नई दिल्ली/ सुप्रीम कोर्ट के 2 दिन में कोरोना से जुड़े दो बड़े फैसले दिए हैं। बीते दिन, मंगलवार को कोर्ट ने राज्यों से कहा था कि 31 जुलाई तक वन नेशन-वन राशन कार्ड स्कीम लागू करें और बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय ने कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वालों के परिवारों के लिए बड़ा फैसला सुनाते हुए केंद्र को निर्देश दिए हैं कि जिन लोगों की मौत कोरोना से हुई है, उनके परिवार को मुआवजे की रकम तय करें।
इसके साथ ही माननीय न्यायालय ने नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (एनडीएमए) को निर्देश दिए कि वे नई गाइडलाइंस जारी करें। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि कोरोना से मौत होने पर डेथ सर्टिफिकेट जारी करने की व्यवस्था सरल हो। अधिकारी इसके लिए गाइडलाइन जारी करें। जैसा की फाइनेंस कमीशन ने प्रस्ताव दिया था, उसके आधार पर केंद्र उन उस व्यक्ति के परिवार के लिए इंश्योरेंस स्कीम बनाए, जिसकी जान आपदा में चली गई।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि राहत के न्यूनतम मानकों को ध्यान में रखते हुए कोविड मृतकों के परिवारों के लिए गाइडलाइन 6 हफ्तों के भीतर जारी करे। डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के सेक्शन 12 के तहत एनडीएमए की जिम्मेदारी बनती है कि वह राष्ट्रीय आपदा की स्थिति में पीड़ितों के लिए न्यूनतम राहत रिकमेंड करे। हालांकि, कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी जोड़ा कि हम केंद्र से ये नहीं कह सकते कि वो इतनी रकम मुआवजे के तौर पर दे।
बता दें कि जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने गौरव बंसल बनाम केंद्र सरकार और रीपक कंसल बनाम केंद्र सरकार केस में ये फैसला सुनाया है। याचिकाकर्ता ने कहा था कि कोरोना संक्रमण और संक्रमण के बाद तबीयत खराब होने से जान गंवाने वाले परिवारों को 4 लाख रुपए मुआवजा दिया जाए। याचिका में यह भी कहा था कि कोरोना से मौत होने पर डेथ सर्टिफिकेट जारी करने की प्रक्रिया सरल की जाए।