पंकज सिंहा
भारत सरकार पूरे देश में ‘‘सभी के लिए स्वास्थ्य‘‘ के लिए अथक प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने दुनिया में कोरोनावायरस के खिलाफ सबसे सफल लड़ाई लड़ी है। भारत का संचयी टीकाकरण लगभग 20 करोड़ से अधिक है। पिछले 24 घंटों में 19 लाख से अधिक परीक्षण किए गए हैं। पिछले 24 घंटों में लगभग 3 लाख की मरीज भी ठीक हुए है। दैनिक पोजीटिवीटी दर घटकर 12.5 प्रतिशत हो गयी है। यही नहीं दैनिक स्वस्थ होने की संख्या दैनिक नए मामलों की संख्या से अधिक हो गयी है। ठीक होने की दर बढ़ रही है और यह एक सकारात्मक संकेत है।
यदि कुछ खास समाचार माध्यमों की नकारात्मक खबरों को छोड़ दें तो सरकार अपनी ताकत के अनुसार काम कर रही है। इसके सकारात्मक परिणाम भी आने लगे हैं। चाहे प्रतिपक्ष हो या मीडिया इसे विपरीत परिस्थिति में सकारात्मकता को परमोट करना चाहिए था लेकिन इस दायित्व से दोनों अलग रहे, जिसका परिणाम यह हुआ कि बीमारी के कारण कम और डर के कारण ज्यादा लोगों ने अपनी जान गमाई। यहां एक बात और कह देना ठीक रहेगा कि महामारियां पहले भी आती रही है। चमकी बुखार से एक ही दिन में सैंकड़ों बच्चे मर जाते रहे हैं। ऐसे ही गारखपुर की बीमारी से सब वाकिफ हैं लेकिन वहां चूकि गरीब आदमी मर रहा था इसलिए उसकी चर्चा कम हुई। यहां मध्यमवर्ग मरा इसलिए चर्चा ज्यादा हो रही है। यह सब जानते हैं कि वर्तमान मध्यमवर्ग पारंपरिक रूप से भाजपा का समर्थक है और इस समर्थक वर्ग को किस प्रकार भाजपा से काटना है, इसलिए कुछ शातिराणा प्लान के तहत इस बार काम हुआ। जिसका प्रतिफल सबको भुगतना पड़ रहा है। हालांकि इस मामले में हम सरकार को क्लिन चिट नहीं दे सकते लेकिन ढ़ोल का पोल खड़ा करने वाली मीडिया और सत्तालोलुपता के चर्मातकर्ष पर खड़े विपक्ष की भूमिका भी तो नकारात्मक रही है।
खैर आलेख के मूल विषय पर आते हैं। बीमारी के प्रकोप के शुरुआती दिनों के दौरान कुछ विशेषज्ञों ने भारत के बारे में चिंता व्यक्त की थी कि वे विशाल आबादी का प्रबंधन कैसे करेंगे और स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को कैसे तैयार करेंगे, लेकिन ज्ञान, नए विचार और आपसी सहयोग का उपयोग करते हुए भारत सरकार लगातार चैतरफा प्रयास कर रही है जिससे कोविड-19 का मुकाबला सफलता पूर्वक हो रहा है।
भारत ने इस आपदा को भी अवसर में बदला और हम स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की और बढ़ रहे है। भारत पूरे विश्व मे अकेला ऐसा देश है जिसकी अर्थव्यवस्था विकासशील मानी जाती है, परंतु हमने एक स्वदेशी और एक विदेश की सहायता से वैक्सीन (कोवशील्ड और कोवैक्सिन) बनाकर दुनिया मे अपनी धाक जमाई एंव आत्मनिर्भर भारत अभियान में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है, जो उच्च मानवीय आदर्श एवं वैश्विक कल्याण की भावना से प्रेरित है। भारत ने वैश्विक महामारी द्वारा सामने आई भारी चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए मेक इन इंडिया टीके, पीपीई किट, मास्क, वेंटिलेटर और परीक्षण किट में आज भारत आत्मनिर्भर है, जो भारत सरकार के द्वारा आत्मनिर्भर भारत बनाने के अपने दृढ़ संकल्प का प्रमाण है।
पूर्व में इस बीमारी से मुकाबले के लिए देश में केवल एक प्रयोगशाला थी, जो संक्रमण के लिए परीक्षण कर सकती थी, आज हमारे पास 2000 से अधिक हैं। भारतीय रेलवे के देश भर के विभिन्न राज्यों में तरल चिकित्सा ऑक्सीजन वितरित करके राहत लाने के प्रयास, डीआरडीओ की कोविड-19 एंटीबॉडी का पता लगाना और 99 प्रतिशत की विशिष्टता के साथ वायरस का पता लगा सकती है। कोविड-19 संक्रमित रोगियों में चिकित्सा ऑक्सीजन पर निर्भरता को कम करने के लिए डीआरडीओ द्वारा विकसित 2डीजी दवा बनाकर भारतीय चिकित्सा विज्ञान ने विश्व को अपनी क्षमता से परिचय कराया है। योग्य भारतीय स्टार्टअप कंपनियों को वित्त पोषित करने के लिए विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग की नई पहल सराहनीय हैं।
राज्यों को स्वास्थ्य सेवाओं में नव विचारों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना, उदाहरण के लिए तेलंगाना सरकार ‘‘द स्काई फ्रॉम द स्काई प्रोजेक्ट‘‘ जिसमें कई ड्रोन के माध्यम से दवाओं की डिलीवरी शामिल है। मोदी जी के नेेतृत्व में भारत सुरक्षित है यह अहसास उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक जी का वह फोन जो उन्होंने रात को 12 बजे प्रधानमंत्री जी को करते है और प्रधानमंत्री जी उनके लिए रात में ही उन्हें जो चाहिए उसकी व्यवस्था करते है, यह हमें हमारी टीम इंडिया के तालमेल को भी दिखता है और हमारे प्रधानमंत्री जी के लिये भारत पहले है और भारत की सेवा करना ही एकमात्र लक्ष्य है यह दर्शाता है।
मरीजों के घर तक इलाज लाकर कोरोना से लड़ने के लिए मोदी जी का यह मंत्र जंहा बीमार वही उपचार, हमे इस लडाई में और भी सशक्त बनाएगा। नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत कोविड-19 से लड़कर विजयी होगा एंव विश्व पटल पर नए आत्मनिर्भर भारत का उदय होगा। इसलिए हमें न तो घबड़ाना चाहिए और न ही डरना चाहिए। हमें अपने नेतृत्व पर भरोसा रखना होगा। विरोधी विकट परिस्थिति में नेतृत्व पर से विश्वास खत्म करने की पूरी कोशिश करते हैं। यह उनकी पहली रणनीति होता है। हमें धैर्य से काम लेना होगा तभी इस विकट परिस्थिति से मुकाबला कर सकते हैं।
(यह लेखक के निजी विचार हैं। इससे जनलेख प्रबंधन का कोई लेना-देना नहीं है। लेखक झारखंड प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के सह प्रशिक्षण प्रमुख हैं।)