नयी दिल्ली/ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने रविवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वंसेवक संघ ने शिक्षा प्रणाली को नष्ट करने का बीड़ा उठा लिया है। उन्होंने पूछा कि राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (एनआरए) ने पिछले चार वर्षों में एक भी परीक्षा क्यों आयोजित नहीं की है।
खरगे की प्रतिक्रिया प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की शनिवार को मुंबई में की गई उस टिप्पणी पर आई है, जिसमें उन्होंने जोर दिया था कि पिछले तीन से चार वर्षों में आठ करोड़ नई नौकरियों के सृजन ने बेरोजगारी के बारे में फर्जी बातें फैलाने वालों को ‘‘चुप’’ कर दिया है।
खरगे ने ‘एक्स’ पर कहा, नरेन्द्र मोदी जी, कल आप मुंबई में नौकरियां देने पर झूठ का मायाजाल बुन रहे थे। मैं आपको पुनः याद दिलाना चाहता हूं कि आपने एनआरए की घोषणा करते हुए क्या कहा था।
उन्होंने कहा, अगस्त 2020 में आपने कहा था कि एनआरए करोड़ों युवाओं के लिए वरदान साबित होगी और सामान्य पात्रता परीक्षा के माध्यम से, यह कई परीक्षाओं को समाप्त कर देगा तथा कीमती समय के साथ-साथ संसाधनों की भी बचत करेगा। इससे पारदर्शिता को भी बड़ा बढ़ावा मिलेगा।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, हमारे 3 सवाल हैं – एनआरए ने पिछले चार वर्षों से एक भी परीक्षा क्यों नहीं कराई? क्यों एनआरए को ₹1,517.57 करोड़ का फंड मुहैया कराने के बावजूद, 4 वर्षों में अब तक केवल ₹58 करोड़ खर्चा किया गया है? एनआरए सरकारी नौकरियों की भर्ती के लिए बनी संस्था थी। क्या जानबूझकर एनआरए को निष्क्रिय रखा गया, ताकि एससी, एसटी, ओबीसी व ईडब्ल्यूएस श्रेणी के युवाओं से उनके आरक्षण का हक छीना जा सके?
खरगे ने आरोप लगाया कि एनटीए के जरिये धांधली, पेपर लीक व घोटाला कराया गया और एनआरए से परीक्षा ही नहीं करवाई गई। एनटीए नीट-यूजी जैसी राष्ट्रीय प्रतियोगी परीक्षाओं में अनियमितताओं के आरोपों को लेकर विवाद में है।
खरगे ने आरोप लगाया कि शिक्षा प्रणाली को तहस-नहस करने का और युवाओं के भविष्य को तंग-तबाह करने का बीड़ा भाजपा-आरएसएस ने उठाया है। उन्होंने कहा, हमने एनआरए का मुद्दा पहले भी उठाया था, पर मोदी सरकार मौनव्रत धारण कर के बैठी हुई है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें दावा किया गया था कि एनआरए पिछले चार वर्षों में 58 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद एक भी परीक्षा आयोजित नहीं कर पाई है।
रमेश ने कहा, केंद्र सरकार ने 2020 में युवाओं के लिए ‘एक देश, एक परीक्षा’ की घोषणा की और इसकी जिम्मेदारी बड़े जोर-शोर से एनआरए को सौंप दी। रमेश ने कहा, लेकिन, यह एजेंसी पिछले चार वर्षों में 58 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद एक भी परीक्षा आयोजित नहीं कर पाई है।
सही बोला है बेरोज़गारी और महंगाई को बीजेपी कोई मुद्दा ही नहीं मानती रही है