्ष के अंत में छत्तीसगढ़ से छुट्टी कर दी गयी और उनके स्थान पर कांग्रेस की महासचिव एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा को छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस का नया प्रभारी बनाया गया। इस नियुक्ति को 2023 में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की नई रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

जब कुमारी शैलजा की नियुक्ति छत्तीसगढ़ प्रभारी के तौर पर की गयी तो ऐसा लगा था कि वह प्रदेश कांग्रस को नयी दिशा देंगी लेकिन अब मैडम खुद राजनीतिक भ्रमर फंसती दिख रही हैं। बता दें, कांग्रेस ने पूर्व अफसरशाह पीएल पुनिया को उस समय छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया था, जब यहां की टीम 2018 के विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही थी। प्रदेश प्रभारी के तौर पर पुनिया ने संगठन के अलग-अलग धड़ों को साधकर चुनावी जीत की राह आसान बनाई। उन्होंने प्रदेश संगठन से लेकर बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं तक संवाद के जरिए पैठ बनाई थी। बाद में वे संगठन में ताकत की एक नई धुरी बनकर उभरे थे। 2020 में पुनिया को दोबारा छत्तीसगढ़ का ही प्रभारी बनाया गया।

छत्तीसगढ़ कांग्रेस पर खास नजर रखने वाले जानकारों का मानना है कि चूंकि कुमारी शैलजा छत्तीसगढ़ की तुलना में अपने गृह प्रदेश को ज्यादा तबज्जो दे रहीं हैं। यही नहीं, शैलजा को कई बार छत्तीसगढ़ की महत्वपूर्ण बैठकों को छोड़ आनन-फानन में हरियाणा जाते देखा गया है। इस कारण छत्तीसगढ़ कांग्रेस में शैलजा के प्रति एक प्रकार का अविश्वास भी पैदा हो रहा है। शैलजा के बारे में यह भी बताया जा रहा है कि मैडम आम कार्यकर्ताओं से मिलने में भी आनाकानी करतीं हैं। यही नहीं कभी-कभी प्रदेश के प्रभावशाली नेता भी उनसे नहीं मिल पाते हैं। शैलजा की कार्यशैली की तुलना करते हुए एक कांग्रेसी कार्यकर्ता ने बताया कि विगत दिनों जब वह उनसे मिलने की कोशिश की तो उनके सहयोगियों ने मिलने से साफ मना कर दिया। इसके कारण प्रदेश कांग्रेस में नए सिरे से असंताष पैदा हो रहा है। स्थानीय नेता और कार्यकर्ता पुनिया से शैलजा की तुलना कर रहे हैं। ऐसे में पुनिया के समक्ष शैलजा की कार्यशैली थोड़ा सामंती अंदाज का प्रतीत होता है।

शैलजा पर लगते रहे हैं गंभीर आरोप

मार्च 2011 में जब शैलजा केंद्रीय पर्यटन मंत्री थीं तब मिर्चपुर कांड में उनके साथ एक विवाद जुड़ा था। हरियाणा हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए शैलजा को नोटिस जारी किया था क्योंकि उन पर आपराधिक साजिश के सबूतों के साथ जालसाजी करने और डराने धमकाने के आरोप थे। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक एडवोके बीएस चाहर ने याचिका में आरोप लगाए थे कि शैलजा ने खुद को बचाने के लिए उन लोगों पर ‘खाली व गैर न्यायिक पत्रों’ पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव बनाया, जिनके खिलाफ ट्रायल चल रहा था।

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